उत्तर प्रदेश में बड़ा धर्मांतरण रैकेट उजागर, जाकिर नाईक से विदेशी फंडिंग का संदेह
आज हम बात करने जा रहे हैं उत्तर प्रदेश में सामने आए एक बड़े अवैध धर्मांतरण रैकेट की, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ED) और यूपी ATS को कुछ ऐसे सुराग मिले हैं, जो सीधे तौर पर भगोड़े इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक की ओर इशारा कर रहे हैं। क्या सचमुच जाकिर नाईक इस रैकेट का 'आका' है? आइए, इस पूरे मामले को detail से समझते हैं और जानते हैं कि जांच में अब तक क्या-क्या सामने आया है।
तो ये पूरा मामला शुरू होता है उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले से, जहां यूपी ATS ने एक बड़े अवैध धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया। इस रैकेट का कथित मास्टरमाइंड है जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा। छांगुर बाबा, जिसका असली नाम करीमुल्ला शाह बताया जाता है, उसपर आरोप है कि वो एक संगठित नेटवर्क के जरिए हिंदू लड़कियों और नाबालिगों को बहला-फुसलाकर या जबरन इस्लाम कबूल करवाने में शामिल था।
यूपी पुलिस और ATS की जांच में पता चला कि ये रैकेट सिर्फ बलरामपुर तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका जाल उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और यहाँ तक कि नेपाल तक फैला हुआ था। इस रैकेट में शामिल लोग फर्जी नामों से हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाते थे और फिर उनका धर्म परिवर्तन करवाते थे।
लेकिन इस कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब ED ने इस मामले में अपनी जांच शुरू की और कुछ ऐसे सुराग मिले, जो इस रैकेट को विदेशी फंडिंग और भगोड़े जाकिर नाईक से जोड़ रहे हैं।
जाकिर नाईक का नाम कोई नया नहीं है। वो एक भगोड़ा इस्लामिक उपदेशक है, जो भारत में कई controversial statements और गतिविधियों के कारण 2016 से फरार है। नाईक पर भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप हैं, और वो वर्तमान में मलेशिया में रह रहा है।
अब सवाल ये है कि जाकिर नाईक का यूपी के इस धर्मांतरण रैकेट से क्या कनेक्शन है? ED की जांच में सामने आया है कि इस रैकेट को विदेशों से भारी-भरकम फंडिंग मिल रही थी, जिसमें मध्य पूर्व के देशों और खास तौर पर जाकिर नाईक की संस्थाओं का नाम सामने आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक, इस रैकेट को 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की फंडिंग हवाला और विदेशी बैंक खातों के जरिए मिली।
ED ने छांगुर बाबा और उसके सहयोगियों के 40 से ज्यादा बैंक खातों की जांच की, जिसमें 106 करोड़ रुपये की राशि पश्चिम एशिया से हवाला के जरिए आई थी। इसके अलावा, छांगुर बाबा के यूएई में 5 बैंक खाते मिले, जिनमें दुबई और शारजाह के Axis, HDFC, Emirates NBD, और Federal बैंक के खाते शामिल हैं। इन खातों के जरिए विदेशी फंडिंग का लेन-देन किया जा रहा था।
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि ED को संदेह है कि इस फंडिंग का इस्तेमाल न सिर्फ धर्मांतरण के लिए, बल्कि बेनामी संपत्तियां खरीदने, आलीशान हवेली बनाने, और एक गुप्त नेटवर्क चलाने के लिए किया गया। और इस पूरे खेल में जाकिर नाईक की संस्थाओं से फंडिंग के सुराग मिले हैं।
इस मामले में यूपी ATS और ED ने मिलकर कड़ा एक्शन लिया है। यूपी ATS ने सबसे पहले छांगुर बाबा, उसके बेटे महबूब, और सहयोगियों नवीन उर्फ जमालुद्दीन और नीतू उर्फ नसरीन को गिरफ्तार किया। इसके बाद, ED ने 17 जुलाई 2025 को बलरामपुर और मुंबई में छांगुर बाबा के 14 ठिकानों पर छापेमारी की।
इन छापों में ED को कई अहम दस्तावेज, बेनामी संपत्तियों के रिकॉर्ड, और विदेशी फंडिंग के सबूत मिले। जांच में पता चला कि छांगुर बाबा ने बलरामपुर में चांद औलिया दरगाह के परिसर से इस रैकेट को संचालित किया, जहां वो भारतीय और विदेशी लोगों की सभाएं आयोजित करता था।
ED ने मुंबई के बांद्रा और माहिम में शहजाद शेख नाम के एक शख्स के ठिकानों पर भी छापेमारी की, जिसके खाते में 2 करोड़ रुपये का संदिग्ध लेन-देन पाया गया। इसके अलावा, छांगुर बाबा और उसके सहयोगियों के पासपोर्ट से पता चला कि उन्होंने यूएई की 19 बार यात्रा की थी.
यूपी ATS की जांच में ये भी खुलासा हुआ कि इस रैकेट में 3000 अनुयायी शामिल थे, जो हिंदू बनकर लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाते थे। और चौंकाने वाली बात ये है कि इस रैकेट के तार PFI, SIMI, और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों से भी जुड़े हो सकते हैं।
इस मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा ये है कि जांच में चार सरकारी अधिकारियों की Involvement सामने आई है। बताया जाता है कि 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात एक एडीएम, दो सीओ, और एक इंस्पेक्टर छांगुर बाबा के इशारे पर काम करते थे। इन अधिकारियों पर अब कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
इससे साफ है कि ये रैकेट सिर्फ एक व्यक्ति या संगठन तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें सरकारी तंत्र की भी मिलीभगत थी। ये खुलासा इस मामले की गंभीरता को और बढ़ाता है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और इसे असामाजिक और राष्ट्र-विरोधी गतिविधि करार दिया है। उनके निर्देश पर यूपी पुलिस ने "मिशन अस्मिता" शुरू किया है, जिसके तहत अवैध धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
इस मिशन के तहत आगरा में भी एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का खुलासा हुआ, जहां 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला कि ये रैकेट ISIS जैसे वैश्विक संगठनों की तर्ज पर काम कर रहा था, जिसमें विदेशी फंडिंग, हवाला, और डार्क वेब का इस्तेमाल हो रहा था।
ED अब इस मामले में अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और विदेशी नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
तो ये था यूपी के अवैध धर्मांतरण रैकेट का पूरा मामला, जिसमें जाकिर नाईक का नाम सामने आना इसकी गंभीरता को और बढ़ाता है। सवाल ये है कि क्या जाकिर नाईक सचमुच इस रैकेट का मास्टरमाइंड है ? और क्या इस मामले में और बड़े नाम सामने आएंगे?
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