बिहार सरकार को भारी पड़ता युवाओं पर लाठीचार्ज का मुद्दा 

The issue of lathicharge on the youth is costly for the Bihar government
बिहार सरकार को भारी पड़ता युवाओं पर लाठीचार्ज का मुद्दा 
(कुमार कृष्णन -विनायक फीचर्स) बिहार में राजनीति कैसे खेल दिखाती है यह तब स्पष्ट दिखाई दिया जब दिसम्बर माह की हाड़ कंपकपाती ठंड  के बावजूद आंदोलनरत छात्रों पर पानी की बौछार करवाने की जरूरत उन नीतीश कुमार को पड़ गयी जो स्वयं 1974 के छात्र आंदोलन की उपज हैं। बिहार लोक सेवा आयोग यानि बीपीएससी छात्रों पर लाठीचार्ज की घटना के बाद बिहार की सियासत में उबाल आ गया है। छात्रों पर लाठीचार्ज के बाद अब दूसरे दलों के नेता भी इस मामले में  राजनीति करने लगे हैं। पूरे विपक्ष ने नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

वही पटना की बर्बरतापूर्ण घटना के  खिलाफ दूसरे जिलों में भी छात्रों का विरोध प्रदर्शन आरंभ हो गया है।  कहा तो यह भी जा रहा है कि बीपीएससी ने जितनी छवि नीतीश कुमार की खराब की है, उतनी किसी ने नहीं की है। पूरे देश में सबसे ज्यादा वैकेंसी बिहार में आई, लेकिन बीपीएससी ने परीक्षा सही तरीके से नहीं कराई और सबसे ज्यादा बदनामी करा दी। 

The issue of lathicharge on the youth is costly for the Bihar government


बिहार में बीपीएससी परीक्षा में धांधली को लेकर छात्रों का आंदोलन उठ खड़ा हुआ है। छात्रों की मांग है कि सभी 912 केन्द्रों में बीपीएससी प्रारम्भिक परीक्षाएं दोबारा हों। इस मांग पर पखवाड़े भर से जारी आंदोलन को कुचलने के लिये बिहार सरकार अब बर्बरता पर उतर आई है। रविवार की रात को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान के पास एकत्रित हजारों परीक्षार्थियों पर पुलिस ने भीषण लाठी चार्ज किया और कड़कड़ाती ठंड में पानी की बौछारें की। यहां आंदोलनकारियों का जमावड़ा सुबह से होने लगा था जिन्हें पुलिस बार-बार चेतावनी दे रही थी कि उन्हें प्रदर्शन की इजाज़त नहीं है। इसे अनसुना करते हुए बड़ी संख्या में एकत्र हुए परीक्षार्थी पुलिस के बल प्रयोग से घायल हुए हैं तथा अनेक लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज हुई है। 


नौजवानों के इस जुटान का फायदा लेने के लिये जनसुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर भी पहुंचे और मुख्य सचिव से मिल आये। लौटकर उन्होंने इस बात का श्रेय लेने की कोशिश की कि ‘वे 5 प्रतिनिधियों के मिलने की अनुमति लाने में सफल हुए हैं। यदि इसके बाद भी परीक्षार्थी संतुष्ट न हुए तो उससे ऊपर बात की जायेगी।’  हालांकि रविवार को जब लाठी चार्ज हो रहा था, तो वे भी मौके से गायब ही हो गये थे। बहरहाल, यह मुद्दा अब लगातार गर्मा रहा है और लोगों में रोष है। बिहार विधानसभा चुनाव भी होने हैं जिसके लिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य भर में प्रगति यात्रा निकाल रहे हैं। युवाओं के साथ यह जुल्म और उनकी अनसुनी नीतीश व उनकी गठबन्धन सरकार को महंगी पड़ सकती है।
         बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70 वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने और दुबारा परीक्षा कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों पर वाटर कैनन का इस्तेमाल और लाठी चार्ज के मामले को लेकर सोमवार को पूर्णिया के निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव राजभवन पहुंचे और राज्यपाल  से मुलाकात की।

राजभवन से निकलने के बाद सांसद पप्पू यादव ने कहा कि राज्यपाल ने उनकी बातों को सुना। उन्होंने बताया," राज्यपाल ने उनके सामने ही बीपीएससी चेयरमैन से बात की और जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को बुलाने की बात कही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से बात करने का भी भरोसा दिया है। उन्होंने लाठीचार्ज की जांच की बात भी की है।"पप्‍पू यादव ने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर नाम लिए बिना कहा कि 'फ्रॉड किशोर' ने बच्चों को गालियां दीं। वे बच्चों की ताकत नहीं जानते हैं। निर्दलीय सांसद ने राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा है।

इसमें परीक्षा को पूर्ण रूप से रद्द करने और पुनर्परीक्षा कराने तथा लाठीचार्ज के दौरान महिला परीक्षार्थियों के साथ दुर्व्यवहार की निष्पक्ष जांच तथा प्रदर्शनकारी छात्रों पर दर्ज मुकदमा वापस लेने की मांग की है। इससे पहले पप्पू यादव ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करके प्रशांत किशोर पर अभ्यर्थियों को धमकाने का आरोप लगाते हुए लिखा, "प्रशांत किशोर ख़ुद नया नेता बने हैं, और छात्रों को धमका रहे हैं, अपनी औक़ात का धौंस दिखा रहे हैं। आज जब धेले भर की चुनावी औक़ात नहीं है तो अहंकार टपक रहा है, छात्रों के सामने बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं। छात्र पुलिस से पिट रहे थे आप पीठ दिखाकर भाग गए, सवाल पूछने पर गाली?" पप्पू यादव के मिलने के बाद बीपीएससी के चेयरमैन ने भी राज्यपाल से मिलकर उन्हें पूरी स्थिति से अवगत करा दिया है। पप्पू यादव के सामने ही राज्यपाल ने फोन कर बीपीएससी की चेयरमैन को बुलाया था। दूसरी ओर बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलनरत अभ्यर्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल बिहार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा से मिला। हालांकि, इस बातचीत का फिलहाल कोई नतीजा नहीं निकला है। इस बीच छात्रों ने धरना जारी रखने का निर्णय लिया है। प्रतिनिधिमंडल में शामिल अनु कुमारी ने कहा, "उन्होंने हमारी सारी बातों को सुना, ऐसा लगता है कि निर्णय होगा।

उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रेसी में एक पैमाना होता है, निर्णय लेने का। जांच करने के बाद निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री के पटना आने के बाद मुलाकात करवाने का भी आश्वासन दिया।"राम कश्यप ने कहा, "उनका कहना था कि एक केंद्र पर 18 हजार बच्चे हैं। ऐसा पहले भी हुआ है कि एक परीक्षा केंद्र की परीक्षा रद्द की गई है। इसके बाद मैंने 28 केंद्रों की सूची सौंपी, जिसमें अनियमितता बरती गई। प्रतिनिधिमंडल में शामिल सुभाष का कहना है कि जब तक निर्णय नहीं होता है तब तक धरना जारी रहेगा। मुख्य सचिव को कुछ सबूत भी दिए गए हैं। हम लोगों ने 4 जनवरी की बापू परिसर में पुनर्परीक्षा को स्थागित करने की बात भी कही है तथा छात्रों पर हुए मुकदमे को वापस करने की मांग रखी गई है।


70 वीं संयुक्त (प्रारम्भिक) परीक्षा को लेकर 18 दिसम्बर से प्रदर्शन जारी है। रविवार को परीक्षार्थियों ने प्रदर्शन का ऐलान कर रखा था। पुलिस ने पहले ही मैदान के सारे गेट बन्द कर दिये। परीक्षार्थी फिर भी मुख्यमंत्री निवास की ओर बढ़ने लगे। उन्हें पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रोक दिया। जब वे इसके बावजूद नहीं रुके तो उनके खिलाफ बल प्रयोग किया गया। उल्लेखनीय है कि इस परीक्षा के लिये सितम्बर में विज्ञापन जारी हुआ था। इसमें शामिल होने के लिये लगभग 5 लाख लोगों ने आवेदन किया था। 3.25 लाख ने 13 दिसम्बर को परीक्षा दी परन्तु इसके पर्चे लीक होने, कई कोचिंग संस्थानों द्वारा दिये गये प्रश्नपत्रों से सवाल मिलने तथा अन्य अनियमितताओं के कारण इस परीक्षा को रद्द करने की मांग होने लगी, लेकिन बीपीएससी परीक्षा नियंत्रक राजेश कुमार सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि ‘परीक्षा रद्द होने का सवाल ही नहीं है। बेहतर है कि परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा की तैयारियों में जुट जायें।


यह मुद्दा कहां तक जाता है और सरकार परीक्षार्थियों की मांगें पूरी करती है या नहीं, यह तो आने वाला वक़्त ही बतायेगा, परन्तु रविवार के प्रदर्शन में हुई पुलिस कार्रवाई का खामियाजा नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) एवं सहयोगी भारतीय जनता पार्टी के गठबन्धन को भुगतना पड़ सकता है जिन्हें फिर से जनता का सामना करना है। प्रदर्शनकारियों का तो साफ़ कहना था कि ‘उनकी परीक्षा के बाद 2025 में नीतीश कुमार सरकार की परीक्षा होगी।’ इशारा साफ़ है कि दोनों पार्टियों का मताधार खिसक सकता है।  सीपीआई एमएल तो पहले से ही इस आंदोलन का समर्थन कर रहा है। प्रमुख विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि ‘परीक्षार्थियों के साथ जो ज्यादती की गयी है, उसे देखकर कलेजा कांप जाता है।

अन्य विपक्षी दल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी आदि भी नीतीश सरकार पर हमलावर हो गये हैं। केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज को गलत बताया है।उन्होंने कहा कि पटना में हुए छात्रों पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन के इस्तेमाल का मैं कभी समर्थक नहीं रहा, पुलिस को संयम बरतना चाहिए। छात्र अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे हैंं, तो उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से समझा कर उनकी समस्याओं के निदान के लिए प्रयास करना चाहिए, न कि लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल। केंद्रीय मंत्री ने कहा, "मैंने मुख्यमंत्री से भी कहा है कि ऐसे पुलिस अधिकारी जो ऐसे कार्यों में संलिप्त पाए जाते हैं, उन पर भी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

मंत्री चिराग पासवान ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "बिहार के युवाओं और बीपीएससी अभ्यर्थियों के मुद्दों को लेकर एनडीए सरकार के प्रमुख सहयोगी होने के नाते मैंने बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तुरंत हस्तक्षेप की अपील की है, इसके परिणामस्वरूप सरकार की ओर से मुख्य सचिव ने अभ्यर्थियों और छात्रों के साथ संवाद की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द ही इस पहल के सार्थक परिणाम दिखेंगे। यह हमारी सरकार की सकारात्मक सोच और छात्रों के प्रति संवेदनशीलता का परिणाम है।" हालांकि उन्होंने अभ्यर्थियों से भी शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके से अपनी बातों को सरकार के समक्ष रखने की अपील करते हुए कहा कि वे  भी राजनीतिक व्यक्तियों के बहकावे में आने से बचें। उन्होंने छात्रों को भरोसा देते हुए कहा कि लोजपा (रामविलास) हर कदम पर युवाओं के साथ खड़ी है।इधर, बिहार के मंत्री सुनील कुमार ने बीपीएससी पुनर्परीक्षा की मांग को लेकर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बयान से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता भी अपनी बात कर रहे हैं, उनका यह अधिकार है। लेकिन, इस मामले में बीपीएससी गहराई से जांच करेगा और वही निर्णय लेगा।


यह मामला नीतीश कुमार पर इसलिये भारी पड़ सकता है क्योंकि रोजगार बिहार का एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। जिस तरह से राज्य की इस सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण परीक्षा को सरकार की कार्यपद्धति ने संदिग्ध और अपारदर्शी बना दिया है, उसके कारण युवाओं एवं आम जनता में भारी रोष है। लोगों को अब वे दिन भी याद आ रहे हैं जब जेडीयू एवं आरजेडी की सरकार थी और उस समय बड़ी तादाद में लोगों को रोज़गार मिले थे। पिछले लगभग एक दशक में बिहार में सबसे ज्यादा भर्तियां उसी दौरान हुई थीं। इसे गर्व के साथ दोनों ही दल (जेडीयू-आरजेडी) बतलाया करते थे। परिस्थितियां तब बदलीं जब दोनों दल अलग हो गये। नीतीश कुमार ने पाला बदलकर भाजपा के साथ सरकार बना ली थी। उस अवसर पर जब विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही थी तो नीतीश कुमार एवं भाजपा के लोगों ने यह कहा था कि ‘नौकरियां बांटने का काम केवल तेजस्वी ने नहीं किया बल्कि उसके पीछे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हाथ था। उनकी मंजूरी से ही भर्तियां हुई थीं। नौकरियां आगे भी मिलती रहेंगीं।’बहरहाल, अब जब से जेडीयू-भाजपा की सरकार बनी, प्रदेश में भर्तियां एक तरह से या तो रूक गयी हैं या प्रश्न पत्र लीक होने अथवा उनके संदेहास्पद हो जाने के कारण परीक्षाएं रद्द होने का सिलसिला बना रहता है। नीतीश सरकार को इस मुद्दे पर अविलम्ब आंदोलनकारियों से बात करके इस मामले को सुलझाना पड़ेगा। इसके साथ ही परीक्षाएं पारदर्शी तथा पूर्णतः निष्पक्ष होनी तो चाहिए साथ ही दिखाई भी देनी चाहिये ताकि उसे लेकर किसी के मन में कोई भी शंका न रहे। तभी सरकार इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल कर पाएगी।(विनायक फीचर्स)

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