करवा चौथ व्रत क्यों रखा जाता है? आस्था, प्रेम और पौराणिक कथाओं का संगम

Why is Karva Chauth fast observed? A confluence of faith, love, and mythology
 
करवा चौथ व्रत क्यों रखा जाता है? आस्था, प्रेम और पौराणिक कथाओं का संगम

(अंजनी सक्सेना- विभूति फीचर्स)  भारतीय संस्कृति में व्रत और त्योहारों का विशेष स्थान है, और इन्हीं में से एक है करवा चौथ। यह पर्व भारतीय स्त्रियों के जीवन का एक अभिन्न अंग है, जिसमें वे पूर्ण आस्था और विश्वास के साथ हिस्सा लेती हैं।

करवा चौथ का व्रत पत्नी द्वारा अपने पति के उत्तम स्वास्थ्य, लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन, सुहागिन महिलाएँ अपने पति को परमेश्वर का रूप मानकर, उनकी खुशहाली के लिए देवी-देवताओं की उपासना करती हैं।

व्रत का स्वरूप और विधि

करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएँ सूर्य निकलने से पहले से लेकर शाम को चंद्रमा के दर्शन होने तक निर्जल (बिना पानी) व्रत रखती हैं। यह व्रत न केवल उपवास का है, बल्कि महिलाएं इस दिन सिलाई, कढ़ाई, कातना या बुनना जैसे सभी कार्यों को बंद कर देती हैं।

  • करवा का महत्व: करवा चौथ नाम में 'करवा' का अर्थ मिट्टी का बर्तन होता है। इस दिन शाम को, व्रत रखने वाली स्त्रियाँ करवा में पानी भरकर उसे छत पर रखती हैं और उस पानी में चंद्रमा को देखती हैं।

  • छलनी से दर्शन: कार्तिक मास की पूर्णिमा के बाद की चौथी तिथि को मनाए जाने वाले इस व्रत में, सीधे चंद्रमा के दर्शन को अशुभ माना जाता है। इसलिए सुहागिनें पानी भरे करवा में या छलनी से चंद्रमा और उसके बाद अपने पति का चेहरा देखकर अर्घ्य अर्पित करती हैं।

व्रत रखने के पीछे की पौराणिक कथाएँ

करवा चौथ का व्रत क्यों रखा जाता है, इस संबंध में हिंदू धर्मग्रंथों और लोककथाओं में दो प्रमुख कहानियाँ प्रचलित हैं:

1. वीरवती की कथा (व्रत खंडित होने का परिणाम)

पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्रप्रस्थ नगर में एक पंडित की सात पुत्रवधूएँ और एक लाड़ली बेटी वीरवती थी। करवा चौथ के दिन सभी भाभियों ने विधि-विधान से व्रत रखा, लेकिन अकेली बेटी होने के कारण वीरवती भूख और प्यास से तड़पने लगी।

अपनी बहन की यह दशा देखकर, सातों भाइयों ने उसकी जान बचाने के लिए एक युक्ति सोची। उन्होंने एक वृक्ष पर दीपक जलाया और उसे कांसे की परात के सामने रखकर चंद्रमा के आकार का घेरा बना दिया। भाइयों ने वीरवती से कहा कि चंद्रमा निकल आया है। भूख से बेहाल वीरवती ने इस नकली चंद्रमा को असली मानकर उसके सीधे दर्शन किए, अर्घ्य दिया और अन्न-जल ग्रहण कर लिया।

व्रत खंडित होते ही वीरवती का पति बीमार पड़ गया। वीरवती हमेशा अपने पति की बीमारी के कारण व्याकुल रहती थी। कुछ समय बाद, इंद्र की पत्नी इंद्राणी करवा चौथ का व्रत करने भूलोक पर आईं। वीरवती ने इंद्राणी से अपने पति के स्वास्थ्य का उपाय पूछा। इंद्राणी ने बताया कि उसका व्रत खंडित हुआ था, जिसके कारण पति बीमार पड़ गए। उन्होंने वीरवती को सलाह दी कि यदि वह अब पूर्ण विधि से व्रत रखे, तो उसके पति स्वस्थ हो सकते हैं।

2. द्रौपदी और भगवान कृष्ण की कथा

एक अन्य दंतकथा के अनुसार, महाभारत काल में जब पांडवों के भाई अर्जुन किसी कारणवश नीलगिरि पहाड़ों पर लंबे समय के लिए चले गए और वापस नहीं लौटे, तो द्रौपदी को उनकी चिंता हुई। द्रौपदी ने अपनी व्यथा भगवान कृष्ण को सुनाई। भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ का व्रत रखने का उपाय बताया। द्रौपदी द्वारा विधिपूर्वक व्रत रखने के बाद, अर्जुन सकुशल वापस आ गए। कहा जाता है कि तभी से करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा शुरू हुई।

(इस पर्व से जुड़ी एक कथा यह भी है कि देवी पार्वती ने भी शिवजी महाराज को प्रसन्न करने के लिए भूखी-प्यासी रहकर व्रत किया था।)

सामाजिक महत्व

हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार, करवा चौथ का व्रत भले ही उपरोक्त धार्मिक कारणों से रखा जाता हो, लेकिन सामाजिक दृष्टि से इसका महत्व इसलिए भी है कि यह घरेलू महिलाओं को सारे कामकाज और व्यस्तता से दूर रहने का मौका देता है। इस दिन वे सोलह श्रृंगार कर उत्सव में शामिल होती हैं, जो उनके स्वप्नों और पारंपरिक जीवनशैली को साकार करता है।

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