विदेशी खातों में छुपा काला धन: कैसे ED और NIA कर रही हैं बड़ा खुलासा?
क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग अपने काले धन को देश के बाहर कैसे छुपाते हैं? विदेशी बैंक खातों में, टैक्स हेवन देशों में, और रहस्यमयी शेल कंपनियों के जाल में! लेकिन अब इनके दिन पूरे हुए! भारत की दो सबसे ताकतवर जांच एजेंसियां - Enforcement Directorate यानी ED और National Investigation Agency यानी NIA - इन विदेशी खातों को खंगालने के लिए तैयार हैं। आज के इस वीडियो में, हम आपको बताएंगे कि कैसे ED और NIA अपराधियों के इस काले खेल का पर्दाफाश कर रही हैं।
"सबसे पहले, आइए समझते हैं कि ED और NIA हैं क्या? Enforcement Directorate, यानी ED, एक ऐसी एजेंसी है जो मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा उल्लंघन जैसे आर्थिक अपराधों की जांच करती है। ये लोग उन अपराधियों को पकड़ते हैं जो काला धन छुपाते हैं, चाहे वो भारत में हो या विदेश में। दूसरी तरफ, National Investigation Agency, यानी NIA, आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों की जांच करती है। अगर कोई आतंकवादी संगठन विदेशी फंडिंग से भारत में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश करता है, तो NIA उसे पकड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ती।
"ED ने विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे बड़े नामों को कठघरे में लाकर दिखाया है, वहीं NIA ने आतंकवादी संगठनों जैसे PFI (Popular Front of India) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। लेकिन सवाल ये है - ये विदेशी खाते कैसे काम करते हैं, और इन्हें खंगालना इतना मुश्किल क्यों है?
"दोस्तों, विदेशी खातों का जाल इतना उलझा हुआ है कि इसे समझना किसी जासूसी फिल्म से कम नहीं। अपराधी अपने काले धन को छुपाने के लिए टैक्स हेवन देशों जैसे स्विट्जरलैंड, केमैन आइलैंड्स, या पनामा का सहारा लेते हैं। ये देश अपने strict privacy laws के लिए मशहूर हैं, जहां बैंक खातों की जानकारी आसानी से नहीं मिलती।
example के लिए, पनामा पेपर्स लीक ने दुनिया भर में हड़कंप मचा दिया था। इस लीक से पता चला कि कैसे बड़े-बड़े लोग अपने काले धन को शेल कंपनियों के जरिए छुपाते हैं। भारत में भी कई बड़े नाम इसमें शामिल थे। लेकिन अब ED और NIA इन खातों को खंगालने के लिए international agencies जैसे FATF (Financial Action Task Force) और Interpol के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
"2022 में, ED और NIA ने PFI के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन चलाया। जांच में पता चला कि PFI के कुछ सदस्य विदेशों से NRI खातों के जरिए फंड भारत भेज रहे थे, ताकि विदेशी फंडिंग नियमों से बचा जा सके। इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा लोग arrest हुए और भारी मात्रा में नकदी, डिजिटल डिवाइस, और हथियार बरामद किए गए।
लंबे समय से जमालुद्दीन बलरामपुर के उतरौला कस्बे में ये अवैध काम कर रहा था। हैरानी की बात ये है कि धर्मांतरण के इस नेटवर्क में कई देशों से कुल 100 करोड़ से अधिक की फंडिंग मिल चुकी है। इसी कड़ी में जांच एजेंसी को पता चला है कि ये बाबा 40 से 50 इस्लामिक देशों का दौरा भी कर चुका है। इस बाबा को सबसे ज्यादा फंडिंग खाड़ी देशों से मिल रही है, लेकिन एसटीएफ का मानना है कि ये नेटवर्क सिर्फ कुछ राज्य तक नहीं बल्कि पूरे भारत में फैला हुआ है।
अब सवाल ये है कि ED और NIA इन विदेशी खातों को कैसे ट्रैक करती हैं? ये कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए एजेंसियां cutting-edge technologies, साइबर फोरेंसिक, और International cooperation का इस्तेमाल करती हैं।
"NIA भी अपने ग्लोबल नेटवर्क का इस्तेमाल करती है। जैसे, अगर कोई आतंकवादी संगठन विदेश से फंडिंग ले रहा है, तो NIA Interpol और अन्य देशों की एजेंसियों के साथ मिलकर उस फंडिंग चेन को तोड़ती है। लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। टैक्स हेवन देशों के सख्त कानून और डिजिटल करेंसी जैसे बिटकॉइन का इस्तेमाल अपराधियों के लिए काम आसान करता है।
आइए, कुछ हाल के केस पर नजर डालें। 2025 में, ED ने यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया (UPenn) के खिलाफ विदेशी फंडिंग की जांच शुरू की। पता चला कि UPenn ने अपने विदेशी फंड्स की जानकारी सही और समय पर नहीं दी थी। ये जांच हायर एजुकेशन एक्ट के तहत हो रही है, जो विदेशी फंडिंग की transparency ensure करता है।
"इसी तरह, भारत में भी ED और NIA ने कई बड़े मामलों में कार्रवाई की है। चाहे वो मनी लॉन्ड्रिंग हो, आतंकवादी फंडिंग हो, या फिर डिजिटल घोटाले। हाल ही में, साइबर अपराधियों ने AI वॉयस क्लोनिंग का इस्तेमाल करके $35 मिलियन की चोरी की थी, जिसकी जांच दुबई पुलिस और अमेरिकी एजेंसियों के साथ मिलकर हो रही है।"
"लेकिन दोस्तों, ये लड़ाई इतनी आसान नहीं है। अपराधी हर दिन नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। डीपफेक, क्रिप्टोकरेंसी, और डार्क वेब जैसे टूल्स ने जांच को और जटिल बना दिया है। इसके बावजूद, ED और NIA लगातार अपनी तकनीक और रणनीति को अपग्रेड कर रही हैं।"
"भविष्य में, हमें और सख्त कानूनों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत होगी। FATF जैसे संगठन भारत को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी फंडिंग रोकने में मदद कर रहे हैं। लेकिन सबसे जरूरी है जन जागरूकता। अगर हम सभी सतर्क रहें और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करें, तो अपराधियों का काम और मुश्किल हो जाएगा।
"तो अब आप समझ गए होंगे कि ED और NIA कैसे विदेशी खातों को खंगाल रही हैं और भारत को सुरक्षित बनाने में उनकी कितनी बड़ी भूमिका है। लेकिन ये जंग सिर्फ एजेंसियों की नहीं, हम सबकी है। अगर आपको कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे, तो तुरंत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन या FIU को सूचित करें।"
