क्या होगा बांग्लादेश का भविष्य?
(शिवशरण त्रिपाठी – विनायक फीचर्स)
पिछले वर्ष जुलाई में बांग्लादेश में जो घटनाक्रम सामने आया, उसने पूरे दक्षिण एशिया को झकझोर कर रख दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को जिस सुनियोजित ढंग से कट्टरपंथी ताकतों द्वारा अपदस्थ किया गया, वह केवल सत्ता परिवर्तन नहीं था, बल्कि एक गहरी साजिश का परिणाम था। उनके आवास पर हमला, आगजनी और जान से मारने की धमकियों के बाद यदि शेख हसीना भारत में शरण न लेतीं, तो उनकी हत्या की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता था।
शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद फैली हिंसा ने बांग्लादेश की सच्चाई को और बेनकाब कर दिया। हालात ऐसे बने कि एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले निर्दोष हिंदू युवक दीपू चंद्र दास को ईशनिंदा के झूठे आरोप में भीड़ ने बेरहमी से पीटा और फिर जिंदा जला दिया। इस अमानवीय घटना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के बीच भय और आक्रोश दोनों को जन्म दिया है।

भारत सरकार ने इस जघन्य अपराध पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है और चेतावनी भी दी है, लेकिन यह साफ दिखाई देता है कि केवल कूटनीतिक बयानबाज़ी से बांग्लादेश की स्थिति सुधरने वाली नहीं है। जब तक निर्णायक और ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक वहां की अराजकता थमने के आसार कम ही हैं।
पाकिस्तान–चीन की साजिश में फंसा बांग्लादेश
पूर्वी पाकिस्तान से स्वतंत्र होकर बने बांग्लादेश को कभी स्थिरता का सुख नहीं मिल पाया। शेख हसीना के नेतृत्व में एक समय देश विकास की राह पर आगे बढ़ रहा था, लेकिन यही प्रगति पाकिस्तान और उसके समर्थित कट्टरपंथियों को रास नहीं आई। भारत से नजदीकी संबंध रखने वाला बांग्लादेश पाकिस्तान की रणनीति में हमेशा आंख की किरकिरी रहा है।
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश जिस तेजी से अराजकता और अस्थिरता की ओर बढ़ा है, उससे यह स्पष्ट होता है कि देश पाकिस्तान और चीन के प्रभाव में गहराई से फंस चुका है। पाकिस्तान नहीं चाहता कि भारत के सहयोग से बांग्लादेश एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बने। इस पूरे खेल में चीन की मौन सहमति और रणनीतिक समर्थन भी किसी से छिपा नहीं है।
अंतरिम सरकार और लोकतंत्र पर संकट
वर्तमान अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस पर भी पाकिस्तान-चीन समर्थक रुख अपनाने के आरोप लग रहे हैं। संकेत साफ हैं कि वे जल्द चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं, और यदि चुनाव की मजबूरी बनती है तो शेख हसीना की अवामी लीग को पूरी तरह बाहर रखने की तैयारी की जा रही है।
अदालत द्वारा शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाने का फैसला और अवामी लीग पर चुनावी प्रतिबंध की चर्चाएं इस बात का प्रमाण हैं कि लोकतंत्र को योजनाबद्ध तरीके से कमजोर किया जा रहा है। यदि चुनाव होते भी हैं, तो पाकिस्तान समर्थित जमात-ए-इस्लामी को सत्ता में लाने की रणनीति पर काम चल रहा है। आवश्यकता पड़ने पर छात्र संगठन एनसीपी के सहयोग से सरकार बनवाने की योजना भी बनाई जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि ऐसा हुआ, तो बांग्लादेश का भविष्य और अधिक अंधकारमय हो जाएगा। चीन के समर्थन से पाकिस्तान वहां अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश कर सकता है।
भारत को इजराइल से सीख लेने की जरूरत
इस पूरे परिदृश्य से भारत को इजराइल से सीख लेने की आवश्यकता है। महज सवा करोड़ आबादी वाला इजराइल, चारों ओर से विरोधी देशों से घिरा होने के बावजूद अपनी सुरक्षा और संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करता। वहां हर नागरिक राष्ट्र रक्षा को सर्वोच्च कर्तव्य मानता है।
इजराइल में अनिवार्य सैन्य सेवा युवाओं में राष्ट्रभक्ति और अनुशासन की भावना पैदा करती है। राजनीतिक मतभेद होने के बावजूद जब देश की सुरक्षा पर संकट आता है, तो सभी दल एकजुट हो जाते हैं। दुर्भाग्य से भारत में ऐसा राजनीतिक और सामाजिक समन्वय अक्सर देखने को नहीं मिलता।
‘राष्ट्र प्रथम’ की सोच जरूरी
आज भारत को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना को अपनाने की जरूरत है। देश का प्रत्येक नागरिक यदि यह संकल्प ले कि वह केवल उसी राजनीतिक दल का समर्थन करेगा जो राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता हो, तो भारत को विश्व शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता।
कहां है तथाकथित सेकुलर जमात?
दीपू चंद्र दास की निर्मम हत्या के बाद जिस तरह तथाकथित सेकुलर वर्ग की चुप्पी देखने को मिली, उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसी घटनाओं पर मौन रहना दोहरे मापदंडों को उजागर करता है।यदि समय रहते राष्ट्रवादी समाज ने इन प्रवृत्तियों का विरोध नहीं किया, तो भविष्य में भारत को भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। पश्चिम बंगाल में तेजी से बदलती परिस्थितियां और वहां की तुष्टीकरण की राजनीति इस खतरे की चेतावनी हैं। आगामी विधानसभा चुनावों में बांग्लादेश में हो रही क्रूर हिंसा का असर निश्चित रूप से दिखेगा। अब समय आ गया है कि राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखकर निर्णायक सोच और ठोस कार्रवाई की जाए।
