आतंकवाद के खिलाफ एकजुट भारत: ऑपरेशन सिंदूर का कूटनीतिक चरण शुरू

वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के खिलाफ साझा मोर्चा
इस कूटनीतिक प्रयास के तहत चार प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व सत्तारूढ़ गठबंधन के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, श्रीकांत शिंदे और संजय झा कर रहे हैं। वहीं विपक्ष से शशि थरूर, कनिमोई और सुप्रिया सुले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
यह प्रयास भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को वैश्विक स्तर पर मजबूती देने और पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक रवैये को उजागर करने की दिशा में बड़ा कदम है। प्रतिनिधिमंडल जहां-जहां जाएंगे, वहां की सरकारों, मीडिया और बुद्धिजीवियों से संवाद कर भारत का पक्ष मजबूती से रखेंगे।
"एक मिशन, एक संदेश, एक भारत"
बैजयंत पांडा का कहना है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने में सक्षम इसलिए हो सका क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। यह प्रतिनिधिमंडल दुनिया को यह समझाने की कोशिश करेगा कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट वैश्विक कार्रवाई ज़रूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश भी साफ है – "अगर यह समय युद्ध का नहीं है, तो यह आतंकवाद का भी नहीं है।"
प्रतिनिधिमंडल में अनुभव और संतुलन
प्रतिनिधिमंडलों का गठन सोच-समझकर किया गया है, जिसमें वे नेता शामिल किए गए हैं जो राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हित में कार्य करने की क्षमता रखते हैं। इसमें गुलाम नबी आजाद, एम.जे. अकबर, आनंद शर्मा, वी. मुरलीधरन और एस.एस. अहलूवालिया जैसे अनुभवी नेता भी शामिल हैं, भले ही वे वर्तमान में सांसद न हों।
शशि थरूर की नियुक्ति भी रणनीतिक है। तिरुवनंतपुरम से सांसद और विदेश मामलों के जानकार थरूर ने हाल ही में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने उनके चयन पर आपत्ति जताई है, जिससे पार्टी के भीतर अंतर्विरोध और गहराने की संभावना है।
विपक्षी नेताओं की भूमिका और राजनीतिक संकेत
इस मिशन में शामिल एआईएमआईएम प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी का नाम भी चर्चा में है। हाल के आतंकी हमले से पहले तक वे कई सरकारी नीतियों के विरोध में थे, लेकिन अब वे राष्ट्रहित में सरकार के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं।
कनिमोई और सुप्रिया सुले की भागीदारी भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। दोनों नेताओं को उनके राज्य की राजनीति में एक प्रभावशाली भूमिका निभाते हुए देखा जाता है और केंद्र सरकार के साथ उनके बढ़ते संवाद इस मिशन को और मजबूत बनाते हैं। कनिमोई को दक्षिण और उत्तर भारत के बीच की दूरी कम करने की दृष्टि से प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया गया है।