देश की सांस्कृतिक विरासत से होगा सतत विकास की चुनौतियों का निदान

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रति कुलप्रति प्रो. मनुका खन्ना ने विकसित और विकासशील देशों में सतत् विकास के अंतर पर अपने विचार रखे तथा प्राचीन भारतीय जीवनशैली और पर्यावरण से उसके जुड़ाव के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता डॉ. अजीत चतुर्वेदी (मुख्य कार्यक्रम निदेशक, आकाशवाणी) ने सतत् विकास की प्रक्रिया पर अपने विचार व्यक्त किए, जिसमें सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और सतत् विकास के 17 लक्ष्यों पर चर्चा की। उन्होंने 2047 तक भारत को एक सशक्त विकसित राष्ट्र बनाने में हमारे योगदान पर विचार साझा किए और आकाशवाणी के "न्यूज ऑन एआईआर" ऐप के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि, प्रो. ध्रुव सेन सिंह, विभागाध्यक्ष, भूगर्भशास्त्र, लखनऊ विश्वविद्यालय ने पृथ्वी, प्रकृति और मानव उत्पत्ति के गहरे संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने मानव जनित गतिविधियों के नकारात्मक प्रभाव और संसाधनों की कमी के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की तथा भारतीय संस्कृति में सतत् विकास की अवधारणा पर चर्चा की।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत एवं कार्यक्रम की रूपरेखा को प्रस्तुत करते हुए प्रो० राकेश द्विवेदी , विभागाध्यक्ष, समाज कार्य, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा सतत् विकास में समाज कार्य की भूमिका एवं नागरिकों के नैतिक कर्तव्य पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने विभाग द्वारा भविष्य में सतत् विकास संबंधी विषयों पर किए जाने वाले प्रयासों तथा भारतीय परिप्रेक्ष्य में समाज की प्रक्रियाएं, जो सतत् विकास को प्रभावित करती हैं, के बारे में जानकारी प्रदान की। साथ ही समाज कार्य विभाग के छात्रों से सतत् विकास लक्ष्य से जुड़े मॉडल पर कार्य करने की बात कही।
कार्यक्रम को दो सत्रों में विभाजित किया गया था, जिसमें प्रथम सत्र में उद्घाटन तथा द्वितीय सत्र तकनीकी सत्र के रूप में संचालित किया गया। द्वितीय सत्र में छात्र-छात्राओं को सतत विकास के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त करने के अवसर प्रदान किए गए।
द्वितीय सत्र के आरंभ में तकनीकी सत्र के रूप में प्रो. रोली मिश्रा (अर्थशास्त्र, लखनऊ विश्वविद्यालय) ने अर्थशास्त्रीय और कृषि गतिविधियों के पर्यावरण पर प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि हमारी आर्थिक गतिविधियों ने पर्यावरण को किस प्रकार नुकसान पहुंचाया और यह भी समझाया कि जीवनशैली में बदलाव करके हम सतत् विकास को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
डॉ. अनामिका श्रीवास्तव (असिस्टेंट डायरेक्टर, आकाशवाणी) ने सतत् विकास को लेकर आकाशवाणी के प्रयासों की जानकारी दी तथा ई-कचरा और औद्योगिक कचरे के दुष्प्रभावों पर अपने विचार साझा किए।डॉ. अन्विता (सहायक प्राध्यापिका, समाज कार्य विभाग) ने ओपन सेशन के दौरान छात्रों के साथ चर्चा की कि एक नागरिक और समाज कार्यकर्ता के रूप में हमारी भूमिका और योगदान क्या होना चाहिए। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों, पारिस्थितिकी और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखने के महत्व को समझाया और यह बताया कि जीवनशैली में सुधार से हम सतत् विकास में अपनी भूमिका कैसे निभा सकते हैं।
डॉ. रमेश त्रिपाठी (सहायक प्राध्यापक, समाज कार्य विभाग) ने सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थायित्व के महत्व तथा सामुदायिक भागीदारी की भूमिका पर चर्चा की।
समाज कार्य विभाग के शोधार्थियों ने निम्नलिखित विषयों पर अपने विचार साझा किए:
• मंजरी तिवारी – सतत् उपभोग और उत्पादन
• अम्बरीन अब्दुल्लाह – मानव, पर्यावरण और समृद्धि
• शिवांगी त्रिवेदी – समाज कार्यकर्ताओं की सतत् विकास में भूमिका
• कृतिक राज – जलवायु परिवर्तन
यह कार्यक्रम सतत् विकास की चुनौतियों और संभावनाओं पर केंद्रित रहा और यह समझने का प्रयास किया गया कि एक नागरिक के रूप में हमारा दायित्व क्या होना चाहिए। साथ ही, समाज में जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों पर भी जोर दिया गया। कार्यक्रम में समाज कार्य विभाग के शिक्षक, शोधार्थी, छात्र-छात्राओं, आकाशवाणी लखनऊ के मुख्य अधिकारी एवं उनकी टीम के सदस्य समेत लगभग 125 लोग उपस्थित रहे।