रुहानियत की अविरल धारा – 78वां निरंकारी संत समागम

मध्यम मार्ग ही संतुलित जीवन का आधार : सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
 
मध्यम मार्ग ही संतुलित जीवन का आधार : सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
समालखा, 3 नवम्बर 2025 :- 78वें निरंकारी संत समागम के तीसरे दिन रविवार को विशाल संगति को संबोधित करते हुए सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि यदि मनुष्य संसार की जिम्मेदारियाँ निभाते हुए आध्यात्मिकता को भी जीवन में उतार ले, तो जीवन सहज, सुंदर और सार्थक बन जाता है।
समागम में देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु सतगुरु के पावन दर्शन कर आत्मिक आनंद का अनुभव कर रहे हैं। मुर्शद और मुरीद का यह पावन मिलन भव्यता, श्रद्धा और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुपम दृश्य प्रस्तुत कर रहा है
माता जी ने कहा कि केवल भौतिक संपन्नता पर ही आसक्त रह जाना या फिर आध्यात्मिक साधना के नाम पर परिवार से दूरी बना लेना — दोनों ही जीवन के चरम छोर हैं। संत सदा संसार में रहते हुए, निर्लेप भाव से परमार्थ एवं कर्तव्य पालन, दोनों को साथ लेकर चलने की राह दिखाते आए हैं। जब हम हर कार्य को निरंकार की उपस्थिति को जागृत रखते हुए करते हैं, तब वही कर्म सेवा बन जाता है और जीवन स्वतः संतुलन में आ जाता है।
उन्होंने "वसुधैव कुटुम्बकम" की भावना को दोहराते हुए कहा कि संत का हृदय सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेम से परिपूर्ण होता है। जहां भेदभाव नहीं, वहाँ नफरत नहीं — वहां बस प्रेम ही प्रेम होता है। प्रेम बांटने से बढ़ता है, संग्रह करने से नहीं। सच्चा प्रेम देने में है, न कि लेने में। संतुलन का भाव विकसित होने पर मन शिकायतों से मुक्त होकर हमेशा शुक्राने की ओर अग्रसर होता है।

निरंकारी राजपिता रमित जी का संदेश

सतगुरु माता जी से पूर्व आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि सांसारिक प्रेम यदि आनंद दे सकता है तो सतगुरु और परमात्मा के प्रति इलाही प्रेम तो भक्ति का दिव्य सुख प्रदान करता है। जब हृदय में यह प्रेम जागृत हो जाता है तो विश्व के हर व्यक्ति में भगवान का ही स्वरूप दिखाई देने लगता है। यह प्रेम जीवन का सर्वोच्च सत्य है।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का संबोधन

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने समागम में उपस्थित होकर सतगुरु के शुभ आशीष प्राप्त किए। उन्होंने कहा कि निरंकारी मिशन आत्मचिंतन, चरित्र सुधार और समाज निर्माण की प्रेरणा का सशक्त स्त्रोत है। मिशन सेवा, मानवता और आध्यात्मिक जागरूकता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है।

स्वास्थ्य सेवाएँ एवं कायरोप्रैक्टिक शिविर

मिशन के स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग की ओर से इस वर्ष भी समागम में व्यापक चिकित्सा प्रबंधन किया गया। परिसर में 8 एलोपैथिक और 6 होम्योपैथिक डिस्पेंसरी निरन्तर सेवाएँ देती रहीं। इसके साथ ही 15 प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र तथा 1 समर्पित कायरोप्रैक्टिक शिविर भी संचालित रहा। गंभीर रोगियों के लिए 120 बेड का अस्थायी अस्पताल भी सक्रिय रहा। मिशन द्वारा 12 और हरियाणा सरकार द्वारा 30 एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गईं।
कायरोप्रैक्टिक शिविर में अमेरिका, यूरोप तथा भारत के कुल 11 विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने सेवा प्रदान की और लगभग 2,300 श्रद्धालुओं को लाभ मिला। डिस्पेंसरी व अस्पताल सहित कुल 1000 से अधिक सेवादारों ने अपनी सेवाएँ दीं, जिससे 10,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाया।

लंगर एवं कैंटीन व्यवस्था

समागम परिसर में चार स्थानों पर विशाल कम्युनिटी किचन (लंगर) की व्यवस्था की गई थी, जहाँ देश व विदेश से आए लाखों श्रद्धालु एक साथ बैठकर लंगर ग्रहण कर रहे थे। यह दृश्य मानो "वसुधैव कुटुम्बकम" की भावना का मूर्त स्वरूप था।
इसके अतिरिक्त 22 कैंटीनों में रियायती दरों पर अल्पाहार, चाय, कॉफी तथा पैय जल की व्यवस्था की गई, जिसका लाभ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने लिया।

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