विश्व पर्यावरण दिवस विशेष आलेख , "प्लास्टिक प्रदूषण: वन्यजीव, मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक वैश्विक खतरा"

(कार्तिक सप्रे - विभूति फीचर्स)
प्लास्टिक प्रदूषण आज पूरी दुनिया के सामने एक गम्भीर समस्या के रूप में खड़ा है। यह न केवल पारिस्थितिक तंत्र को क्षति पहुंचा रहा है, बल्कि वन्यजीवों और मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। हर वर्ष अरबों टन प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता है, जिनमें से बड़ी मात्रा अनियंत्रित तरीके से नदियों, झीलों और महासागरों में पहुंच जाती है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के अनुसार, प्रतिदिन लगभग 2000 ट्रकों के बराबर प्लास्टिक कचरा जल स्रोतों में जाता है, जिससे 19 से 23 मिलियन टन प्लास्टिक हर साल जलीय जीवन को प्रभावित करता है।
प्लास्टिक एक कृत्रिम सामग्री है, जो पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस या कोयले जैसे संसाधनों से निर्मित होती है। इसके कई रूप होते हैं जैसे – पॉलीइथिलीन, पॉलीप्रोपाइलीन, PVC, नायलॉन, पॉलीस्टाइनिन इत्यादि। यह हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुकी है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव अब सार्वभौमिक रूप से सामने आ रहे हैं।
सिंगल यूज प्लास्टिक: प्रमुख समस्या का केंद्र
मुख्य समस्या सिंगल यूज प्लास्टिक है – जैसे कि प्लास्टिक बैग, स्ट्रॉ, बोतलें, डिस्पोजेबल कटलरी और फूड पैकेजिंग। इनका सही ढंग से निस्तारण नहीं होने से ये कचरे का रूप लेकर नालियों को बंद करते हैं, जानवरों द्वारा खा लिए जाते हैं, और पर्यावरण को दीर्घकालिक हानि पहुँचाते हैं।
शोध से यह भी सामने आया है कि माइक्रोप्लास्टिक अब मिट्टी, जल, और यहां तक कि हमारे शरीर में भी मिल रहे हैं। यह जैव विविधता, खाद्य शृंखला और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं।
भारत सरकार के प्रयास
भारत सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 और 2022 में अधिसूचित विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (EPR) जैसी कई योजनाएं लागू की हैं।
• प्लास्टिक कचरे के खुले में जलाने पर प्रतिबंध।
• शहरी निकायों को कचरा संग्रहण एवं पुनःप्रक्रिया की ज़िम्मेदारी।
• स्वच्छ भारत मिशन के तहत अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयों की स्थापना।
• केंद्रीय पोर्टल पर प्लास्टिक पैकेजिंग का रिकॉर्ड और ट्रैकिंग।
2022 से 120 माइक्रोन मोटे कैरी बैग अनिवार्य किए गए हैं और कई सिंगल यूज वस्तुओं पर पूर्ण प्रतिबंध लागू है।
अंतरराष्ट्रीय प्रयास और समाधान की दिशा
प्लास्टिक प्रदूषण पर संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा कई उपाय किए जा रहे हैं, जैसे कि स्टॉकहोम और बेसल कन्वेंशन, IMO उपाय, UNEA संकल्प और IUCN प्रस्ताव। इनमें विशेष रूप से एकल उपयोग प्लास्टिक को हटाने पर जोर दिया गया है।
2018 में भारत ने "बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन" थीम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी की थी। इस वर्ष (2025) की थीम है – "एक राष्ट्र, एक मिशन – प्लास्टिक प्रदूषण का अंत"।
समाधान की ओर कदम
प्लास्टिक प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए सरकार और नागरिकों दोनों को मिलकर प्रयास करने होंगे। हमें:
• सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा।
• प्लास्टिक के विकल्पों का प्रयोग करना होगा।
• लोगों में जागरूकता बढ़ानी होगी।
• पुनः प्रयोग और पुनर्चक्रण की संस्कृति अपनानी होगी।
प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया स्वच्छ भारत अभियान तभी पूर्ण होगा, जब हम व्यक्तिगत स्तर से बदलाव लाएंगे और एक-दूसरे को प्रेरित करेंगे। यही समय है कि हम "मैं से हम और हम से सब" की भावना के साथ पर्यावरण संरक्षण को अपनी प्राथमिकता बनाएं।