Why is Mamata Banerjee so anti-Hindu and pro Muslim? : TMC को क्यों कहा जाता है एकतरफा पॉलिटिक्स, क्या सच में ममता को मिलता है मुस्लिम्स का सपोर्ट

 Muslim voters in West Bengal politics 

 
Why is Mamata Banerjee so anti-Hindu and pro Muslim?

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में भड़की हिंसा के बीच ममता बनर्जी की government  सवालों के घेरे में है. opposition भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल यूनिट ने 16 अप्रैल को हिंदू शहीद दिवस के रूप में मनाया. वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इमाम सम्मेलन कर मुर्शिदाबाद हिंसा को planned बताया, बीजेपी को इसका जिम्मेदार ठहराया.  

 आज हम एक ऐसे ही टॉपिक पर बात करेंगे जो पश्चिम बंगाल की राजनीति में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर अक्सर मुस्लिम वोटों पर निर्भरता और एकतरफा पॉलिटिक्स के आरोप लगते हैं। लेकिन क्या ये आरोप पूरी तरह सही हैं? क्या TMC सचमुच सिर्फ मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भर है? और अगर ऐसा है, तो इसके पीछे की वजह क्या है? इस वीडियो में हम इन सारे सवालों के बारें में जानेंगे । तो वीडियो को लास्ट तक जरूर देखिएगा।  

पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी लगभग 27% है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार है। कुछ जिलों जैसे मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर में मुस्लिम आबादी की  Majority है। इस वजह से मुस्लिम वोटर किसी भी पार्टी के लिए गेम-चेंजर हो सकते हैं।  

CSDS के 2021 के एक रिसर्च के according , 2021 के विधानसभा चुनावों में लगभग 80% मुस्लिम वोटरों ने TMC को वोट दिया, जो 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में 12% ज्यादा था। 2019 में भी 70% मुस्लिम वोट TMC को मिले थे, जबकि कांग्रेस को 12%, लेफ्ट को 10% और BJP को सिर्फ 4% वोट मिले। इसका मतलब है कि मुस्लिम वोट TMC की जीत में एक बड़ा फैक्टर रहा है।  

लेकिन सवाल ये है कि मुस्लिम वोटर TMC की तरफ क्यों झुकते हैं? इसके पीछे कई reasons  हैं... 

ममता बनर्जी खुद को BJP के खिलाफ एक मजबूत नेता के रूप में पेश करती हैं। पश्चिम बंगाल में, जहां BJP हिंदुत्व की राजनीति पर जोर देती है, ममता की secular image मुस्लिम वोटरों को attract  करती है।   

 TMC की योजनाएं जैसे लक्ष्मी भंडार, कन्याश्री और स्वास्थ साथी ने न सिर्फ महिलाओं, बल्कि अल्पसंख्यक समुदायों को भी फायदा पहुंचाया है।  

 ममता ने मुस्लिम नेताओं को पार्टी में प्रमुख स्थान दिया है, जैसे सिद्दीकुल्लाह चौधरी और फिरहाद हकीम, जिससे मुस्लिम समुदाय में TMC की पैठ बढ़ी है।

TMC पर एकतरफा पॉलिटिक्स या लगाए गए  मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप कोई नई बात नहीं हैं। ये आरोप मुख्य रूप से BJP और कुछ अन्य विपक्षी दलों की ओर से लगाए जाते हैं। लेकिन इन आरोपों के पीछे क्या base हैं ? आइए जानते हैं.. 
 
ममता ने 2023 में सागरदिघी उपचुनाव में हार के बाद TMC के मुस्लिम नेतृत्व में बड़ा फेरबदल किया। उर्दू बोलने वाले फिरहाद हकीम की जिम्मेदारी कम की गई, जबकि बंगाली मुस्लिम नेता सिद्दीकुल्लाह चौधरी को मालदा, मुर्शिदाबाद और दक्षिण दिनाजपुर जैसे मुस्लिम- multiple जिलों की जिम्मेदारी दी गई। विपक्ष इसे मुस्लिम वोटों को लुभाने की रणनीति मानता है।  

ममता ने 2012 में इमामों और मुअज्जिनों के लिए मासिक भत्ता शुरू किया, जिसे 2023 में बढ़ाकर इमामों के लिए 3,000 रुपये और मुअज्जिनों के लिए 1,500 रुपये कर दिया गया। इसके अलावा, Minority Development Board जैसी पहल को भी तुष्टिकरण के रूप में देखा जाता है।  

ममता पर कई बार ऐसे बयान देने का आरोप लगा है, जो मुस्लिम वोटरों को एकजुट करने की कोशिश करते हैं। example के लिए, 2021 में चुनाव आयोग ने ममता को नोटिस जारी किया था, जब उन्होंने कथित तौर पर communal basis पर वोट मांगने की बात कही थी।  

opposition,  खासकर BJP, का आरोप है कि TMC ने कुछ मामलों में मुस्लिम समुदाय के अपराधियों को बचाने की कोशिश की। 2016 में कमदुनी गैंगरेप और मालदा के कलियाचक हिंसा जैसे मामलों में ममता पर कार्रवाई में देरी का आरोप लगा।  

BJP नेता अमित शाह और Suvendu अधिकारी जैसे नेताओं ने ममता पर वोट बैंक पॉलिटिक्स का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि ममता ने बंगाल को "Centre for minority appeasement " बना दिया है।  

ये  कहना कि TMC सिर्फ मुस्लिम वोटों पर निर्भर है, पूरी तरह सही नहीं होगा। ममता की जीत के पीछे कई और फैक्टर्स भी हैं...  
TMC ने लक्ष्मी भंडार जैसी योजनाओं के जरिए महिला वोटरों को अपने पक्ष में किया है। 2021 के चुनावों में महिलाओं की भारी भागीदारी और TMC को मिले वोट इसका सबूत हैं।  

 ममता ने बंगाली सब-नेशनलिज्म को बढ़ावा दिया  , BJP को बाहरी पार्टी के रूप में पेश करके। ये  रणनीति हिंदू और मुस्लिम दोनों वोटरों को आकर्षित करती है।  

पश्चिम बंगाल में TMC का संगठन बहुत मजबूत है। पार्टी का कैडर और स्थानीय नेता वोटरों को प्रभावित करने में माहिर हैं, जो BJP और अन्य विपक्षी दलों से कहीं बेहतर है।  

2021 में TMC को मुस्लिम वोटों के अलावा हिंदू वोटों का भी बड़ा हिस्सा मिला। कुछ अनुमानों के अनुसार, TMC को 15% हिंदू वोट मिले, जो उनकी जीत में महत्वपूर्ण रहे।

हालांकि, मुस्लिम वोटों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 2019 के लोकसभा चुनावों में TMC को 44% मुस्लिम वोटरों का समर्थन मिला था, जो उनकी कुल वोट हिस्सेदारी का एक बड़ा हिस्सा था। अगर ये वोट AIMIM या ISF जैसे दलों की ओर शिफ्ट होते, तो TMC को नुकसान हो सकता था।  

ममता की रणनीति भले ही अब तक कामयाब रही हो, लेकिन उनके सामने कई challenges है 

AIMIM और ISF जैसे दल मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं। 2023 में सागरदिघी उपचुनाव में TMC की हार इसका उदाहरण है, जहां ISF-समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार जीता।  

 TMC पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, जैसे शिक्षक भर्ती घोटाला और RG कर मेडिकल कॉलेज रेप-मर्डर केस में कथित कवर अप। इनसे ममता की छवि को नुकसान पहुंचा है।  

 BJP ने 2019 में 18 लोकसभा सीटें जीती थीं और उनका वोट शेयर 40.25% था। हालांकि 2024 में ये  38.73% पर आ गया, फिर भी BJP एक मजबूत विपक्ष के रूप में उभर रही है।  

 RG कर केस और अन्य मुद्दों पर जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। पूर्व TMC सांसद जवाहर सरकार ने अपनी इस्तीफा पत्र में लिखा कि उन्होंने ऐसा जन आक्रोश पहले कभी नहीं देखा।

तो, क्या ममता बनर्जी की TMC मुस्लिम वोटों पर निर्भर है ?  हां, मुस्लिम वोट TMC की रणनीति का एक अहम हिस्सा हैं, लेकिन ये  पूरी कहानी नहीं है। ममता ने महिलाओं, बंगाली अस्मिता और मजबूत संगठन के दम पर भी अपनी जीत सुनिश्चित की है। एकतरफा पॉलिटिक्स के आरोपों में कुछ सच्चाई हो सकती है, लेकिन ये  भी सच है कि ममता ने हिंदू और मुस्लिम दोनों वोटरों को अपने पक्ष में रखने की कोशिश की है। 
 
आने वाले 2026 के विधानसभा चुनावों में ममता के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वो  मुस्लिम वोटों को बनाए रखें, साथ ही हिंदू वोटरों और बाकी समुदायों का भरोसा भी जीतें। भ्रष्टाचार और जन आक्रोश जैसे मुद्दों को संबोधित करना उनके लिए जरूरी होगा।   

दोस्तों, आपको क्या लगता है? क्या ममता बनर्जी की राजनीति एकतरफा है, या ये सिर्फ एक स्मार्ट रणनीति है ? अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें।

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