पंजाब में गौसेवा के नाम पर टैक्स वसूली,फिर भी बेहाल गौशालाएं

Tax is collected in the name of Gauseva in Punjab, yet the Gaushalas are in a bad state
 
Tax is collected in the name of Gauseva in Punjab, yet the Gaushalas are in a bad state

( सुभाष आनंद-विभूति फीचर्स )  आज पंजाब में गौ माता की स्थिति काफी दयनीय और चिंताजनक है जगह-जगह कूड़े पर मुंह मारती गाएं आप देख सकते हैं। जितनी गाएं गौशालाओं में हैं उससे दुगनी सड़कों पर बेसहारा घूम रही है। आम आदमी पार्टी ने चुनाव से पहले पशुओं की संभाल के बड़े-बड़े वायदे किए थे ,लेकिन सरकार बनने के तीन वर्ष बाद भी सरकार ने इन बेघर और बेसहारा गायों की सुध नहीं ली है। सरकारों ने इस मामले को कभी गंभीरता से नहीं लिया जबकि सरकार 2006 से काऊसेस के रूप में लोगों से लगातार टैक्स वसूल रही है।

       फिरोजपुर शहर- छावनी में तीन गौशालाएं हैं जो आर्थिक संकट से जूझ रही है। प्रत्येक वर्ष पंजाब में 80-90 करोड़ रुपए काऊसेस के रूप में एकत्रित किए जा रहे है। इस तरह अब तक 19 वर्षों में 200 करोड़ टैक्स सरकार इकट्ठा कर चुकी है।

लेकिन सरकारी सूत्रों के अनुसार अभी तक 20 फीसद पैसा भी पशुओं की बेहतरी के लिए खर्च नहीं किया जा सका। पंजाब में साल दर साल आवारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पंजाब की स्वयंसेवी संस्थाएं सीधे-सीधे भगवंत मान सरकार पर आरोप लगा रही हैं कि सरकार काऊसेस का दुरुपयोग कर रही है और इस फंड का अन्य कार्यों में उपयोग कर रही है।

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 यह सीधा-सीधा पशुओं के साथ अन्याय ही है।अभी तक तो पंजाब सरकार के पशुपालन विभाग के पास पशुओं के हितों को लेकर कोई ठोस योजना ही नहीं है। आम आदमी पार्टी के किसी भी विधायक ने विधानसभा में पशुओं के बारे में कोई मुद्दा नहीं उठाया है । सरकारों की गलत नीतियों के कारण पंजाब की गौशालाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है,जब भी सरकार से गौशालाओं के सुधार की बात की जाती है तो वे अपना पीछा छुड़ाते हुए कह देती है कि गौशालाओं के सुधार का काम नगर परिषदों और नगर पालिकाओं का होता है। विचित्र बात तो यह है कि सभी ने इस समस्या से आंखें मूंदी हुई हैं। कोई यह भी नहीं पूछता कि सरकार के पास पशु हितों की कोई नीति नहीं है तो फिर काऊसेस क्यों इकट्ठा किया जा रहा है?
 राइट टू इनफॉर्मेशन एक्ट के अनुसार पंजाब में 460 छोटी बड़ी गौशालाएं चल रही हैं, यह सभी सरकार द्वारा पंजीकृत हैं। 20 जिलों में सरकारी गौशालाएं हैं, इसका प्रबंध जिले के डिप्टी कमिश्नर एवं संगठनों के हाथों में है। सरकार द्वारा आवारा पशुओं की संख्या 2 लाख से ऊपर बताई जा रही है, 2024 के आंकड़ों के अनुसार जितने पशु गौशालाओं में हैं उससे ज्यादा बाहर घूम रहे हैं। 
प्राप्त सूचनाओं के अनुसार सरकारी गौशालाओं में 1.95 लाख पशु रखे हुए हैं। उनके रहन-सहन और चारे का प्रबंध डिप्टी कमिश्नर करते हैं। इसके अतिरिक्त अनेक दानी सज्जन भी चारे की सेवा करते रहते हैं। पशु कई बार हादसों का शिकार होते हैं, फसलों का भी नुकसान करते हैं। पंजाब में पशुओं के सड़क पर आ जाने के कारण अनेक लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं। कई बार सांडों की लड़ाई में कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा हैं। 
फिरोजपुर शहर में चौथी प्राइवेट गौशाला नेहरू स्टेडियम के सामने पुरानी तहसील में चल रही है ,वहां भी 100 से ज्यादा पशु देखे जा सकते हैं । सरकार काऊसेस से धन कमा रही है। सुनने में आया है कि पंजाब सरकार काऊसेस टैक्स का दायरा बढ़ाने की बात सोच रही है।
सूत्रों के अनुसार कई जिलों में गौशालाओं की आर्थिक हालत इतनी मंदी है कि गायों को पूरा चारा भी नहीं डाला जा रहा है। बीमार पशुओं के इलाज के लिए कोई योग्य डॉक्टर तैनात नहीं किए गए। पशु हस्पताल में तैनात डॉक्टर सप्ताह में एक बार सरकारी गौशाला में विजिट करते हैं । गौशालाओ में दवाइयों का अभाव देखने को मिल रहा है। सरकार को चाहिए कि वह पशु हितों के लिए गौशालाओं को पर्याप्त बजट उपलब्ध कराए ताकि गौशालाओं की दयनीय स्थिति में कुछ तो सुधार हो सके।(विभूति फीचर्स)

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