नमो घाट पर काशी की काष्ठ-कला की अनूठी छटा

दिसम्बर 2025 | ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को साकार करते हुए काशी तमिल संगमम् 4.0 इन दिनों नमो घाट पर अपने सांस्कृतिक वैभव के साथ बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित कर रहा है। ‘तमिल करकलाम’ की थीम पर आधारित यह आयोजन न केवल उत्तर और दक्षिण भारत के सांस्कृतिक सेतु को मजबूत कर रहा है, बल्कि देश की पारंपरिक कला और ज्ञान-परंपरा को भी नई पहचान प्रदान कर रहा है।
सातवीं पीढ़ी के कलाकार—ओम प्रकाश शर्मा और नंद लाल शर्मा
वाराणसी के ओम प्रकाश शर्मा और नंद लाल शर्मा इस कला परंपरा की सातवीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। आज यह दोनों कारीगर इस पारंपरिक काष्ठ-कला के अंतिम संरक्षकों में शामिल हैं।वे न केवल उत्कृष्ट कारीगर हैं, बल्कि NIFT रायबरेली सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्यशालाएँ आयोजित कर नई पीढ़ी को इस कला से जोड़ने का प्रयास भी कर रहे हैं।

हालाँकि, इस यात्रा में कठिनाइयाँ भी रहीं—एक समय ऐसा भी आया जब कला की मांग घटने और आर्थिक संकट ने इन्हें निराश कर दिया था। इसी दौरान वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रोत्साहन ने इन्हें नई दिशा दी। प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से इनकी हिम्मत बढ़ाई और काशी तमिल संगमम् जैसे राष्ट्रीय मंचों के माध्यम से उनकी कला को नई पहचान दिलाई। नंद लाल शर्मा के अनुसार, “प्रधानमंत्री के प्रेरणा-संदेश ने हमें सिर्फ आशा ही नहीं, बल्कि आगे बढ़ने की शक्ति और दृष्टि दी।”
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर काशी की चमक
डीसी हैंडीक्राफ्ट्स की काष्ठ-कला आज न केवल भारत में प्रशंसित है बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी जगह बना चुकी है। उनकी प्रसिद्ध कलाकृति 'राजगद्दी – राम दरबार' को वर्ष 2022 में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो को भेंट किया गया था—यह वाराणसी की कला परंपरा के लिए गर्व की बात है।
आगंतुकों में उत्साह—सबसे आकर्षक कृति पंचमुखी हनुमान
स्टॉल पर आने वाले आगंतुक स्थानीय कला को बड़े उत्साह से खरीद रहे हैं। एक आगंतुक शिवम सिंह ने अपने परिवार के लिए लकड़ी के सुक्ष्म चाबी छल्ले खरीदकर खुशी प्रकट की।
स्टॉल का मुख्य आकर्षण है—
भव्य पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति
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पूरी तरह हाथ से निर्मित
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बनाने में लगा 6 महीने का श्रम
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कीमत लगभग ₹1,20,000
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कालमा, कदम और गूलर की लकड़ियों से निर्मित
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प्राकृतिक सुगंध और चंदन जैसा रंग
कलाकारों के अनुसार, यह लघु काष्ठ-कला केवल दिन में दो घंटे (12–2 बजे) प्राकृतिक धूप में ही तैयार की जा सकती है, जिससे इसकी नाजुकता और विशिष्टता और भी बढ़ जाती है।
भारतीय विरासत का जीवंत मंच
नमो घाट पर काशी तमिल संगमम् 4.0 में लगा डीसी हैंडीक्राफ्ट्स का स्टॉल सिर्फ एक प्रदर्शनी नहीं, बल्किपरंपरा, कौशल, धैर्य और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है।ओम प्रकाश और नंद लाल शर्मा की यात्रा साबित करती है कि जब मेहनत और सही मार्गदर्शन मिल जाए, तो स्थानीय कला न केवल राष्ट्रीय मंच पर पहचान बनाती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चमकती है। यह स्टॉल ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की उस भावना को मूर्त रूप देता है, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता को एक सूत्र में पिरोने का संदेश देता है।


