जहर बन रहे हैं अनाज, फल और सब्जियां: कीटनाशकों की खतरनाक सच्चाई

Grains, fruits and vegetables are becoming poisonous: The dangerous truth about pesticides
 
जहर बन रहे हैं अनाज, फल और सब्जियां: कीटनाशकों की खतरनाक सच्चाई
(सुभाष आनंद – विनायक फीचर्स)
भारत में आधुनिक खेती के नाम पर जिस तेजी से कीटनाशकों और रसायनों का प्रयोग बढ़ा है, वह स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि हम अनजाने में ही अपने भोजन के साथ धीमा जहर ग्रहण कर रहे हैं — और इसका असर आने वाले वर्षों में और भी भयावह हो सकता है।

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कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग और उसका खतरनाक असर

किसान फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए लगातार कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं। यह चलन इस कदर बढ़ गया है कि अब यह एक सामान्य खेती पद्धति बन चुकी है। लेकिन इसका दुष्प्रभाव अब लोगों के स्वास्थ्य पर साफ नजर आ रहा है। अनाज, सब्जियों और फलों के माध्यम से शरीर में पहुंच रहे कीटनाशक गंभीर बीमारियों का कारण बन रहे हैं — जैसे कैंसर, प्रजनन क्षमता में गिरावट, लिवर और किडनी फेलियर, आदि।

पंजाब का मालवा क्षेत्र बन रहा है हॉटस्पॉट

विशेषज्ञों के अनुसार, पंजाब का मालवा क्षेत्र देश में सबसे ज्यादा कीटनाशकों का उपयोग करने वाला क्षेत्र बन चुका है। यहां के किसान बिना विशेषज्ञ सलाह के कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग कर रहे हैं। नतीजा – बीमारियों में बेतहाशा वृद्धि। पिछले दो दशकों में इस क्षेत्र में कैंसर के मरीजों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। महिलाएं बांझपन जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं।

पक्षियों की घटती संख्या और कीट नियंत्रण में संकट

पर्यावरण परिवर्तन के चलते प्राकृतिक कीट नियंत्रणकर्ता यानी पक्षियों की संख्या भी घटती जा रही है। पहले यही पक्षी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों को खा जाते थे, लेकिन अब जब ये पक्षी नहीं हैं, तो किसान कीटनाशकों के भरोसे हो गए हैं।

भारी धातुओं का खतरनाक प्रसार

फिरोजपुर और फाजिल्का जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में उपजाई जा रही सब्जियों में क्रोमियम, सीसा, यूरेनियम, निक्कल और मैंगनीज जैसी भारी धातुएं पाई गई हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक हैं। सतलुज नदी के पानी में भी कैडमियम, टिन, लैड और टाइटेनियम जैसे रसायन मौजूद हैं। ये जहरीले तत्व खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर रहे हैं।

सतलुज नदी का जहरीला बनना

जानकारी के अनुसार, कई गांवों में बनी देसी शराब को सतलुज में बहाया जा रहा है, जिससे पानी और पर्यावरण दोनों प्रदूषित हो रहे हैं। ये जहरीले पदार्थ न केवल नदी में रहने वाले जीवों को प्रभावित कर रहे हैं बल्कि खेती और मानव स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल रहे हैं।

मिट्टी की गिरती गुणवत्ता

खेतीबाड़ी विशेषज्ञों का मानना है कि कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी में मौजूद लाभकारी सूक्ष्मजीव नष्ट हो रहे हैं। इससे भूमि की उपजाऊ क्षमता घटती जा रही है, और फसलें भी रसायनों की मोहताज बनती जा रही हैं।

ऑर्गेनिक खेती की ओर रुझान

हालांकि, अब कई सजग किसान अपने घरेलू उपयोग के लिए उगाई जाने वाली फसलें जैविक खाद से उगाने लगे हैं, ताकि वे अपने परिवार को इन कीटनाशकों के जहर से बचा सकें।

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