रामायण में हनुमान की भूमिका: भक्ति, वायुगतिकी और ब्रह्मांडीय चेतना का वैदिक विज्ञान

लेखक: प्रोफ. भरत राज सिंह, महानिदेशक (तकनीकी), वैदिक विज्ञान केंद्र, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज, लखनऊ : रामायण मात्र एक धार्मिक महाकाव्य नहीं है; यह मानव चेतना, ऊर्जा विज्ञान और दैवीय वायुगतिकी (Divine Aerodynamics) के अद्भुत समन्वय को प्रस्तुत करता है। हनुमान जी का चरित्र भारतीय संस्कृति में केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह वैज्ञानिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक गहराइयों का एक असाधारण उदाहरण है। उनकी शक्ति, गति और भक्ति यह सिद्ध करती है कि प्राचीन भारतीय विचारधारा में आस्था और विज्ञान एक-दूसरे के पूरक थे।
ऊर्जा नियंत्रण और ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक
हनुमान जी के चरित्र में निहित अलौकिक घटनाएँ, ऊर्जा विज्ञान के उन्नत सिद्धांतों की ओर संकेत करती हैं:
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सूर्य निगलने का प्रयास: बाल्यावस्था में सूर्य को फल समझकर निगलने का प्रयास वस्तुतः सौर ऊर्जा अवशोषण (Solar Absorption) और ब्रह्मांडीय शक्ति नियंत्रण का द्योतक है। यह संकेत देता है कि यह दिव्य सत्ता 'गुरुत्वाकर्षण बल' की सीमाओं को लांघने की क्षमता रखती थी।
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उड़ान का विज्ञान: हनुमान जी की उड़ान को "दिव्य एयरोडायनमिक्स" के रूप में देखा जा सकता है। योगशास्त्र में वर्णित उदान वायु पर नियंत्रण ही उड़ान की योगिक शक्ति का स्रोत है। समुद्र पार करते समय यह केवल भक्ति नहीं, बल्कि प्राण ऊर्जा के वैज्ञानिक प्रयोग का प्रतीक है। उनकी उड़ान से उत्पन्न ध्वनि और कंपन आधुनिक भौतिकी के "सुपरसोनिक फ्लाइट" और "सोनिक बूम" सिद्धांतों से समानता रखते हैं।

कर्म और गति का सिद्धांत
हनुमान की भूमिका मानव सेवा और ब्रह्मांडीय कर्तव्य (Cosmic Duty) के प्रतीक के रूप में वर्णित है।
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समुद्र पार करना: गिद्धराज सम्पाति से सूचना प्राप्त कर समुद्र पर छलांग लगाना, मैनाक पर्वत को पाताल में धकेलना तथा लंका में प्रवेश करना, ये प्रसंग वायुगतिकीय गति, गुरुत्व पर नियंत्रण और दिशा-संवेदन (Navigation Sense) जैसे आधुनिक एयरोडायनमिक सिद्धांतों की झलक प्रस्तुत करते हैं।
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लंका दहन और सिद्धियाँ: सुन्दरकाण्ड में हनुमान का "अणिमा-गरिमा" सिद्धियों का प्रयोग ऊर्जा प्रबंधन और दहन-शक्ति (Combustion Energy) के वैदिक रूप का प्रतीक है।
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द्रोणागिरी पर्वत: लंकाकाण्ड में संजीवनी बूटी हेतु द्रोणागिरी पर्वत को संपूर्ण उठा लाना, पृथ्वी के चुंबकीय संतुलन, औषधीय विज्ञान और गुरुत्वाकर्षण प्रतिरोध के प्रतीकात्मक उदाहरण हैं।
भक्ति, चेतना और वैदिक इंजीनियरिंग
हनुमान जी का चरित्र भक्ति विज्ञान को परिभाषित करता है, जहाँ भावनाएँ ऊर्जा में रूपांतरित होती हैं:
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दैवीय आवृत्ति: हनुमान चालीसा की पंक्ति "नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमंत बीरा" आध्यात्मिक आवृत्ति (Spiritual Frequency) की शक्ति को दर्शाती है।
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वैदिक ऊर्जा-प्रणाली: "अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, असबर दीन जानकी माता" उनके द्वारा नियंत्रित वैदिक ऊर्जा-प्रणालियों का संकेत देती है।
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दैवीय वेग: हनुमान अष्टक में "मनोजवं मारुततुल्यवेगं" जैसे पद उनके दैवीय वेग और वायुगतिकीय नियंत्रण के सर्वोत्तम प्रतीक हैं।
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गदा का विज्ञान: उनकी गदा (मेस) केवल शक्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि वैदिक इंजीनियरिंग का प्रतीकात्मक रूप है। भौतिक दृष्टि से, यह कोणीय संवेग (Angular Momentum) और जायरोस्कोपिक स्थिरता (Gyroscopic Stability) का प्रतिनिधित्व करती है।
हनुमान जी का चरित्र श्रद्धा, शक्ति और सेवा का ऐसा ब्रह्मांडीय समन्वय प्रस्तुत करता है, जहाँ वैदिक विज्ञान, योगशक्ति और दैवीय वायुगतिकी एक ही सूत्र में गुंथे हुए हैं। उनकी भक्ति का वैज्ञानिक विश्लेषण यह बताता है कि भक्ति केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि ऊर्जा का रूपांतरण है। यह स्वरूप आज के वैज्ञानिक युग में भी प्रेरणास्रोत बना हुआ है।
