अमेरिका-पाकिस्तान मिसाइल डील: भारत के लिए नई चुनौती या रणनीतिक संतुलन?

imagine कीजिये एक तरफ हिंद महासागर में तनाव, दूसरी तरफ न्यूक्लियर पड़ोसी, और बीच में अमेरिका का एक ऐसा 'सरप्राइज गिफ्ट' जो पाकिस्तान को मिला है – वो भी चुपके-चुपके! क्या ये वो खतरनाक मिसाइलें हैं जो पाकिस्तानी F-16 को सुपरपावर बना देंगी? और क्या इससे भारत की नींद उड़ जाएगी? X पर लोग चिल्ला रहे हैं – 'हाइपोक्रिसी!', 'इंडिया अलर्ट!', 'ट्रंप का नया गेम?'। लेकिन सच्चाई क्या है? क्या ये डील वाकई 'गुपचुप' है, या अमेरिका का साउथ एशिया में बैलेंसिंग एक्ट?
सबसे पहले समझते हैं बैकग्राउंड। भारत-पाकिस्तान के रिश्ते तो हमेशा से ही आग उगलते रहे हैं – कश्मीर, क्रॉस-बॉर्डर टेरर, और अब न्यूक्लियर थ्रेट। 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने अपने F-16 फाइटर जेट्स से भारत पर हमला किया था। उसी वक्त इस्तेमाल हुई थीं पुरानी AIM-120C-5 मिसाइलें। लेकिन अब? 2025 में मई के 'ऑपरेशन सिंदूर' – वो खूनी संघर्ष जहां भारत ने पाकिस्तान पर मिसाइल स्ट्राइक्स किए थे, 26 सिविलियंस की मौत के जवाब में। अमेरिका ने बीच-बचाव कर सीजफायर करवाया था, लेकिन अब लगता है वो पाकिस्तान को 'रिवार्ड' दे रहा है!जी हां, 6 अक्टूबर 2025 को अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ वॉर (पहले डिफेंस) ने एक बड़ा ऐलान किया। रेथियॉन कंपनी को 41.68 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट मॉडिफिकेशन – ये एक 2.5 बिलियन डॉलर के बड़े डील का हिस्सा है। इसमें शामिल हैं AIM-120C8/D3 एडवांस्ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलें, जिन्हें AMRAAM कहा जाता है। और सरप्राइज! पाकिस्तान को इसमें शामिल किया गया है – 30 दूसरे देशों के साथ, जैसे UK, जर्मनी, तुर्की। ये मिसाइलें 2030 तक डिलीवर होंगी। लेकिन दोस्तों, ये डील 'गुपचुप' क्यों लग रही है? क्योंकि ये अचानक आई – जुलाई में पाक एयर फोर्स चीफ जहीर अहमद बाबर सिद्दू की वॉशिंगटन विजिट के बाद। ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन ने पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर से मीटिंग्स कीं। और अब ये मिसाइलें! X पर यूजर्स चिल्ला रहे हैं – 'ट्रंप का नया फेवरेट पाकिस्तान?' एक पोस्ट में लिखा है, 'US approves $41.6M missile deal for Pakistan – WHAT A HYPOCRISY!' जब भारत रूस से S-400 लेता है, तो अमेरिका चिल्लाता है, लेकिन पाक को तो गिफ्ट!"अब आते हैं असली हीरो पर – AIM-120D-3 AMRAAM। दोस्तों, ये कोई आम मिसाइल नहीं। पुरानी C-5 वैरिएंट की रेंज 60 किलोमीटर थी, लेकिन नई D-3 की रेंज? 160 किलोमीटर! स्पीड: मच 4 – यानी 4 गुना साउंड की स्पीड।
ये बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) कॉम्बैट के लिए बनी है – मतलब दुश्मन का प्लेन देखे बिना ही मार गिरा सकती है। एक्टिव रडार होमिंग, GPS गाइडेंस – ये स्टील्थ एयरक्राफ्ट को भी चकमा दे सकती है। पाकिस्तान के 18 F-16C/D ब्लॉक 52 जेट्स पर लगेंगी ये। 2010 में 500 पुरानी मिसाइलें मिली थीं, इमेजिन: पाकिस्तानी पायलट हिंदुस्तान के ऊपर से 100 किमी दूर से हमला कर सकता है। और ये सिर्फ एयर-टू-एयर नहीं – NASAMS सिस्टम से ग्राउंड-लॉन्च भी हो सकती है। अमेरिका ने इसे गल्फ वॉर, बाल्कन, सीरिया में यूज किया है। अब पाकिस्तान को – जो अभी भी टेरर नेटवर्क्स को शेल्टर देने का इल्जाम झेल रहा है। क्या ये डील साउथ एशिया को आग लगाने वाली है?" अब सवाल ये – भारत की टेंशन क्यों बढ़ेगी?
भारत के पास आस्त्र Mk-2 (160 km) और मेटियोर जैसी वर्ल्ड-क्लास मिसाइलें हैं। लेकिन पाक की JF-17 पर चाइनीज PL-15 (200 km) पहले से है। ये AMRAAM अपग्रेड पाक को बैलेंस देगा। ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाक के जेट्स को उनके ही एयरस्पेस में गिराया था – लेकिन अब रेंज बढ़ने से बॉर्डर पर तनाव और बढ़ेगा। अमेरिका पाक को चीन के खिलाफ बैलेंस करने के लिए यूज कर रहा है। जनवरी 2025 में US ने पाक के लॉन्ग-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम पर सैंक्शंस लगाए – Shaheen-III (2,750 km) को, जो अमेरिका तक पहुंच सकता है। लेकिन अब ये एयर-टू-एयर डील? काउंटरबैलेंस! ट्रंप का 'अमेरिका फर्स्ट' – लेकिन साउथ एशिया में बैलेंस। भारत-US रिश्ते तो स्ट्रॉन्ग हैं – QUAD, iCET – लेकिन पाक को आर्म्स से बैलेंस बिगड़ सकता है। ये डील 'गुपचुप' नहीं, स्ट्रेटेजिक है। अमेरिका पाक को लाइन पर रखना चाहता है – टेरर के खिलाफ, चीन के खिलाफ। लेकिन भारत के लिए चैलेंज: अपनी एयर डिफेंस को और स्ट्रॉन्ग करो। S-400, Akash-NG – ये तैयार हैं, लेकिन अपग्रेड जरूरी। और डिप्लोमेसी: US से बात करो, क्योंकि 2025 का ऑपरेशन सिंदूर साबित कर चुका है – हम रेडी हैं, लेकिन प्रिवेंटिव स्टेप्स लो। क्या लगता है आपको?
