नाटक “बाप रे बाप” ने दर्शकों को गुदगुदाते हुए दिया बुजुर्गों के सम्मान का संदेश

The play "Baap Re Baap" tickled the audience and gave the message of respect for elders
 
The play "Baap Re Baap" tickled the audience and gave the message of respect for elders

लखनऊ डेस्क(आर एल पाण्डेय)।संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली और “थिएटर एंड फिल्म वेलफेयर एसोसिएशन” के संयुक्त तत्वावधान में “प्रांजल आर्ट्स एंड डेवलपमेंट सोसाइटी” की ओर से तीन दिवसीय “प्रथम रंगकर्म महोत्सव” का आयोजन 2 से 3 जनवरी तक गोमती नगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के वाल्मीकि रंगशाला में किया जा रहा है।

संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के विशेष सहयोग से आयोजित इस महोत्सव की दूसरी संध्या 2 जनवरी को “नव अंशिका फाउण्डेशन” की ओर से पद्मश्री के.पी. सक्सेना रचित मशहूर हास्य नाटक “बाप रे बाप” का मंचन नीशू त्यागी के कुशल निर्देशन में मुख्य अतिथि हरिदास अंकुरानंद जी महाराज(कथा वाचक) श्री धाम अयोध्या और विशिष्ट अतिथि अब्दुल वहीद महामंत्री उ०प्र० जिला मान्यता पत्रकार एसोसियेशन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।


 नाटक ने यह प्रभावी संदेश दिया कि बुजुर्ग अभिभावकों को समुचित महत्व दिया जाना चाहिए नहीं तो स्थितियां इतनी विपरीत हो जाएंगी कि लोग आप पर हंसते हुए कहेंगे “बाप रे बाप”।कथानक के अनुसार नायक विकास के पिता बाबू बद्रीनाथ अपने घर से कहीं चले जाते हैं। ऐसे में परिजन मजबूरी में नकली पिताजी का बंदोबस्त करते हैं।

इस जुगत में एक समय में कई पिताजी उपस्थित होकर परिस्थितियों को सुलझाने के बजाए हास्यजन्य बना देते हैं। अंत में वास्तविक पिताजी घर लौटकर बताते हैं कि वह तो बहू मीनू को सूचित करके गये थे। मीनू अपने भुड़क्कलपन की आदत पर शर्मिन्दा होती है और नाटक का सुखांत हो जाता है। इसमें मंच पर विकास भटनागर का शशांक पाण्डेय, मीनू का अर्पिता, नूरबख्श का ऋषभ पाण्डेय, लिली का अनामिका सिंह चौहान, रेडियो एनाउंसर का विवेक रंजन सिंह, धोबी का अभय सिंह रावत, दूधवाला का अभिषेक शर्मा, पंडित जी का डॉ. साधना वाजपेयी, फज़ल इलाही का किरदार कुलदीप श्रीवास्तव, गूंगे पिता एक का बबलू, नकली पिता दो का शिवम् शुक्ल, जासूस रिपोर्टर का रुचि रावत और असली पिता का रोहित श्रीवास्तव ने अभिनय कर प्रशंसा हासिल की। दूसरी ओर प्रस्त़ुति का आकर्षण बढ़ाते हुए मंच सज्जा का दायित्व डॉ. साधना और मोनिका ने बखूबी संभाला।

मंच सामग्री व्यवस्था में अभय, अभिषेक, कुलदीप की केन्द्रीय भूमिका रही। मुख सज्जा का कार्य अर्पिता और अनामिका ने जबकि वेशभूषा का रुचि मोनिका ने सम्पादित किया। प्रस्तुति व्यवस्था का भार ऋषभ पाण्डेय और मंच निर्माण का शिवम्, बबलू, रोहित ने संभाला। मंच नियंत्रण का कार्य अनामिका सिंह चौहान ने किया जबकि प्रकाश परिकल्पना तमाल बोस की नाट्याऩुरूप रही। इसके आयोजक दबीर सि‌द्दीकी और संयोजक आकर्ष शर्मा थे। इस क्रम में 3 जनवरी को श्री नाट्य फाउण्डेशन की ओर से जे.पी. सिंह जयवर्धन के लिखे नाटक “दरोगा जी चोरी हो गई” का मंचन निशा बेगम के निर्देशन में शाम 6:30 बजे वाल्मीकि रंगशाला में किया जाएगा।

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