विनोबा विचार प्रवाह मौन संकल्प का एक माह सेवाधाम उज्जैन में पूर्ण- 33 वां दिन

Vinoba Vichar Pravah Silent Resolution completed one month at Sevadham Ujjain - 33rd day
 
विनोबा विचार प्रवाह मौन संकल्प का एक माह सेवाधाम उज्जैन में पूर्ण- 33 वां दिन         
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)। विनोबा विचार प्रवाह के सूत्रधार एवं वरिष्ठ समाजसेवी रमेश भइया ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया कि  हम सबकी मातृतुल्य दीदी राधा बहन भट्ट ( कस्तूरबा ट्रस्ट इंदौर गांधी शांति प्रतिष्ठान, सर्व सेवा संघ आदि प्रमुख संस्थाओं का नेतृत्व कर चुकी है) को पद्मश्री की घोषणा कल रात देर से  हुई।

पवनार आश्रम में साढ़े आठ बजे के बाद सोने का क्रम चल पड़ता है।इसलिए राधा दीदी आजकल वहां चन्नम्मा दीदी के कक्ष में रुकी    हुई है। वह भी सो गई।ज्योत्सना दीदी के माध्यम से सबेरे चार बजे की प्रातः कालीन प्रार्थना में राधा दीदी को बताया गया। अभी हम सबने भी गौतम भाई जी के उपनिषद वर्ग में कंचन दीदी के माध्यम से दर्शन कर प्रसन्नता व्यक्त की। मौन संकल्प में भी खूब आनंद आया। राधा दीदी ने कहा कि यह सूचना हमें पवनार जो हमारा घर है वहां पर मिली।इसकी हमें अति प्रसन्नता है. संजय राय जी ने कहा कि पवित्र सूचना पवित्र स्थान पर मिली। और अजय पांडे जी ने अपनी शैली में कहा कि पद्मश्री पाने के लिए देश के ऐसे सेवाभावी लोगों को कुछ दिन पवनार की धरती पर विश्राम के लिए आना होगा। राधा दीदी खूब हंस रही थी और कह रही थी कि हमें तो इस पद्मश्री सम्मान आदि की कोई खबर नहीं थी। सब बा, बापू, बाबा का प्रसाद ही है। विनोबा विचार प्रवाह के 3500 सदस्यों को यह समाचार रात ही दे     दिया गया।

जिसमें से अनेकों ने रात बारह बजे तक बधाई और अपनी शुभकामनाएं भी दे दीं। सभी का बहुत बहुत आभार। सत्य और संगठन  बाबा विनोबा कहते थे कि मेरा जितना विश्वास सत्य का जप करने में है,उतना संघटन में नहीं। यह नहीं कि संघटन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी,परंतु मनुष्य शुभ विचार जपता और रटता चला जाए ,तो उसके साथ जरूरी संघटन ऐसे ही पैदा हो जाता है। अगर बाबा संघटन करने जाता तो बाबा संकुचित बन जाता। मेरा संघटन नहीं है,इसीलिए बाबा व्यापक है।दुनिया का अंश है। बाबा दुनिया में और अपने में किसी तरह का भेद ही नहीं।मानता।जो अपने अलग- अलग घर और संस्था बनाकर बैठे हैं,उनसे बाबा कहता है

कि आपके घर में और संस्था में मेरी हवा का प्रवेश होने दो,तो आपका घर शुद्ध होगा। सत्यनिष्ठा सर्वोदय की बुनियाद है।

बाबा एक दिन बताने लगे कि लोग कहते हैं कि सर्वोदय समाज में   अधिक लोग नहीं आयेंगे। बाबा कहने लगे कि ऐसा कहने वाला भगवान की जगह लेना।चाहता है।पर बाबा नहीं ले सकता। आखिर सभी मनुष्यों में शुभ प्रेरणा क्यों नहीं पैदा होगी? होगी ,जरूर होगी,बाबा ऐसी ही आशा रखेगा।  मान लो। कि ऐसी प्रेरणा किसी को नहीं भी हुई,और सर्वोदय समाज हवा में रह गया,तब भी यह अव्यक्त कल्पना विश्वकल्याण ही करेगी। इससे विपरीत सत्यनिष्ठा  विहीन बहुत बड़ी संख्या किसी समाज में शामिल हुई तो भी विश्वकल्याण की दृष्टि से उसका तनिक भी उपयोग नहीं   होगा।  

सर्वोदय समाज का प्रत्येक सेवक सर्व तंत्र स्वतंत्र हैं। जिसमें किसी प्रकार का बंधन नहीं। अपनी जगह बैठकर वह अकेले काम कर सकता है।आवश्यक हुआ तो संघटन से जुड़कर भी।काम कर सकता है।      सर्वोदय समाज का एक वैचारिक मंडल है जो।सर्व सेवा संघ  विशेषज्ञों का आयोजक और कार्यकारी अखिल भारतीय संस्था है। सर्वोदय समाज का प्रत्येक व्यक्ति एक सर्वाधिकारी सेवक है। जहां सर्वाधिकार और सेवकत्व दोनों का संगम होता है,वहां अपने आप सभी दोषों का निरसन और सभी गुणों का आवाहन हो जाता है।

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