रीढ़ की हड्डी में लचीलापन लाने के लिए सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना चाहिए

Surya Namaskar should be practiced to bring flexibility in the spine
 
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लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय).लखनऊ विश्वविद्यालय के योग विभाग, फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन के तत्वावधान में 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के आयोजन के क्रम में निरंतर योग कार्यक्रम किया जा रहा है।
योग सभागार में योगासनों का शरीर पर प्रभाव विषयक सेमिनार का आयोजन किया गया।
 मुख्य अतिथि अनिल कुमार सिंह थे। विशेषज्ञ के रूप में डॉक्टर कैलाश कुमार एवं योगाचार्य दीपा श्रीवास्तव थी। मुख्य अतिथि अनिल कुमार सिंह ने बताया कि योग शारीरिक अभ्यास होने के साथ ही साथ मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है योग भारत की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत है।आज योग दुनिया भर में प्रचलित है और इस पारंपरिक ज्ञान से लोग स्वस्थ और रोग मुक्त हो रहे हैं।
 संकाय के कोआर्डिनेटर डॉ अमरजीत यादव ने बताया कि योग प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग का अभ्यास शरीर एवं मन, विचार एवं कर्म की शक्ति को बढ़ाता है जो मात्र व्यायाम ही नहीं बल्कि स्वयं के साथ विश्व प्रकृति के साथ एकत्व खोज का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता पैदा करता है। आसनों के अभ्यास से रक्त संचार तीव्र होता है शरीर के विजातीय तत्व बाहर निकलते हैं। पवनमुक्तासन धनुरासन, आसन से पाचन संस्थान सही होता है। हृदय स्वस्थ रखने के लिए हस्त उत्तानासन ,अर्ध चक्रासन रीढ़ की हड्डी में लचीलापन लाने के लिए सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना चाहिए।
 डॉक्टर कैलाश ने बताया कि फेफड़ों को ठीक रखने के लिए गौमुखासन , वक्रासन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए वशिष्ठ आसन, वातायन आसन का अभ्यास करना चाहिए। योगाचार्य दीपा श्रीवास्तव ने बताया कि योग हमारे मन को संतुलित रखता है योग के अभ्यास से व्यक्ति अपने कर्तव्य समाज और विश्व के प्रति जागरूक रहता है तथा अपने उत्तरदायित्व को पूर्ण करने में सक्षम रहता है। योग व्यक्ति की शारीरिक क्षमता उसके मन और भावनाओं में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता । इस अवसर पर फैकल्टी के शिक्षक डॉ रामनरेश डॉक्टर रामकिशोर एवं फैकल्टी के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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