तेजस एमके1ए: भारत की आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति का नया अध्याय

 
तेजस एमके1ए: भारत की आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति का नया अध्याय
(मनोज कुमार अग्रवाल – विभूति फीचर्स)
भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की जब स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस एमके1ए (Tejas Mk1A) ने सफलतापूर्वक अपनी पहली उड़ान पूरी की। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की नासिक स्थित एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग डिविजन से उड़ान भरते हुए इस विमान ने न केवल तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन किया बल्कि भारत की सामरिक शक्ति और वैज्ञानिक क्षमता को भी नई पहचान दी।

Z s

इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जिन्होंने इसे देश की आत्मनिर्भर रक्षा यात्रा का “मील का पत्थर” बताया। उन्होंने इस अवसर पर HAL की तीसरी उत्पादन लाइन का उद्घाटन भी किया, जिससे तेजस विमानों के निर्माण की गति और दोगुनी हो जाएगी।

रक्षा मंत्री ने HAL के नए ‘मिनी स्मार्ट टाउनशिप’ प्रोजेक्ट का उद्घाटन करते हुए कहा कि संस्थान ने सतत विकास का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा, “जब पूरी दुनिया पर्यावरण संरक्षण की बात कर रही है, ऐसे में HAL का यह मॉडल बाकी इंडस्ट्रीज के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल बनेगा।”
हालांकि भारतीय वायुसेना में तेजस एमके1ए को शामिल करने की आधिकारिक तिथि अभी तय नहीं हुई है, पर HAL के अनुसार आने वाले चार वर्षों में 83 तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान वायुसेना को सौंपे जाएंगे। अमेरिकी इंजन आपूर्ति में विलंब के कारण निर्माण में थोड़ी देरी हुई, लेकिन उत्पादन प्रक्रिया अब तेज़ी से आगे बढ़ रही है।
वर्तमान में नासिक डिविजन में प्रति वर्ष 8 विमान और बेंगलुरु की दो प्रोडक्शन लाइनों पर 16 विमान तैयार किए जाते हैं। नई लाइन के शुरू होने से कुल उत्पादन क्षमता 24 विमान प्रतिवर्ष तक पहुँच जाएगी।
तेजस एमके1ए की पहली उड़ान भारत की वैज्ञानिक, औद्योगिक और सामरिक परिपक्वता का प्रतीक है। यह न केवल तकनीकी सफलता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियानों को नई ऊर्जा देने वाली ऐतिहासिक उपलब्धि भी है। लगभग 65% स्वदेशी घटकों से निर्मित यह 4.5 पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर जेट हर मौसम में, दिन-रात, किसी भी मिशन में संचालन करने में सक्षम है।
इस विमान में अत्याधुनिक AESA रडार, बीवीआर मिसाइल सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट और एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीकें हैं। यह 5.5 टन से अधिक हथियार भार वहन कर सकता है और एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला करने की क्षमता रखता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके किसी भी अपग्रेड के लिए अब भारत को विदेशी अनुमति की आवश्यकता नहीं है — यही इसकी वास्तविक आत्मनिर्भरता का सार है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “एक समय था जब भारत अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए 70% तक आयात पर निर्भर था, लेकिन आज स्थिति उलट गई है। अब हम 65% से अधिक रक्षा उपकरण देश में ही बना रहे हैं और जल्द ही यह आंकड़ा 100% तक पहुँचाने का लक्ष्य है।”
उन्होंने बताया कि भारत का रक्षा निर्यात अब रिकॉर्ड 25,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, जो कुछ साल पहले मात्र 1,000 करोड़ रुपये से भी कम था। सरकार ने 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये का घरेलू रक्षा विनिर्माण और 50,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
पिछले एक दशक में भारत ने रक्षा क्षेत्र में नीतिगत सुधार, निवेश और नवाचार के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति की है। 2013-14 में रक्षा बजट जहाँ 2.53 लाख करोड़ रुपये था, वहीं 2025-26 में यह बढ़कर 6.81 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसी अवधि में भारत का रक्षा उत्पादन 46,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.50 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया — जो तीन गुना से अधिक वृद्धि है।
भारत अब 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है। वर्ष 2023-24 में भारत के प्रमुख रक्षा निर्यात गंतव्य अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया रहे। आत्मनिर्भरता के इस अभियान से न केवल विदेशी मुद्रा की बचत हो रही है, बल्कि स्थानीय उद्योगों को भी नई मजबूती मिल रही है।
एशियाई परिदृश्य में भारत की भूमिका अब अधिक निर्णायक होती जा रही है। तेजस एमके1ए जैसे स्वदेशी प्रोजेक्ट न केवल हमारी सामरिक स्वतंत्रता को सशक्त करते हैं बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि भारत अब केवल खरीदार नहीं, बल्कि निर्माता और नवाचार का केंद्र बन चुका है।
निःसंदेह, तेजस मार्क-1ए की पहली उड़ान भारत के आत्मविश्वास, तकनीकी कौशल और राष्ट्रनिर्माण की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह उड़ान सिर्फ एक विमान की नहीं, बल्कि उस सपने की है जिसमें भारत अपनी सुरक्षा, तकनीक और भविष्य — तीनों पर स्वयं नियंत्रण रखता है।

Tags