दृष्टिकोण: विमान हादसे पर राजनीति क्यों?
Viewpoint: Why politics on plane crash?
Sun, 15 Jun 2025

(डॉ. सुधाकर आशावादी - विनायक फीचर्स)
हर दिन दुनिया में कोई न कोई ऐसी त्रासदी घटती है, जो मासूम लोगों की जान ले लेती है। कभी प्राकृतिक आपदाएँ तो कभी गंभीर हादसे—पलभर में सैकड़ों ज़िंदगियाँ समाप्त हो जाती हैं। सच्चाई यही है कि कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से मृत्यु को नहीं अपनाता। और अनहोनी घटनाएँ कभी पूर्व सूचना देकर नहीं आतीं। यदि ऐसा संभव होता, तो शायद जानमाल का नुकसान रोका जा सकता। लेकिन नियति के आगे कोई कुछ नहीं कर सकता।
हाल ही में अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की बोइंग ड्रीमलाइनर फ्लाइट का दुर्घटनाग्रस्त होना अत्यंत दुखद है। आधुनिक तकनीकी युग में भी इस तरह की विमान दुर्घटनाएँ केवल चिंता ही नहीं, बल्कि गहन मंथन का विषय बन जाती हैं—खासतौर पर जब सभी यात्री, पायलट और क्रू मेंबर्स इस हादसे में जान गंवा बैठें।
आज के दौर में समुद्री यात्रा की तुलना में लोग हवाई यात्रा को अधिक सुरक्षित और तेज़ मानते हैं, विशेषकर अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के लिए। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विमानों की नियमित जांच और उड़ान से पूर्व सुरक्षा उपायों का पालन किया जाता है। फिर भी ऐसी त्रासदियाँ सामने आती हैं जो परिवारों को जीवनभर का दर्द दे जाती हैं।
जाँच तो अवश्य ही होगी और दोषियों की पहचान भी होगी, लेकिन जब पीड़ित परिवारों पर दुख का पहाड़ टूटा हो, तब बिना तथ्यों के अफवाहें फैलाना और राजनीतिक बयानबाज़ी करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता। दुर्भाग्यवश, हमारे देश में ऐसी त्रासदियों पर भी राजनीति शुरू हो जाती है, जिसमें नेता संवेदना प्रकट करने के बजाय आरोप-प्रत्यारोप के माध्यम से माहौल को और विषाक्त बना देते हैं।
दुनिया भर में विमानों की सुरक्षा को लेकर अत्यंत सख्त मानक बनाए गए हैं और उनका पालन भी होता है। यदि इस हादसे में कोई तकनीकी चूक या मानव त्रुटि पाई गई, तो निश्चय ही भारतीय कानून के तहत दोषियों को दंडित किया जाएगा। लेकिन इसके लिए संयम और तथ्यात्मक जांच की प्रतीक्षा करना ही बेहतर होगा।
आवश्यक है कि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं से बचने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय अपनाए जाएँ। तकनीक, प्रशिक्षण, और निगरानी की गुणवत्ता को और सुदृढ़ किया जाए। इस दुःखद घड़ी में पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता और मानवीयता ही हमारी पहली ज़िम्मेदारी होनी चाहिए