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तुलसी गबार्ड ने कहा EVM मशीन हैक करके नतीजे बदले जा सकते है

अमेरिका में चुनाव सुरक्षा पर नई बहस शुरू हो गई। कई यूजर्स ने गाबार्ड का समर्थन किया, वहीं कुछ ने इसे राजनीतिक एजेंडा बताया। एक दिन पहले ही ट्रम्प ने एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी करके न्याय विभाग को निर्देश दिया था कि वह 2020 चुनाव के दौरान पूर्व साइबर सुरक्षा प्रमुख क्रिस क्रेब्स की भूमिका की जांच करे। टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ इलॉन मस्क ने भी पिछले साल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था, 'हमें ईवीएम को खत्म कर देना चाहिए।' उन्होंने इसे बहुत गंभीर खतरा बताया था।
हमारी ईवीएम दूसरे देशों से अलग, अब तक 5 करोड़ वीवीपैट से पुष्टि
तुलसी गबार्ड के अमेरिकी ईवीएम पर सवाल उठाने के बाद भारत के चुनाव आयोग ने दावा किया है कि अब तक के मतदान में 5 करोड़ से अधिक वीवीपैट की पुष्टि हो चुकी है, जो ईवीएम के वोटों से मिलान में सही पाई गईं। उम्मीदवारों के सामने इन वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से मिलान किया गया है। यह ईवीएम की विश्वसनीयता का सबसे ठोस प्रमाण है।
आयोग के अधिकारी ने हमारी ईवीएम और दूसरे देशों की ईवीएम में ये अंतर बताए.
- ऑपरेटिंग सिस्टम हमारी ईवीएम में ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है। अमेरिकी मशीन Windows या Linux पर चलती है।
- कनेक्टिविटी: भारत की ईवीएम बिल्कुल ऑफलाइन है। वाई-फाई या ब्लूटूथ नहीं। अमेरिकी मशीनें इंटरनेट से जुड़ी हैं।
- प्रोग्रामिंग हमारी ईवीएम में एक बार प्रोग्रामिंग के बाद उसे बदला नहीं जा सकता। अमेरिकी मशीन में बदलाव संभव है।
- वीवीपैट हमारी ईवीएम में बढ़न दबाने के बाद पुष्टि के लिए पर्ची का प्रिंट आता है। अमेरिकी मशीन में ऐसा नहीं होता है ।