बाल जगत क्यों मनाते हैं दीपावली
Children's World Why do we celebrate Diwali?
Sun, 19 Oct 2025

(चारु सक्सेना – विभूति फीचर्स)
भारत में दीपावली का पर्व अपार उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। पूरे देश में दीपावली का उत्सव पाँच दिनों तक चलता है — जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज पर होता है।
धनतेरस, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है, जिसे धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है। इसके अगले दिन नरक चतुर्दशी आती है और फिर अमावस्या की रात को दीपों का मुख्य पर्व दीपावली मनाया जाता है। इसके अगले दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव आयोजित किए जाते हैं, जबकि अंतिम दिन यम द्वितीया या भाई दूज मनाई जाती है, जिसमें बहनें अपने भाइयों के तिलक कर उनके दीर्घायु की कामना करती हैं।
दीपावली के दिन लोग माँ महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। घरों, दुकानों और मंदिरों में दीपों की पंक्तियाँ जगमगाती हैं। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी पटाखों, फुलझड़ियों और रोशनी के इस पर्व का आनंद लेते हैं। यह त्योहार व्यापारियों और कारीगरों के लिए भी आर्थिक समृद्धि लेकर आता है — क्योंकि लगभग हर वस्तु की खपत दीपावली के दौरान बढ़ जाती है।
दीपावली से जुड़ी पौराणिक मान्यताएँ
दीपावली पर्व से कई धार्मिक कथाएँ जुड़ी हैं:
1. भगवान राम की अयोध्या वापसी – कहा जाता है कि अयोध्या के राजा राम, रावण का वध कर और 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद इसी दिन अयोध्या लौटे थे। उनके आगमन की खुशी में अयोध्यावासियों ने अपने घरों को सजाया, दीप जलाए और नगरी को रोशनी से आलोकित कर दिया। तभी से यह पर्व दीपों के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
2. माँ दुर्गा की विजय – एक मान्यता यह भी है कि दीपावली के दिन माँ दुर्गा ने राक्षस शुम्भ-निशुंभ का संहार कर संसार को भयमुक्त किया था।
3. महालक्ष्मी की कृपा – ऐसा विश्वास है कि इस रात धन की देवी महालक्ष्मी क्षीरसागर से पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो घर उन्हें सबसे अधिक स्वच्छ और सुंदर लगता है, वहाँ अपना आशीर्वाद देती हैं। यही कारण है कि दीपावली से पहले घरों की संपूर्ण सफाई, सजावट और मरम्मत की जाती है।
दीपावली का सामाजिक महत्व
दीपावली केवल पूजा और मनोरंजन का पर्व नहीं, बल्कि स्वच्छता, एकता और आत्मचिंतन का भी अवसर है। इस पर्व के दौरान हर घर और प्रतिष्ठान की संपूर्ण सफाई होती है — जिससे स्वच्छता के साथ-साथ अनुपयोगी वस्तुएँ बाहर निकल जाती हैं और गुम हुई चीजें भी मिल जाती हैं। व्यापारी पुराने सामान की बिक्री कर लाभ पाते हैं और लाखों लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं।
दीपावली का संदेश है — “अंधकार पर प्रकाश की विजय।” छोटे-से-छोटा दीप भी मिलकर जब प्रकाश फैलाता है, तो अमावस्या की काली रात भी हार मान जाती है। इसी तरह यदि हम सभी मिलकर ज्ञान, शिक्षा और एकता का दीप जलाएँ, तो देश से अंधविश्वास और अशिक्षा का अंधेरा मिट सकता है।
दीपावली हमें सिखाती है कि सामूहिक प्रयास से असंभव भी संभव हो जाता है। जिस प्रकार लाखों दीप मिलकर अंधकार को मिटा देते हैं, उसी तरह हम सब मिलकर भारत को उज्जवल, समृद्ध और सशक्त बना सकते हैं।
इसलिए दीपावली केवल आनंद का पर्व नहीं, बल्कि प्रेरणा, एकता और आशा का प्रतीक है — जो हमें यह याद दिलाती है कि जब प्रकाश एकजुट होता है, तो कोई अंधकार टिक नहीं सकता।
