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युवाओं को भारतीय सेना के लिए तैयार किया जाता है

Youth are prepared for Indian Army
 
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लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।अहिल्या नगर से जागते रहो भारत यात्रा हिवरे बाज़ार पहुंची। हिवरे बाज़ार पोपटराव पंवार द्वारा विकसित ग्राम स्वराज का सफ़ल मॉडल के रूप में जाना जाता है। पद्मश्री पोपटराव पंवार ने गत तीन दशक में हिवरे बाज़ार गांव को जिस प्रकार विकसित किया है उसके सामने देश के सुन्दर सुविधायुक्त शहर की चमक भी फीकी पड़ जाती है। दो घंटे की चर्चा में ग्राम स्वराज के प्रयोगधर्मी नायक ने कहा कि स्नातकोत्तर की शिक्षा के बाद तीन दशक तक लोगों के बीच रहना ही मेरी सफलता का राज है।  कभी रोज़ी रोटी के अभाव में गांव से पलायन कर रहे हिवरे बाज़ार के लोग आज खेती और डेयरी व्यवसाय से साल में दस लाख तक कमाने लगे हैं। 

हिवरे बाज़ार में संसद की तर्ज पर बन रहे ग्राम संसद भवन को देख यात्री दल आश्चर्यचकित था। ग्राम स्वराज के पुरोधा पंवार ने बताया कि नौजवानों के लिए शिक्षा, खेल, योग और पुस्तकालय मन्दिर से पहले होना चाहिए। शायद यही कारण रहा होगा कि यहां के नौजवान व्यसन से दूर हैं। यहां से यात्रा चालीस किलोमीटर आगे पोपटराव पंवार के साथ ही देश में सामाजिक सरोकारों से जुड़े अन्य लोगों के प्रणेता अन्ना हजारे के हिन्द स्वराज संस्थान रालेगण सिद्धि पहुंची।

अन्ना हजारे बढ़ती उम्र के कारण अधिकांश समय गांव में स्थित यादव बाबा मन्दिर में ही निवास करते हैं किन्तु पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अनुसार ठीक पांच बजे यात्री दल से मिलने स्वराज संस्थान पहुंचे। यद्यपि अन्ना जी को बहुत कम सुनाई देने लगा है लेकिन यात्रा और उसके उद्देश्य की जानकारी देने पर कहा कि यात्रा लोक शिक्षण का सर्वोत्तम माध्यम है। इस उम्र में जागते रहो भारत यात्रा का समाचार मेरे लिए ऊर्जा देने वाली औषधि समान है। समाज में नारी के सम्मान का कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता। पद्मभूषण से सम्मानित वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि भारत का इतिहास वीरांगनाओं के शौर्य का साक्षी है फ़िर हमारी बहन बेटियों को उनके जीवन कार्य से सीख लेने की जरूरत है।

इसके बाद यात्री दल अन्ना हजारे द्वारा संचालित श्री संत यादव बाबा मन्दिर छात्रावास पहुंचा। पूरे महाराष्ट्र से तीन सौ छात्र यहां रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं । इस छात्रावास की विशेषता यह है कि यहां शैक्षणिक दृष्टि से कमज़ोर छात्रों को ही प्रवेश दिया जाता है। शिक्षा के साथ खेलों पर विशेष ध्यान देकर इन युवाओं को भारतीय सेना के लिए तैयार किया जाता है। छात्रावास में दो घंटे के कार्यक्रम में पढ़ाई में कमज़ोर और शरारती बच्चों का अनुशासन और प्रेम देख हम दंग रह गए। छात्रावास में आयोजित सम्मेलन में डाक्टर राजभाऊ बब्बन ढोबले, शिक्षक शिंदे और राठौड़ का विशेष सहयोग रहा

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