उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: क्या सिर्फ स्वास्थ्य कारण, या है कोई बड़ा राजनीतिक खेल?
आज हम एक ऐसी खबर पर बात करने जा रहे हैं, जिसने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं भारत के 14 वें vice president जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे की, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 जुलाई 2025 को मंजूर कर लिया। लेकिन इस इस्तीफे ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या सिर्फ स्वास्थ्य कारण ही इसके पीछे हैं, या कुछ और गहरी वजहें हैं? नेताओं ने इस पर क्या कहा? और former vice president हामिद अंसारी से जगदीप धनखड़ की तुलना कैसे की जा रही है ?
आज के इस वीडियो में, हम इन सभी सवालों का जवाब देंगे, तो, लास्ट तक हमारे साथ बने रहिए, और अगर आपको ये वीडियो पसंद आए, तो लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करना न भूलें! चलिए शुरू करते हैं,
21 जुलाई 2025 को, Vice President जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। धनखड़ ने अपने पत्र में कहा, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और medical advice का पालन करने के लिए, मैं संविधान के article 67 a के according , तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूँ।”
उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन इस अचानक कदम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। खास तौर पर, क्योंकि यह इस्तीफा संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन आया, जब धनखड़ को राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्यवाही की अध्यक्षता करनी थी। अब सवाल यह है कि इस इस्तीफे के पीछे की असली वजह क्या है? क्या यह सिर्फ स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है, या कुछ और?
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद, कई नेताओं ने अपने फीडबैक दिए । कुछ ने उनके स्वास्थ्य की कामना की, तो कुछ ने इस इस्तीफे पर सवाल उठाए। आइए, एक-एक करके इन feedbacks को देखते है।
इमरान मसूद ने कहा, “जगदीप धनखड़ पूरे दिन संसद भवन में थे। सिर्फ एक घंटे में ऐसा क्या हो गया कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा? हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें लंबी और स्वस्थ जिंदगी दें। मुझे इसका कारण समझ नहीं आ रहा है।” यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि विपक्ष को इस अचानक इस्तीफे पर संदेह है।
जयराम रमेश ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “मैं आज शाम 5 बजे तक उनके साथ था। उस समय कई अन्य सांसद भी मौजूद थे। शाम 7:30 बजे मेरी उनसे फोन पर बात हुई। यह इस्तीफा पूरी तरह अप्रत्याशित है। मामला सिर्फ स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है।” जयराम रमेश ने यह भी कहा कि धनखड़ न्यायपालिका से जुड़े कुछ बड़े ऐलान करने वाले थे, जिसने इस इस्तीफे को और रहस्यमयी बना दिया।
आनंद दुबे ने कहा, “उपराष्ट्रपति के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने की खबर चिंताजनक है। हम उनकी कुशलता की कामना करते हैं। लेकिन मॉनसून सत्र के पहले दिन उनका इस्तीफा देना लोगों को हैरान करता है। इस सरकार में क्या चल रहा है?” यह बयान सत्ताधारी दल पर सवाल उठाता है।
पप्पू यादव ने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “क्या बीजेपी नेता जेपी नड्डा ने उपराष्ट्रपति का अपमान किया? क्या इससे आहत होकर उन्होंने इस्तीफा दिया? आसन का अपमान करने के लिए नड्डा को पद से बर्खास्त करना चाहिए।” पप्पू यादव ने यह भी कहा कि “खेल बहुत गहरा है, बहुत बड़ा गेम है।”
कुंवर अली ने सुझाव दिया कि यह इस्तीफा RSS और बीजेपी की आंतरिक राजनीति का हिस्सा हो सकता है। उन्होंने एक्स पर लिखा, “75 साल पूरे होने से पहले धनखड़ का अचानक इस्तीफा RSS की ओर से पीएम मोदी को साफ इशारा है। क्या योगी आदित्यनाथ को उपराष्ट्रपति बनाने की तैयारी है?”
इन feedback से साफ है कि विपक्ष इस इस्तीफे को सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से जोड़कर नहीं देख रहा। कई नेताओं का मानना है कि इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक खेल हो सकता है।
अब आइए, जगदीप धनखड़ और पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की बात करते है । दोनों ही अपने कार्यकाल के दौरान चर्चा में रहे, लेकिन उनकी शैली, पृष्ठभूमि और विवादों में काफी अंतर है।
धनखड़ एक वकील और अनुभवी राजनेता हैं, जिन्होंने जनता दल, कांग्रेस और बीजेपी जैसे विभिन्न दलों के साथ काम किया। वो राजस्थान के झुंझुनू जिले से आते हैं और 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। 2022 में उन्होंने उपराष्ट्रपति का पद संभाला।
हामिद अंसारी एक करियर डिप्लोमैट और Scholar हैं। वे 2007 से 2017 तक दो कार्यकालों के लिए उपराष्ट्रपति रहे। उनकी पृष्ठभूमि मुख्य रूप से विदेश सेवा और अकादमिक क्षेत्र से रही।
धनखड़ की राजनीतिक पृष्ठभूमि उन्हें एक active राजनेता बनाती है, जबकि अंसारी की डिप्लोमैटिक पृष्ठभूमि ने उन्हें अधिक तटस्थ और कूटनीतिक बनाया।
धनखड़ अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने संसद की सर्वोच्चता पर जोर दिया और आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में ‘सेकुलरिज्म’ और ‘सोशलिज्म’ जैसे शब्दों को जोड़े जाने को “नासूर” करार दिया। उनकी टिप्पणियाँ अक्सर विपक्ष के साथ तनाव का कारण बनती थीं।
अंसारी की कार्यशैली अधिक संयमित थी। वे नियमों और प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन करते थे, जिसके कारण उनकी निष्पक्षता की तारीफ भी हुई और आलोचना भी।
धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अचानक इस्तीफा दिया, जिसने कई सवाल खड़े किए। कुछ नेताओं ने इसे बीजेपी के आंतरिक दबाव या अपमान का परिणाम माना।
अंसारी ने अपना कार्यकाल पूरा किया और कोई अचानक इस्तीफा नहीं दिया। उनके कार्यकाल में विवाद मुख्य रूप से उनके कुछ बयानों, जैसे अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना पर टिप्पणी, को लेकर हुए।
तो ये थी जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की पूरी कहानी और हामिद अंसारी से उनका Comparison । इस इस्तीफे ने निश्चित रूप से कई सवाल खड़े किए हैं। क्या आपको लगता है कि धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से था, या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक खेल है? और धनखड़ और अंसारी में से आपको किसकी कार्यशैली ज्यादा प्रभावी लगती है? अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें!
