प्रेमाभक्ति के भाव से गूंज उठा 78वां निरंकारी संत समागम

समालखा (हरियाणा), 01 नवम्बर 2025। निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा में आयोजित 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के पहले दिन देश–विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं ने प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिक एकत्व का अद्भुत अनुभव किया। समागम की मुख्य वाणी में निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि आत्मबोध का मार्ग ब्रह्मबोध से होकर ही गुजरता है, इसलिए मनुष्य को अपने वास्तविक स्वरूप की पहचान के लिए परमात्मा को जानना आवश्यक है।
सतगुरु माता जी ने कहा कि विश्व में धर्म अनेक हो सकते हैं, लेकिन सत्य एक ही है — वह परम निराकार सत्ता, जो सभी का मूल स्रोत है। जब साधक इस सत्य से जुड़कर एकत्व की भावना में समर्पित होता है, तो मन में किसी प्रकार का विपरीत भाव शेष नहीं रहता। समागम का विषय “आत्ममंथन” भी इसी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाने का संदेश देता है।
भौतिक उपलब्धियां अस्थायी, परमात्मा ही स्थायी
सतगुरु माता जी ने कहा कि सांसारिक उपलब्धियां, रिश्ते, विचार सब समय के साथ बदलते हैं और एक दिन समाप्त हो जाते हैं। स्थायी केवल परमात्मा है — और जब जीवन में इस सत्य की प्राप्ति होती है, तभी मनुष्य जीवन का उद्देश्य सार्थक होता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे कमरे में स्विच ऑन करते ही प्रकाश आ जाता है, उसी प्रकार ब्रह्मज्ञान अज्ञान के अंधकार को तुरंत मिटा देता है।
माता जी ने कहा कि आत्ममंथन केवल मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना है। गलतियों को स्वीकार कर सुधार के साथ विनम्रता और समर्पण जैसे दिव्य गुण जीवन में स्वतः उतरने लगते हैं। उन्होंने सभी भक्तों के जीवन में भक्ति, प्रेम और प्रभु समर्पण की शुभकामना व्यक्त की।
राज्यपाल का आगमन
समागम के पहले दिन हरियाणा के राज्यपाल आशिष कुमार घोष अपनी धर्मपत्नी के साथ पधारे। उन्होंने सतगुरु माता जी एवं निरंकारी राजपिता जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। राज्यपाल ने निरंकारी मिशन की मानवता केंद्रित विचारधारा और सेवा गतिविधियों की प्रशंसा की तथा सेवादल के अनुशासन एवं सेवा-भाव को सराहा।
सेवादल रैली ने बढ़ाई उत्साह की भावना
समागम के दूसरे दिन एक भव्य सेवादल रैली निकाली गई, जिसमें देश-विदेश के हजारों स्वयंसेवकों ने भाग लिया। रैली में शारीरिक व्यायाम, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, खेलों के माध्यम से सेवा और अनुशासन का संदेश दिया गया। मिशन की शिक्षाओं पर आधारित लघु नाटिकाएँ भी रैली का मुख्य आकर्षण रहीं।
सतगुरु माता जी ने सेवादल से कहा कि सेवा केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समस्त साध संगत व मानवता के लिए होती है। उन्होंने कहा — जब वर्दी में सेवा की जाती है, तो उसकी जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है। सेवा में आत्ममंथन का भाव बना रहे, ताकि सेवा केवल दिखावे तक सीमित न रह जाए। रैली में निरंकारी राजपिता जी के साथ सतगुरु माता जी के आगमन पर मिशन के श्वेत ध्वज का आरोहण किया गया। इस अवसर पर सेवादल मेंबर इंचार्ज विनोद वोहरा जी ने विश्वभर के सेवादल सदस्यों के लिए आशीर्वाद की कामना की।
