जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: स्वास्थ्य कारण या सियासी साजिश? जानिए पूरी इनसाइड स्टोरी

 
The Inside Story of Jagdeep Dhankhars Resignation Did He Quit or Was He Forced

सत्र के पहले ही दिन, जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन सवाल ये है - क्या ये इस्तीफा उनकी अपनी मर्जी से था, या इसके पीछे कोई गहरी सियासी चाल थी ? इस वीडियो में हम इसकी पूरी इनसाइड स्टोरी जानेंगे । तो, लास्ट तक बने रहिए, और अगर आपको हमारा कंटेंट पसंद आए, तो लाइक, शेयर और सब्सक्राइब जरूर करें। 

21 जुलाई 2025 की शाम को, जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ, किसी को अंदाजा नहीं था कि दिन के लास्ट तक इतनी बड़ी खबर सामने आएगी। जगदीप धनखड़, जो 2022 से भारत के Vice President और Rajya Sabha के Chairman थे, उन्होंने  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उनके इस्तीफे के पत्र में लिखा था, "Health care को Priority देने और medical advice का पालन करने के लिए, मैं संविधान के article  67 a  के तहत तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूँ।   

इस खबर ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। विपक्षी नेताओं ने तुरंत सवाल उठाए। कांग्रेस के इमरान मसूद ने कहा, "वो पूरे दिन संसद में थे, सिर्फ एक घंटे में ऐसा क्या हो गया कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा?" शिवसेना  के आनंद दुबे ने भी कहा कि सत्र के पहले दिन इस्तीफा देना हैरान करने वाला है। वहीं, सोशल मीडिया पर भी चर्चाएं तेज हो गईं। कुछ यूजर्स ने इसे सियासी दबाव का नतीजा बताया, तो कुछ ने इसे स्वास्थ्य कारणों से जोड़ा।

 जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। यह सच है कि मार्च 2025 में उन्हें दिल की समस्या के चलते दिल्ली के AIIMS में भर्ती किया गया था, जहां उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी। लेकिन, विपक्ष और कुछ analysts को इस बात पर शक है। कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा, "यह फैसला सिर्फ स्वास्थ्य तक सीमित नहीं लगता।" राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने तो इसे "BJP-RSS का खेल" करार दिया।  

दरअसल, धनखड़ का इस्तीफा उस दिन आया, जब उन्होंने राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की घोषणा की थी। सूत्रों के मुताबिक, इस प्रस्ताव की जानकारी सरकार को नहीं थी, जिससे सत्ताधारी दल हैरान रह गया। क्या ये महाभियोग प्रस्ताव उनके इस्तीफे का कारण बना ? या फिर, जैसा कि कुछ विपक्षी नेता कह रहे हैं, क्या उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया ?  

जगदीप धनखड़ का सियासी सफर काफी रोचक रहा है। राजस्थान के एक छोटे से गांव किठाना से शुरू हुआ उनका सफर उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद तक ले गया। वो जनता दल, कांग्रेस और फिर बीजेपी से जुड़े। 2019 में वो पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने, जहां उनका ममता बनर्जी की सरकार से लगातार टकराव रहा।

पिछले साल दिसंबर में विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने तो उनकी मिमिक्री तक की थी, जिसका वीडियो राहुल गांधी ने बनाया था। लेकिन, हाल के दिनों में धनखड़ ने विपक्ष के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की थी। उन्होंने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और आप नेता अरविंद केजरीवाल से मुलाकातें कीं, जिससे सत्ताधारी दल को चिंता हुई। क्या ये मुलाकातें उनके इस्तीफे का कारण बनीं?  

आइए, 21 जुलाई 2025 की टाइमलाइन को समझते हैं:  सुबह: धनखड़ ने सामान्य रूप से राज्यसभा की कार्यवाही शुरू की।  
दोपहर: ने  विपक्ष ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया, जिसे धनखड़ ने स्वीकार किया।  

शाम 4 बजे: उपराष्ट्रपति सचिवालय ने घोषणा की कि धनखड़ 23 जुलाई को जयपुर जाएंगे।  

शाम 4:30 बजे: बीजेपी नेताओं की एक बैठक हुई, जिसमें जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू शामिल नहीं थे।  

रात: धनखड़ ने अचानक राष्ट्रपति भवन जाकर अपना इस्तीफा सौंप दिया।  

इस टाइमलाइन से साफ है कि दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कुछ बड़ा हुआ। कुछ सूत्रों का कहना है कि धनखड़ का महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार करना सरकार को रास नहीं आया। वहीं, कुछ लोग इसे बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़ रहे हैं। चर्चा है कि बीजेपी नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाकर बिहार में अपनी situation मजबूत करना चाहती है।  

धनखड़ के इस्तीफे के बाद राज्यसभा की जिम्मेदारी फिलहाल  Deputy Chairman हरिवंश नारायण सिंह संभाल रहे हैं। संविधान के मुताबिक, 60 दिनों के भीतर नया उपराष्ट्रपति चुनना जरुरी  है।

धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब सवाल है कि आगे क्या होगा ? 

सियासी हलकों में अटकलें तेज हैं कि बीजेपी अब अपने किसी वफादार नेता को इस पद पर लाना चाहेगी। कुछ नामों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह या किसी वरिष्ठ बीजेपी सांसद की चर्चा है। इसके अलावा, बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए नीतीश कुमार का नाम भी जोर-शोर से उछाला जा रहा है। बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि नीतीश को उपराष्ट्रपति बनाना बिहार के लिए अच्छा होगा। क्या यह बीजेपी की बिहार में सीटें बढ़ाने की रणनीति है?  

सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने तहलका मचा रखा है। कुछ X यूजर्स ने इसे सियासी साजिश बताया, दावा किया कि धनखड़ सुप्रीम कोर्ट पर अपनी टिप्पणियों के कारण निशाने पर थे।  लेकिन एक पोस्ट ने सबका ध्यान खींचा, जिसमें दावा किया गया कि यह इस्तीफा बिहार चुनाव और कुछ बड़े सियासी मुद्दों, जैसे ऑपरेशन सिंदूर, से जुड़ा हो सकता है। हालांकि, ये सिर्फ अटकलें हैं, और कोई ठोस सबूत नहीं है। फिर भी, यह साफ है कि धनखड़ का इस्तीफा सियासत में एक बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। 

तो ये  थी जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की पूरी इनसाइड स्टोरी। क्या ये  सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से हुआ, या इसके पीछे कोई गहरी सियासत थी? क्या बीजेपी अब नीतीश कुमार को vice president  बनाकर बिहार में अपनी पकड़ मजबूत करेगी? आपकी राय क्या है? नीचे कमेंट में जरूर बताएं। 

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