जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: स्वास्थ्य कारण या सियासी दबाव?

 
The Mystery of Jagdeep Dhankhars Resignation Whats the Real Reason

 21 जुलाई 2025 की वो रात जब भारत के Vice President जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, इस खबर ने पूरे देश को चौंका दिया। health reasons को official reason बताया गया, लेकिन क्या यह पूरी सच्चाई है? या इसके पीछे छिपा है कोई गहरा सियासी खेल ? ये सब जानेंगे इस वीडियो में तो वीडियो को लास्ट तक जरूर दखिएगा।  

सोमवार, 21 जुलाई 2025, संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुआ। जगदीप धनखड़, जो  Vice President और Rajya Sabha के Chairman थे, पूरे दिन सदन की कार्यवाही में active  थे। सुबह 11 बजे उन्होंने सत्र शुरू किया, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। दोपहर में बिजनेस एडवाइजरी कमेटी  की मीटिंग में हिस्सा लिया। शाम 5:45  तक वो कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, प्रमोद तिवारी और अखिलेश प्रसाद सिंह से मिले। जयराम रमेश ने तो रात 7:30 बजे तक धनखड़ से फोन पर बात की थी। सब कुछ normal  लग रहा था।  लेकिन रात 9:25 पर अचानक उनके आधिकारिक X हैंडल से इस्तीफे की खबर आई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में धनखड़ ने कहा, "स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सा सलाह के चलते मैं तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूँ।"  

सवाल ये है कि दिनभर स्वस्थ दिखने वाले धनखड़ को कुछ ही घंटों में ऐसा क्या हुआ कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा? और अगर स्वास्थ्य कारण इतना गंभीर था, तो क्या वो सत्र शुरू होने से पहले इस्तीफा नहीं दे सकते थे?  

धनखड़ ने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। सूत्रों के मुताबिक, मार्च 2025 में उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया था, जहां उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी। नैनीताल में भी उनकी तबीयत बिगड़ने की खबरें थीं। परिवार ने उन्हें स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की सलाह दी थी।  

लेकिन विपक्ष इस वजह पर भरोसा नहीं कर रहा। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, "शाम 5 बजे तक वो स्वस्थ थे। मैंने उनसे फोन पर बात की, वो परिवार के साथ थे और अगले दिन की मीटिंग की बात कर रहे थे।" कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने पूछा, "सुबह तक संसद में थे, एक घंटे में ऐसा क्या हो गया?"  

वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई का कहना है कि अगर स्वास्थ्य ही वजह थी, तो इस्तीफा सत्र शुरू होने से पहले हो सकता था। वो इसे बीजेपी और आरएसएस के बीच चल रहे सियासी खेल से जोड़ते हैं।  

अब बात करते हैं उस घटनाक्रम की, जिसे धनखड़ के इस्तीफे की असली वजह माना जा रहा है। 21 जुलाई को धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार किया। यह प्रस्ताव इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस जज के खिलाफ कथित "कैश एट होम" मामले में था।  

दिलचस्प बात ये है कि सरकार इस प्रस्ताव को लोकसभा में लाना चाहती थी, और इसके लिए विपक्ष को भी भरोसे में लिया गया था। लेकिन धनखड़ ने बिना सरकार से चर्चा किए इसे राज्यसभा में स्वीकार कर लिया, जिससे बीजेपी का top leadership नाराज हो गया। सूत्रों के मुताबिक, सरकार को इसकी जानकारी तक नहीं थी।  

कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा, "धनखड़ ने इस प्रस्ताव को जिस सक्रियता से संभाला, क्या वही उनके इस्तीफे की आखिरी वजह बन गया?" X पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया कि बीजेपी ने धनखड़ के इस कदम को अपनी रणनीति के खिलाफ माना और उनसे इस्तीफा मांगा गया।  

इसके अलावा, दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कुछ और भी हुआ। बीजेपी नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग में नहीं आए, और धनखड़ को इसकी जानकारी भी नहीं दी गई। कांग्रेस का दावा है कि यह धनखड़ का अपमान था, जिसने उन्हें इस्तीफे के लिए मजबूर किया।  

कांग्रेस सांसद नीरज डांगी ने तो साफ कहा कि यह इस्तीफा धनखड़ की मर्जी से नहीं, बल्कि सरकार के दबाव में लिया गया। कुछ सूत्रों के मुताबिक, धनखड़ ने कई बार सरकार को असहज स्थिति में डाला, जिसके चलते बीजेपी शीर्ष नेतृत्व उनसे नाराज था।  

धनखड़ के इस्तीफे ने विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया। कांग्रेस, RJD, और सपा ने इसे बीजेपी की असहमति न बर्दाश्त करने की नीति से जोड़ा। जयराम रमेश ने कहा कि धनखड़ ने विपक्ष को जितना हो सका, बोलने का मौका दिया, लेकिन बीजेपी को यह पसंद नहीं आया।  

शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने याद दिलाया कि धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने 2024 में अविश्वास प्रस्ताव लाया था, लेकिन अब वो सरकार के निशाने पर आ गए। विपक्ष का असली निशाना पीएम मोदी हैं, और वो इस इस्तीफे को बीजेपी की आंतरिक कलह का सबूत बता रहे हैं।  

तो क्या जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की असली वजह कभी सामने आएगी? स्वास्थ्य कारण, जस्टिस वर्मा का महाभियोग प्रस्ताव, या सरकार से मतभेद - इनमें से क्या सच है? या फिर ये सब मिलकर एक बड़ा सियासी खेल है?  X पर कुछ यूजर्स का कहना है कि धनखड़ को राष्ट्रपति बनने की उम्मीद थी, लेकिन बीजेपी ने उन्हें हाशिए पर डाल दिया। वहीं, कुछ का मानना है कि यह इस्तीफा बिहार की राजनीति और आरएसएस-बीजेपी के रिश्तों से जुड़ा है। लेकिन अब तक कोई ठोस सबूत नहीं है। 

 जगदीप धनखड़ का इस्तीफा भारतीय राजनीति का एक ऐसा पहेली है, जिसका जवाब शायद समय ही देगा। लेकिन इतना तय है कि इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों से ज्यादा सियासी कारण हैं। आप क्या सोचते हैं? क्या धनखड़ ने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया, या उन पर दबाव था ? कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं।

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