हिंसक होते किशोर: जिम्मेदारी किसकी?

Teens turning violent: Whose responsibility is it?
 
हिंसक होते किशोर: जिम्मेदारी किसकी?
(लेखक: मनोज कुमार अग्रवाल – विनायक फीचर्स)
आज समाज के सामने एक गंभीर प्रश्न खड़ा हो गया है — कम उम्र के बच्चे हिंसा की राह क्यों पकड़ रहे हैं? हाल के वर्षों में देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जहां किशोरों द्वारा की गई आपराधिक वारदातों ने समाज को स्तब्ध कर दिया है।

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हिसार की हृदयविदारक घटना

10 जुलाई 2025 को हरियाणा के हिसार जिले के नारनौंद क्षेत्र स्थित एक निजी स्कूल में दो छात्रों ने गुरु पूर्णिमा के दिन अपने ही प्रिंसिपल की चाकू मारकर हत्या कर दी। बताया गया कि छात्रों को शिक्षक द्वारा अनुशासन में रहने की सलाह—बाल कटवाने और शर्ट ठीक से पहनने को कहा गया था। इसी बात से आहत होकर उन्होंने यह भीषण कृत्य कर डाला। पुलिस के अनुसार, छात्रों ने परीक्षा समाप्त होने के बाद किसी बहाने से प्रिंसिपल को ऐसी जगह बुलाया, जहां CCTV कैमरे नहीं थे, और वहीं हमला कर दिया।
प्रिंसिपल जसबीर सिंह (52) को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने चार नाबालिग छात्रों को हिरासत में लिया है, जिनमें से दो मुख्य हमलावर बताए जा रहे हैं।

हिसार की ही दूसरी घटना: बदले की भावना बनी हत्याकांड की वजह

कुछ सप्ताह पहले इसी जिले में एक और दर्दनाक घटना घटी थी, जहां एक दसवीं कक्षा के छात्र ने पुराने विवाद के चलते अपने सहपाठी को गोली मार दी। एक साल पहले स्कूल में बैठने को लेकर हुआ झगड़ा उसके मन में गहराई से बैठ गया था। उसने प्लानिंग के तहत अपने दादा की लाइसेंसी बंदूक से सहपाठी की हत्या कर दी। मृत छात्र परिवार का इकलौता पुत्र था।

कानपुर, धार और दिल्ली की वारदातें

उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक 13 वर्षीय छात्र ने लंच ब्रेक के दौरान अपने सहपाठी की गर्दन पर चाकू से हमला कर उसकी हत्या कर दी। मध्य प्रदेश के धार जिले में एक 17 वर्षीय छात्रा की हत्या उसके सहपाठी ने सिर्फ इसलिए कर दी क्योंकि उसने बातचीत बंद कर दी थी। दिल्ली के वजीराबाद क्षेत्र में नौवीं कक्षा के एक छात्र का अपहरण कर फिरौती मांगी गई और बाद में उसकी हत्या कर दी गई। तीन किशोर इस अपराध में शामिल पाए गए।

बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति: गहरी चिंता का विषय

इन सभी घटनाओं का विश्लेषण करें तो एक बात स्पष्ट होती है — किशोरों में गुस्से, प्रतिशोध और असंवेदनशीलता की भावना खतरनाक स्तर तक बढ़ रही है। वे उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां उन्हें शिक्षा, अनुशासन और सामाजिक मूल्यों का प्रशिक्षण मिलना चाहिए, लेकिन वे हिंसा की राह पर निकल पड़े हैं।
इसका दोष केवल बच्चों पर नहीं मढ़ा जा सकता। अभिभावकों की लापरवाही, घर में हथियारों की उपलब्धता, डिजिटल मीडिया का असंयमित उपयोग, हिंसक वेब सीरीज और वीडियो गेम्स, और समाज में बढ़ती नकारात्मकता — यह सभी कारक इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रहे हैं।

कौन ले जिम्मेदारी?

बच्चों के भीतर यदि सही-गलत की समझ नहीं बन रही है, तो यह साफ संकेत है कि घर, स्कूल और समाज – तीनों स्तरों पर मार्गदर्शन की कमी है। तकनीक ने जहां सुविधाएं दी हैं, वहीं विवेक को भी चुनौती दी है। किशोर वर्ग संवेदनशील होता है और यदि उन्हें नकारात्मक सामग्री अधिक मिलेगी, तो वे उसी का अनुकरण करेंगे।

समाधान की दिशा में कदम

इन जघन्य घटनाओं के आलोक में अब यह आवश्यक हो गया है कि:
घर में संवाद और अनुशासन दोनों बनाए रखें
स्कूलों में नैतिक शिक्षा और मनोवैज्ञानिक परामर्श को बढ़ावा दिया जाए
सोशल मीडिया और इंटरनेट कंटेंट पर अभिभावकीय निगरानी हो
समाज में बच्चों को सुसंस्कारित करने की सामूहिक ज़िम्मेदारी निभाई जाए
किशोर हमारे समाज का भविष्य हैं। उन्हें अपराध की राह से हटाकर संवेदनशील, जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनाना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।

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