Powered by myUpchar

Vasantik Navratri 2025 : आठ दिनों का होगा वासन्तिक नवरात्र

Vasantik Navratri will be of eight days
 
आठ दिनों का होगा वासन्तिक नवरात्र
गोण्डा/लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।  विक्रम संवत 2082 रविवार 30 मार्च से वासन्तिक नवरात्र शुरु हो रहा है। सनातन धर्म के नववर्ष में नवरात्र देवी उपासना का प्रथम उपासना पर्व है। इस पक्ष में तृतीया की तिथि का क्षय होने के कारण नवरात्र नौ नही आठ दिनों का होगा। नवरात्र में देवी का आगमन हाथी पर होने के कारण भक्तों के लिए वर्ष कल्याणकारी होगा।


    नवरात्र पर्व के सांस्कृतिक स्वरूप की जानकारी देते हुए आर जे शुक्ल 'यदुराय'  ने बताया कि रविवार को शुरू हो रहे विक्रम संवत 2082 के नववर्ष में देवी पूजन का विधान किया गया है।   30 मार्च रविवार को नवरात्र के शुभारंभ प्रतिपदा तिथि होने से देवी शैलपुत्री का पूजन कलश स्थापना के साथ  होगा।

सोमवार 31 मार्च को द्वितीया व तृतीया एक साथ होने से देवी ब्रह्मचारिणी व देवी चंद्रघंटा का एक साथ आराधन पूजन सम्पन्न किया जाएगा। 01 अप्रैल मंगलवार को चतुर्थी तिथि पर देवी के चौथे स्वरूप में कुष्मांडा माता, 02 अप्रैल बुधवार को पंचमी को देवी स्कन्दमाता, 03 अप्रैल बृहस्पतिवार को षष्टम् तिथि में देवी कात्यायनी, 04 अप्रैल शुक्रवार को सप्तम् तिथि को कालरात्रि  05 अप्रैल शनिवार को अष्टमी तिथि को महागौरी एवं 06 अप्रैल रविवार को देवी के नवम्बर स्वरूप सिद्धदात्री देवी का पूजन विधि विधान से किया जाएगा। 


साधकों को चाहिए कि नवरात्र के प्रथम दिवस ही कलश की स्थापना कर अखंड द्वीप को प्रज्जवलित करें और प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ व धूप द्वीप से देवी का आराधन करें। नवमी को दुर्गा सप्तशती का पाठ के साथ माता को नारियल चुनरी अर्पित कर हवन एवं कन्या पूजन के उपरांत ही व्रत का उद्यापन करें। 

इनसेट:

राम नवमी 06 अप्रैल 

 रविवार को  भगवान राम का अवतरण दिवस विजय पर्व के रूप में मनाया जाएगा। शास्त्रों में वर्णित तथ्यों के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म नवमी तिथि को पुनर्वसु  नक्षत्र में मध्यान्ह बारह बजे हुआ था। जन्म के समय अभिजीत मुहूर्त कर्क राशि व कर्क लग्र में  था और मंगल बृहस्पति व शुक्र शनि अपने उच्च अवस्था में विराजमान थे। भगवान का अवतार दुर्लभ संयोग में होने के कारण नवमी तिथि को विजय मुहूर्त माना जाता है। इस दिन उपवास रखने के साथ किसी पवित्र नदी सरोवर में स्नान करने के साथ रामायण का पाठ करना भक्तों के लिए कल्याणकारी माना जाता है।

Tags