वर्तमान सरकार ने वंचित वर्गों के मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है: लाल सिंह आर्य

The current government has given top priority to the issues of the underprivileged sections: Lal Singh Arya
 
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दिल्ली।  दिल्ली विश्वविद्यालय स्थित गाँधी भवन में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के प्राध्यापकों के साथ एक विशेष शिक्षक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस संवाद में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लाल सिंह आर्य ने बतौर मुख्य अतिथि सहभागिता की। कार्यक्रम की अध्यक्षता पुस्तकालय विभाग के प्रोफेसर एवं गाँधी भवन के निदेशक प्रो. के. पी. सिंह ने की, जबकि संचालन प्रो. मनोज कुमार कैन ने किया।

शिक्षकों ने रखीं अहम शैक्षणिक व सामाजिक चिंताएँ

 

संवाद कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों ने दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार और चिंताएँ साझा कीं। उन्होंने कॉलेजों में प्राचार्य पदों पर आरक्षण के अभाव, विश्वविद्यालय प्रशासन के उच्च पदों पर आरक्षित वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व न मिलने, तथा सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पदों पर स्थायी नियुक्तियों में एससी, एसटी एवं ओबीसी अभ्यर्थियों को ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ घोषित किए जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की।शिक्षकों ने इसे केंद्र सरकार की आरक्षण नीति की अवहेलना बताते हुए विश्वविद्यालय में डॉ. भीमराव अम्बेडकर चेयर की स्थापना, ट्राइबल स्टडी सेंटर की तर्ज पर दलित स्टडी सेंटर खोले जाने की मांग भी रखी।

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नियुक्ति प्रक्रिया और बैकलॉग पदों पर सवाल

 

कई शिक्षकों ने एससी/एसटी/ओबीसी बैकलॉग और शॉर्टफॉल पदों को समय पर न भरे जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि इन पदों के स्थान पर ईडब्ल्यूएस श्रेणी के पद भरे गए, जबकि शिक्षा मंत्रालय से अभी तक स्पष्ट दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।

एक सहायक प्रोफेसर ने चयन समितियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि पैनल निर्माण के दौरान सीनियरिटी का ध्यान नहीं रखा गया, जिससे आरक्षित वर्ग के शिक्षकों में असंतोष व्याप्त है। कुछ प्रोफेसरों ने यह भी बताया कि कई कॉलेजों में आरक्षित वर्ग के प्राचार्य सामान्य श्रेणी से नियुक्त दर्शाए गए हैं, जबकि प्राचार्य पदों के विज्ञापनों में आरक्षण का प्रावधान नहीं किया जा रहा।

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सामाजिक न्याय की अवधारणा को आगे बढ़ाने की आवश्यकता

 

एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने कहा कि इस तरह के संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से उठाए गए मुद्दे यदि विश्वविद्यालय प्रशासन और शिक्षा मंत्रालय तक पहुँचते हैं, तो सरकार और संगठन की उस परिकल्पना को साकार किया जा सकता है, जिसमें समता, समानता, बंधुत्व, समरसता और सामाजिक न्याय को केंद्रीय स्थान दिया गया है।

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लाल सिंह आर्य का संबोधन

 

मुख्य अतिथि श्री लाल सिंह आर्य ने उपस्थित शिक्षकों और बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए कहा कि दलित समाज ने सदैव राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि संवाद के दौरान उठाए गए सभी प्रश्नों और सुझावों को विश्वविद्यालय प्रशासन एवं सरकार के समक्ष रखा जाएगा।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश के 27 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में डॉ. अम्बेडकर चेयर स्थापित हैं और अनेक विश्वविद्यालयों में अम्बेडकर विचारधारा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है।श्री आर्य ने कहा कि वर्तमान सरकार के एजेंडे में वंचित वर्गों के मुद्दे सर्वोपरि हैं और प्रत्येक सरकारी निकाय में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पहले दलितों के नाम पर केवल राजनीति होती थी, जबकि वर्तमान सरकार ने समस्याओं के समाधान पर ठोस कार्य करते हुए उनकी वास्तविक भागीदारी सुनिश्चित की है। दलित समाज के महापुरुषों और संतों के नाम पर विश्वविद्यालयों की स्थापना इसी सोच का परिणाम है।

पाठ्यक्रमों में बहुजन नायकों का समावेश जरूरी

श्री आर्य ने पाठ्यक्रमों में बहुजन एवं दलित समाज के महानायकों को शामिल करने पर बल दिया। उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम और आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले ऊदा देवी, झलकारीबाई कोरी, उधम सिंह, उदया चमार और बिजली पासी जैसे शहीदों को स्मरण करते हुए उनके योगदान को नई पीढ़ी तक पहुँचाने की आवश्यकता बताई।

उन्होंने कहा कि सरकार विकसित भारत–2047 के लक्ष्य को लेकर वंचित वर्गों के उत्थान और उनकी भूमिका को लेकर गंभीर है। बीते दस वर्षों में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चलाई गई विभिन्न योजनाओं से दलित और पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य किया गया है।

अध्यक्षीय उद्बोधन

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. के. पी. सिंह ने कहा कि बीते चार वर्षों में दिल्ली विश्वविद्यालय में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 5000 शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति, 23 हजार प्रमोशन यूनिट, कई अध्ययन केंद्रों की स्थापना तथा चार आरक्षित वर्गों के प्राचार्यों की नियुक्ति कर सामाजिक समरसता को मजबूत किया गया है।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत डॉ. अम्बेडकर और दलित विमर्श से जुड़े अनेक बहुजन नायकों को पाठ्यक्रम में स्थान दिया जा रहा है। कुलपति प्रो. योगेश सिंह के प्रयासों से विभिन्न सामाजिक और राष्ट्रीय महापुरुषों की जयंती विश्वविद्यालय स्तर पर मनाई जा रही है।

आभार प्रदर्शन

कार्यक्रम के अंत में डॉ. रजत चौधरी ने मुख्य अतिथि श्री लाल सिंह आर्य सहित विभिन्न कॉलेजों और विभागों से आए शिक्षकों, कर्मचारियों एवं शोधार्थियों का आभार व्यक्त किया।

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