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बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की शिष्टाचार भेंट

Baba Saheb Bhimrao Ambedkar University Vice Chancellor Prof. Raj Kumar Mittal made a courtesy call on Chief Minister Yogi Adityanath
 
Baba Saheb Bhimrao Ambedkar University Vice Chancellor Prof. Raj Kumar Mittal made a courtesy call on Chief Minister Yogi Adityanath
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ स्थित उनके आवास पर शिष्टाचार भेंट की। भेंट के दौरान माननीय मुख्यमंत्री जी ने कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल को बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में कुलपति का कार्यभार ग्रहण करने के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। साथ ही विश्वविद्यालय के विकास संबंधी कार्यों एवं भविष्य की योजनाओं के संबंध में चर्चा की। इसके अतिरिक्त माननीय मुख्यमंत्री ने प्रो. मित्तल को बीबीएयू की उन्नति एवं प्रगति और विद्यार्थियों के हित में अपनी ओर से हर संभव सहयोग करने का भरोसा दिलाया।

इस शिष्टाचार भेंट के दौरान कुलपति प्रो. मित्तल ने माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को उपहार स्वरूप पुस्तकें भेंट की। इनमें से एक पुस्तक 'जैविक उद्यमिता - 37 करोड़ स्टार्टअप का देश' प्रो. मित्तल द्वारा स्वलिखित है। इसके अतिरिक्त दूसरी पुस्तक 'चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास' शीर्षक पर है, जो प्रो. मित्तल एवं अन्य लेखकों द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई है। माननीय मुख्यमंत्री ने इन पुस्तकों के विषय में गहरी रुचि दिखाते हुए प्रो. मित्तल से इसकी विस्तृत जानकारी ली। इसके अतिरिक्त माननीय मुख्यमंत्री ने कुलपति प्रो. मित्तल को मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान के बारे में बताते हुए कहा कि इसके माध्यम से युवाओं को पांच लाख रुपए तक का ऋण दिया जा रहा है। साथ ही प्रो. मित्तल से विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को स्वरोजगार एवं स्टार्टअप संबंधी विभिन्न योजनाओं में भाग लेने हेतु प्रेरित करने के विषय में चर्चा की।

प्रो. राज कुमार मित्तल ने माननीय मुख्यमंत्री जी से 'जैविक उद्यमिता - 37 करोड़ स्टार्टअप का देश' पुस्तक के विषय में चर्चा करते हुए बताया कि हम भारतीयों की प्रवृत्ति उद्यमिता की है और उद्यमिता भारतीयों के डीएनए में पायी जाती है। वर्तमान परिपेक्ष्य में युवा पीढ़ी स्वरोजगार एवं उद्यमिता के मार्ग पर चलकर ही देश में समृद्धि और तरक्की का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं तथा बेरोज़गारी एवं गरीबी जैसी समस्याओं से भारत को मुक्त करा सकती है। साथ ही पुस्तक के माध्यम से भारतीय युवाओं में लघु एवं मध्यम उद्योग के माध्यम से रोजगार देने की प्रवृत्ति को विकसित करने का प्रयास किया गया है, जिससे विकसित भारत का स्वप्न साकार हो सके।

इसके अतिरिक्त दूसरी पुस्तक 'चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास' विद्यार्थियों के तन, मन, बुद्धि और आत्मा के समग्र विकास पर आधारित है, जिसमें शिक्षा को सर्वांगीण विकास के साथ समाहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। साथ ही इसमें भौतिक शरीर में उपस्थित अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय, और आनंदमय कोष के महत्व और उपयोगिता के बारे में बताया गया है। 
                 

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