हिमाचल… जहाँ फल केवल उत्पाद नहीं, गर्व हैं
(संजीव शर्मा – विभूति फीचर्स)
आईए, आपको ले चलते हैं उस प्रदेश में, जिसे फलों का राजा कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी—हिमाचल प्रदेश। यहाँ फल केवल उत्पाद नहीं, बल्कि लोगों की मेहनत, पहचान और गर्व का प्रतीक हैं। शिमला की पहाड़ियों पर खिले लाल-गुलाबी सेब किसी राजकुमार से कम नहीं लगते, किन्नौर का अखरोट अपनी दमक से सेनापति-सा गर्व महसूस कराता है, कुल्लू की चेरी महारानी-सी लजाती है, और आड़ू गालों पर लाली लिए किसी राजकुमारी जैसा प्रतीत होता है। नाशपाती, खुबानी, आलूबुखारा, कीवी, केला, जापानी फल और मशरूम—ये सब मानो ‘राजा के नवरत्न’ हों।
यहाँ की मिट्टी में हिमालय का गौरव घुला है… हवा में बर्फ की शान है… और धूप इतनी नफ़ासत से पड़ती है कि हर फल ‘रॉयल’ और ‘डिलिशियस’ बन जाता है। इसलिए जब भी किसी फल का स्वाद लेते वक्त मुँह से “वाह!” निकल आए, समझ लीजिए वह फलों के असली दरबार—हिमाचल—से आया है।

भारत का फल-टोकरी (Fruit Basket of India)
हिमाचल को प्रकृति ने अपनी पूरी उदारता से संवारा है। यह प्रदेश केवल प्राकृतिक सुंदरता का आकर्षण ही नहीं, बल्कि अपने विविध, रसीले और पौष्टिक फलों के कारण भी प्रसिद्ध है। यहाँ पैदा होने वाले फलों का स्वाद, रंग, सुगंध और गुणवत्ता पूरे देश में सर्वोत्तम मानी जाती है।हिमाचल का भौगोलिक विस्तार समुद्र तल से 350 मीटर से लेकर 4,000 मीटर तक है। इस ऊँचाई के अंतर से बनने वाली जलवायु—मैदानी से उप-उष्णकटिबंधीय, और फिर शीतोष्ण एवं अल्पाइन—इसे फल उत्पादन के लिए आदर्श बनाती है।
सेब—हिमाचल का मुकुटमणि
हिमाचल में सेब केवल एक फल नहीं, बल्कि एक भावना है।
इसे सेब की राजधानी (Apple State) कहा जाता है, क्योंकि देश के कुल सेब उत्पादन का 40–50 प्रतिशत हिस्सा यहीं से आता है।
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शिमला
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किन्नौर
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रोहड़ू
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ठियोग
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कुल्लू-मनाली
ये क्षेत्र अपने रॉयल, रेड और गोल्डन डिलिशियस सेबों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। गर्मियों की हल्की धूप और सर्दियों की तेज ठंड सेब में मिठास, रंग और क्रंच पैदा करती है—वही स्वाद, जो हिमाचली सेब को बाकी से अलग बनाता है।
केवल सेब ही नहीं… हिमाचल फलों का साम्राज्य है
निचला हिमाचल (कांगड़ा, ऊना आदि)
उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु—
आम, लीची, अमरूद, केला, नींबू, संतरा
मध्य हिमाचल (1000–2000 मीटर)
शीतोष्ण जलवायु—
आड़ू, आलूबुखारा, खुबानी, नाशपाती, चेरी
ऊपरी हिमाचल (2000–3000 मीटर+)
विश्वस्तरीय—
सेब, अखरोट, कीवी, बादाम, अनार
किन्नौर के अखरोट और खुबानी, कुल्लू-मनाली की चेरी, रामपुर का अनार और सोलन के मशरूम तो देशभर में अपनी अलग पहचान रखते हैं।
हिमाचल की अर्थव्यवस्था की रीढ़—बागवानी
राज्य के ढाई लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर फल बागान हैं।करीब 20 लाख लोग सीधे बागवानी से जुड़े हैं।हिमाचल में हर साल 6–7 लाख मीट्रिक टन फल उत्पादन होता है।साल 2025 में फलों से कुल आय 3,500–4,000 करोड़ रुपये तक पहुँची—जो बीते वर्षों की तुलना में 10–15% अधिक है।राज्य के GDP में बागवानी का योगदान लगभग 15% है।
विश्व बाजार तक हिमाचल की महक
हिमाचल के फल केवल देशभर में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुके हैं—बांग्लादेश, श्रीलंका, UAE, सऊदी अरब, अमेरिका, ब्रिटेनजैसे देशों में हिमाचली फल निर्यात किए जाते हैं।
फल क्रांति के पीछे—किसान, विज्ञान और नीति
हिमाचल को फलों का राजा बनाने में किसानों की मेहनत के साथ-साथ वैज्ञानिक संस्थानों, आधुनिक कृषि तकनीक और सरकारी योजनाओं का बड़ा योगदान है—
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इन सबने मिलकर हिमाचल को भारत का फल-सम्राट और किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है।
