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विनोबा सेवा आश्रम से 22 को प्रारंभ ब्रह्मविद्या मंदिर होकर सुघड़ आश्रम में प्रणाम कर 29 मार्च को पूर्ण हुई यात्रा

The journey started from Vinoba Seva Ashram on 22nd and was completed on 29th March after visiting Brahmavidya Mandir and paying obeisance at Sughad Ashram
 
The journey started from Vinoba Seva Ashram on 22nd and was completed on 29th March after visiting Brahmavidya Mandir and paying obeisance at Sughad Ashram

लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)। विनोबा विचार प्रवाह के सूत्रधार रमेश भइया ने बताया कि विज्ञान के  वश में होकर एक सप्ताह से आप सब तक प्रवाह नहीं पहुंच।सका।क्योंकि 25 मार्च की सुबह से ही फोन कुछ ऐसा खराब हुआ। कि फिर काम हो नहीं किया। अहमदाबाद में बहुत प्रयास हुए।अंततः जयेश भाई के पास फोन खराब होने का पहुंचना था

 कि उसका त्वरित हल प्रिया और विनय भाई को निकालने को कहा गया।  अब प्रयास रहेगा कि कल विनोबा विचार प्रवाह आप तक प्रवाहित हो। ब्रह्मविद्या मंदिर का स्थापना दिवस 25 मार्च आदरणीया उषा दीदी के प्रवचन ने ब्रह्मविद्या के दर्शन कराए। दोपहर बाद ढाई से साढ़े चार बजे तक सभी के जीवन  को   ब्रह्मविद्या मंदिर ने कितना स्पर्श  किया , कंचन दीदी का संबोधन हृदय से अत्यंत निकट का रहा।इसी सत्र में विनोबा विचार प्रवाह द्वारा प्रकाशित गीता स्वाध्याय पुस्तक का अति साधारण रूप से विमोचन हुआ।


 अपने आशीर्वाद देते हुए बड़ौदा की अमी दीदी भट्ट ने प्रवाह टीम के  प्रयास की सराहना की।   उसी दिन शाम को हावड़ा_ अहमदाबाद एक्सप्रेस से  डा अशोक हिउरे के सौजन्य से  अहमदाबाद की यात्रा शुरू की ,इस बार की यह यात्रा  चूंकि स्लीपर क्लास की थी उस पर टिकट कन्फर्म न होना, दो सीटों के बीच में कितनी सुंदर नीद का दर्शन संजय भाई ने कराया।

इसलिए सुघड़ पहुंचते ही भोजन के बाद आराम की गई। शाम को जागते रहो यात्रा  भी यहां पहुंची जिसमें राजेंद्र यादव, जम्मू बेन,किशन सिंह बामणिया,और जोधपुर के श्री इंसाफ भाई भी रमजान के बाबजूद काफी दिनों से यात्रा में ही है। शाम छः बजे अदालज पी टी सी छात्रावास पहुंचे।जहां बेटियों के मुख से शिव श्रोत और अदभुत प्रार्थना सुनी। श्री अजय पांडे जी ने  बहुत  सुंदर बात कही। केतुका बहन की तपस्या के दर्शन किए। दिन में अजीत भाई धीरू मामा संदीप भाई सब मिलने आए।

27 का योग 9  तो 9 बजे जयेश भाई का आना हुआ। सभी से भेंट स्वल्पाहार के बाद हम लोग 11 बजे  प्रार्थना में बैठना हुआ। सर्वधर्म प्रार्थना के बाद  मौन खुला और कुछ बोलने को जयेश भाई ने कहा। सुघड़ की कौन प्रशंसा नहीं करेगा। मौन संकल्प की तीन माह की पूर्णता पवनार में हुई और अगले त्रैमास की शुरुआत अहमदाबाद से हुई।दोपहर बाद लीलापुर जाना हुआ।

जहां अब पूर्णरूप से अनार बहन का सपना साकार हो चुका था। क्राफ्टरूट  का प्रशिक्षण केंद्र, उत्पादन केंद्र ,सेवा कैफे आदि दिखाया गया। जयेश भाई की मां वास्तव में कार्यकताओं की मां वसुधा बेन से भी भेंट हुई।  28 से 30 मार्च तक सांग ऑफ सोल की रिट्रीट राखी गई थी। जिसके आयोजक मधुसूदन भाई शालिनी बहन ,शीतल भाई उर्मिला बहन  आदि आ चुके थे। 28 की सुबह सभी प्रतिभागी शांति स्तंभ के पास इकट्ठा हुए प्रास्ताविक किशन भाई ने कहा और मौन यात्रा पूर्णकर  हाल में पहुंचे । वहां बाबा की वाणी सुनने का मौका मिला। सभी का परिचय सुना। सभी मृत्यु पर अपने अनुभव रखे। बाबा ने मृत्यु का रिहर्सल करने का संदेश देता।

 मेरी ट्रेन दिल्ली की शाम को 7 बजे की थी अतः 5 बजे उपनिषद हाल में रामहरि mm मधुसूदन द्वाराऔर स्नेह साधना प्रिया द्वारा ,नंदिनी बेन  के संचालन से जुड़ी फिल्म विनय द्वारा दिखाई गई। उदय भाई के साथ स्टेशन आना हुआ। ट्रेन 7 बजे आई और 7  बजकर 10 मिनट पर चल पड़ी। अहमदाबाद से दिल्ली के साफ सुथरी और सुंदर व किफायती किराए में गरीब रथ से दूसरे दिन 11 बजे रोहिला सराय स्टेशन पहुंची जहां मोहित और यादवेंद्र भाई लेने पहुंच चुके थे।रोहिणी आकर।   श्रीभगवान शर्मा जी से भेंट और उनके पोते के जन्म की बधाई देकर अपराह्न 2 बजे शाहजहांपुर के लिए नंदन के साथ निकल  पड़े। 29 तारीख को  साढ़े आठ बजे आश्रम  पहुंच गए। आज 30 तारीख से  दुर्गा मां के अनुष्ठान में जुड़ गए। 

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