भारत को सबक सिखाने की ट्रंप की नई चाल: पाकिस्तान को बना रहे मोहरा

Trump's new ploy to teach India a lesson: using Pakistan as a pawn
 
भारत को सबक सिखाने की ट्रंप की नई चाल: पाकिस्तान को बना रहे मोहरा

लेखक: संजय सक्सेना, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ  :  पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत को निशाने पर लेने की रणनीति अब खुलकर सामने आने लगी है। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दबाव बनाने की नाकाम कोशिश और अब पाकिस्तान को भारत के खिलाफ मोहरे के तौर पर इस्तेमाल करने की उनकी नीति ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नया तनाव पैदा कर दिया है। हाल के घटनाक्रमों ने भारत को असहज ज़रूर किया, लेकिन भारत ने तुरंत सतर्कता बरतते हुए न केवल कूटनीतिक रूप से मोर्चा संभाला, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक स्तर पर भी अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए।

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पाकिस्तान के सहारे भारत पर दबाव

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में भारत को "महान मित्र" बताया था, लेकिन बाद में रुख अचानक बदलते हुए भारत पर रूस से तेल और हथियार खरीदने को लेकर आलोचना शुरू कर दी। इसके साथ ही, भारत-पाकिस्तान के बीच अमेरिका की एकतरफा संघर्षविराम की घोषणा ने नई दिल्ली को चौंका दिया।

ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस बुलाकर न सिर्फ उच्चस्तरीय मुलाकात की, बल्कि पाकिस्तान के साथ तेल और क्रिप्टो करंसी जैसे क्षेत्रों में एक बड़ा व्यापार समझौता भी किया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इसे "ऐतिहासिक समझौता" करार दिया। ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया कि "एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेचेगा"—यह बयान भारत की विदेश नीति पर सीधा प्रहार माना गया।

भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रिया

भारत ने इन घटनाक्रमों को हल्के में नहीं लिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी समझौता द्विपक्षीय होगा और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में “ऑपरेशन सिंदूर” का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि भारत की नीति स्वतंत्र और आत्मनिर्भर है।

रणनीतिक दबाव बनाने की अमेरिकी कोशिश

इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने भारत की छह कंपनियों पर ईरान से व्यापार को लेकर प्रतिबंध लगाए और चाबहार पोर्ट परियोजना की समीक्षा की बात कही। यह कदम भारत के लिए एक झटका था क्योंकि चाबहार पोर्ट अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की पहुंच का प्रमुख जरिया है।

इतना ही नहीं, अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए 40 करोड़ डॉलर की सहायता दी और आतंकवाद से जुड़े एक ऑपरेशन में पाकिस्तान की भूमिका की सराहना भी की। ये सभी घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि ट्रंप प्रशासन भारत को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने की कोशिश में था।

भारत की ठोस रणनीति

भारत ने किसी भी दबाव में आने से इनकार कर दिया। रक्षा और विदेश मंत्रालयों ने संयुक्त रूप से रणनीतिक समीक्षा बैठकें कीं। रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी तेज की गई और फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमानों की डील को अंतिम रूप दिया गया। इसके अलावा, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्रिक्स समेत कई बहुपक्षीय मंचों पर भारत की स्थिति को मजबूती से रखा।

आर्थिक क्षेत्र में सशक्तिकरण की दिशा में कदम

अमेरिकी टैरिफ का जवाब देने के लिए भारत ने आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति दी। वाणिज्य मंत्रालय ने फार्मा, स्टील, टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई। साथ ही, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ व्यापार साझेदारी मजबूत की गई ताकि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भागीदारी और भी प्रभावशाली बन सके।

कश्मीर और मध्यस्थता की राजनीति

कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि यह द्विपक्षीय विषय है और किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर भारतीय प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर भारत की संप्रभुता को मजबूती से रखा।

अमेरिका के लिए जोखिम भरी रणनीति

ट्रंप की पाकिस्तान-प्रेम की रणनीति दीर्घकाल में अमेरिका के लिए ही नुकसानदायक साबित हो सकती थी। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खुद ही संकटग्रस्त थी और अमेरिका की आर्थिक मदद से भी उसकी स्थिरता की कोई गारंटी नहीं थी। इसके विपरीत, भारत लगातार आर्थिक और सैन्य दृष्टि से सशक्त होता जा रहा था।

 एक साजिश, जिसने भारत को और मजबूत किया

डोनाल्ड ट्रंप भले ही भारत को सबक सिखाने के उद्देश्य से पाकिस्तान को सामने लाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन भारत ने इस चुनौती को अवसर में बदल दिया। न केवल कूटनीतिक और रक्षा संबंधों में मजबूती आई, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ प्रगति हुई। अंततः यह स्पष्ट हो गया कि भारत किसी भी प्रकार की दबाव की राजनीति के आगे झुकने वाला नहीं है। ट्रंप की यह नीति उलटी साबित हुई—जिस सबक की योजना उन्होंने भारत के लिए बनाई थी, वही सबक शायद उन्हें खुद सीखना पड़ा।

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