सतत विकास, सांस्कृतिक समृद्धि और जनभागीदारी से निवेश, नवाचार और रोज़गार के संकल्प का अभ्युदय

(डॉ. मोहन यादव – विभूति फीचर्स) मध्यप्रदेश आज अपनी स्थापना के 70वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। एक नवंबर 1956 को अस्तित्व में आया यह राज्य अब विकास और प्रगति की नई ऊँचाइयों को छू रहा है। विगत दो दशकों में प्रदेश ने समग्र विकास की एक नई यात्रा शुरू की है, जिसने मध्यप्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में पहुंचा दिया है। इस वर्ष का राज्योत्सव विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह देवउठनी ग्यारस जैसे शुभ अवसर पर मनाया जा रहा है — जो हमारी संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म का प्रतीक है।
मध्यप्रदेश अपने प्राकृतिक वैभव और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहां मां नर्मदा, चंबल, पार्वती और शिप्रा जैसी जीवनदायिनी नदियाँ बहती हैं, तो वहीं बाबा महाकाल, भगवान परशुराम और आदि शंकराचार्य की तपोभूमि भी यही है। चित्रकूट में भगवान श्रीराम का निवास और उज्जैन में विक्रम संवत् का प्रारंभ — ये सभी इस भूमि की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महिमा को दर्शाते हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विकसित भारत के संकल्प से प्रेरित होकर मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के सर्वांगीण विकास की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए हैं। इस वर्ष राज्योत्सव की थीम — “उद्योग और रोज़गार” — प्रदेश के सतत विकास, सांस्कृतिक समृद्धि और जनभागीदारी की भावना को केंद्र में रखती है।
राज्य सरकार ने रीजनल इन्वेस्टर्स समिट और निवेश यात्रा के माध्यम से निवेश, नवाचार और औद्योगिक विकास को नई दिशा दी है। उज्जैन से आरंभ हुई यह यात्रा जबलपुर, ग्वालियर, सागर, रीवा, शहडोल, नर्मदापुरम, मुंबई, कोयंबटूर, बेंगलुरु, पुणे, दिल्ली से लेकर जर्मनी, जापान और दुबई तक पहुँची, जिससे प्रदेश में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

सरकार ने निवेशकों को सरल, सुरक्षित और सक्षम वातावरण प्रदान करते हुए स्टार्टअप पॉलिसी, इनोवेशन हब और इन्क्यूबेशन नेटवर्क स्थापित किए हैं, जो युवाओं को जॉब सीकर से जॉब क्रिएटर बनने की दिशा में प्रेरित कर रहे हैं। प्रदेश में उद्योग, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक निर्माण और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में ऐतिहासिक निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
प्रधानमंत्री जी के “GYAN” मंत्र — गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी — को केंद्र में रखते हुए प्रदेश में विकास की नीतियाँ लागू की जा रही हैं।
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गरीब कल्याण मिशन के तहत स्वरोज़गार, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है।
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कौशल विकास मिशन और स्टार्टअप नीति 2025 से युवाओं को उद्योग आधारित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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कृषि क्षेत्र में नवाचार आधारित योजनाएँ — जैसे ड्रोन फसल निरीक्षण, स्मार्ट सिंचाई, मुख्यमंत्री खेत-तालाब योजना — किसानों की उत्पादकता और आय में वृद्धि कर रही हैं।
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केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजनाएँ सिंचाई क्षेत्र को दोगुना करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही हैं।
महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए लाड़ली बहना योजना और नारी शक्ति मिशन जैसे प्रयास परिवर्तनकारी सिद्ध हुए हैं। महिला उद्यमिता नीति ने हजारों महिलाओं को लघु उद्योग, डेयरी, हस्तशिल्प और सेवा क्षेत्र में अवसर प्रदान किए हैं।
प्रदेश में गौ-संवर्धन और दुग्ध उत्पादन को भी आर्थिक नवाचार के रूप में विकसित किया गया है। मुख्यमंत्री गौ-संवर्धन मिशन के अंतर्गत प्रदेशभर में गौ-अभयारण्य और सेवा केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिससे दुग्ध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
मध्यप्रदेश आज निवेश, नवाचार और रोज़गार के त्रिस्तंभों पर आगे बढ़ते हुए एक आत्मनिर्भर और विकसित राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है। यह यात्रा सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर आधारित है।
आइए, हम सब मिलकर मध्यप्रदेश को समग्र विकास, जनभागीदारी और नवाचार की शक्ति से सशक्त बनाएं और विकसित भारत के निर्माण में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें।
प्रदेशवासियों को मध्यप्रदेश के 70वें स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
(लेखक — डॉ. मोहन यादव, मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश)
