वैष्णावाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज जी के द्वारा लखनऊ में पहली बार कथा कही जा रही है
The story is being told for the first time in Lucknow by Vaishnavacharya Shri Pundarik Goswami Ji Maharaj Ji.
Sat, 18 Jan 2025

लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।श्रीराधारमण सेवा समिति के तत्वावधान में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया है जिसकी प्रेस कान्फ्रेन्स कथा स्थल डी.ए.वी. कालेज,प.ं रास बिहारी तिवारी मार्ग ऐशबाग लखनऊ में सम्पन्न हुई।
आयोजक अमरनाथ मिश्र ने जानकारी देते हुए बताया कि राधारमण वृन्दावन के आचार्य परमाराध्य श्री मन्माध्व गौड़ेश्वर वैष्णावाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज जी के द्वारा लखनऊ में पहली बार कथा कही जा रही है, आये हुए भक्तों को पुण्डरीक जी महाराज द्वारा मधुर भजनों एवं रसमय कथा प्रसंगों से ओत-प्रोत करते रहेंगे, श्रीमद् भागवत की अनेक अद्भुत कथाएं सुनने, दिब्य प्रसंगों लीलाओं का आनन्द श्रोता ले सकेंगे, प्रत्येक दिन अलग-अलग भोग का प्रसाद वितरण किया जायेगा।
कथा दिनांक 19 जनवरी से प्रारम्भ होकर 25 जनवरी, 2025 को समापन होगा, जिसमें 19 जनवरी को सायं 4 बजे से 7 बजे तक, 20जनवरी से 24 जनवरी तक दोपहर 2बजे से 5 बजे तक एवं 25 जनवरी को प्रातः 10 से 1 बजे तक कथा कही जायेगी, तत्पश्चात भण्डारे का आयोजन किया गया है, एक हजार भक्तों को बैठने के लिए भव्य पण्डाल लगवाया गया है, कथा स्थल के समीप चरण पदुका स्टैण्ड बनवाया गया है। ठंड को देखते हुए चाय की व्यवस्था की गयी है, कथा व्यवस्था को देखने के लिए 200 स्वयं सेवक भक्त लगाये गये है जो कि मुख्य द्वार से कथा स्थल तक भक्तों को पहुचाने का कार्य करेंगे। जो भक्त आने जाने में अस्मर्थ है उन्हें कथा स्थल तक लाने ले जाने हेतु ई-रिक्सा की व्यवस्था की गयी है, कथा प्रांगण में सुरक्षा व्यवस्था को देखने के लिए 25 सुरक्षा गार्ड लगाये गये है। दो पहिया एवं 4 पहिया वाहन पार्किग के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गयी है। व्यापक प्रचार प्रसार हेतु पूरे शहर में 1 हजार होर्डिग लगायी गयी है।
मुख्य रूप से आयोजक राजेन्द्र कुमार अग्रवाल, अमरनाथ मिश्र, लोकेश अग्रवाल, समीर मित्तल, नवीन गुप्ता, शिवम अग्रवाल, आनन्द रस्तोगी, राहुल गुप्ता संयोजक मनमोहन तिवारी, सुनील मिश्र, मनोज राय,अनुराग मिश्र(पार्षद) सन्दीप शर्मा (पार्षद), साकेत शर्मा, चारू मिश्र, अरविन्द तिवारी, कुश मिश्र, ऋतुराज रस्तोगी, सुमित गुप्ता, अमित अग्रवाल, विवेक अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।
डा0 पुण्डरीक गोस्वामी जी
श्रीराधारमणो जयति। जय गौर
परिचय
कलि पवनावतार भगवान श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु की कृपा और आज्ञा से षड.गोस्वामीयों के द्वारा कलि युग में श्रीवृन्दावन धाम का प्रकाश हुआ। व्रजमण्डल के गोस्वामीगणों में अनन्यतमए श्रीमन्महाप्रभु द्वारा पट्टाभिषिक्त श्रीपाद गोपालभट्ट गोस्वामी जी ने गौड़ीय
सम्प्रदाय के सिद्धान्त की स्थापना की और सम्प्रदाय के उपास्य देव स्वयंभू श्रीराधारमण देव जी का प्राकट्य हुआ। श्रीपाद गोपालभट्ट गोस्वामी जी के कृपापात्र श्रील दामोदरदास गोस्वामी जी को श्रीराधारमण जी की सेवा पधरायी गयी, और उनके वंशजो द्वारा इस आचार्य परम्परा का विस्तार हुआ।
इसी परम्परा के रत्नद्वय श्रीअतुलकृष्ण गोस्वामी जी और श्री भूति कृष्ण गोस्वामी जी, ने श्रीकृष्ण-कथामृत की विमल रसधारा को सम्पूर्ण भारतवर्ष में प्रवाहित किया। उनके इस दिव्य कथा-प्रवाह से जो नवनीत प्रकट हुआ, वह हैं उनके आत्मज, आचार्य डा॰ पुण्डरीक गोस्वामी जी। वे “श्रीमन्माध्व गौड़ीय वैष्णवाचार्य” परम्परा के वर्तमान आचार्य हैं।
डा॰ पुण्डरीक गोस्वामी जी में “आत्मा वै जायते पुत्र” का सूत्र प्रत्यक्ष चरितार्थ होता है। उनकी वाणी में उनके पितामहए श्रीचैतन्य कृष्णाश्रय तीर्थ स्वामी जी (श्रीअतुलष्ण गोस्वामी जी) की गाम्भीर्यता और रसपूर्णता प्रकाशित होती है। उनके पिताए श्रीभूति कृष्ण गोस्वामी जी का भाव, उत्साह और शब्द प्रवाह, महाराजश्री की कथा में सजीव हो उठते हैं। अपने पूर्वाचार्यों का अनुगमन करते हुए डा॰ पुण्डरीक गोस्वामी जी, श्रीराम, कृष्ण और गौर-कथा के माध्यम से वैश्विक स्तर पर हरिभक्ति का प्रचार कर रहे हैं।
विशेष उपलब्धियाँ
डा॰ पुण्डरीक गोस्वामी जी की प्रेरणा और नेतृत्व में अनेक अनोखी पहलें हुई हैं। पूज्य महाराज जी ने भारत के इतिहास में पहली बार भारत के यशस्वी उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन उपराष्ट्रपति भवन में किया।यह घटना भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के इतिहास में एक अनूठा अध्याय है।
महाराज श्री युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत और वरिष्ठ वैष्णवों के लिए स्नेहभाजन हैं। वे मानसरोवर विश्वविद्यालयए भोपाल से डॉक्टरेट (डी.-लिट) की उपाधि से सम्मानित हैं। उन्होंने डपबीपहंद न्दपअमतेपजल ;न्ै।द्धए ठपतउपदहींउ न्दपअमतेपजल ;न्ज्ञद्धए श्रछन् ;छमू क्मसीपद्धए ठीन ;टंतंदंेपद्धए प्प्ज्े जैसे संस्थानों में भारतीय संस्कृति और धर्म पर शोधार्थियों को प्रेरित किया। वे ज्म्क् ज्ंसो और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय सनातन संस्कृति का प्रचार कर चुके हैं।
श्री राम मंदिर, अयोध्या के उद्घाटन के बाद, अयोध्या में आयोजित पहली श्रीमद्भागवत कथा के आयोजक के रूप में भी महाराजश्री का योगदान उल्लेखनीय है।
सेवाएँ और प्रकल्प
महाराज श्री द्वारा संचालित अनेक प्रकल्प समाज.कल्याण के लिए समर्पित हैं,
. निमाई पाठशाला: महाराजश्री की पत्नी, सौ. श्रीरेणुका गोस्वामी जी द्वारा संचालित यह पाठशाला बच्चों और युवाओं को श्रीराधारमण जी की ओर प्रेरित करती है।
. वैजयन्ती वेद पीठः ब्राह्मण बटुकों को वैदिक शिक्षा प्रदान करने वाला केंद्र।
. गोपाल क्लबः आधुनिक पीढ़ी को पारंपरिक भारतीय कलाए वेशभूषा और उत्सवों से जोड़ने का प्रयास।
डा॰ पुण्डरीक गोस्वामी जी द्वारा वृन्दावन, अमृतसर, लुधियाना और जालंधर में संचालित आश्रमों और गौशालाओं में भक्ति, गौसेवा और साधुसेवा की परंपरा जीवंत है।
निष्कर्ष
श्रीचैतन्य महाप्रभु की दिव्य आज्ञा को प्रत्यक्ष करते हुए डा॰ पुण्डरीक गोस्वामी जी वैश्विक स्तर पर भारतीय सनातन संस्कृति का प्रसार कर रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी और साधु-स्वभाव सभी को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। वे न केवल धार्मिक परंपराओं के संवाहक हैं, बल्कि समाज के हर वर्ग के पोषण और उत्थान हेतु निरंतर प्रयासरत हैं।