18 मई विश्व संग्रहालय दिवस : भोपाल का अद्वितीय राष्ट्रीय मानव संग्रहालय

भारत के धार्मिक ग्रंथों का भी अंतरराष्ट्रीय महत्व बढ़ता जा रहा है। हाल ही में श्रीमद्भगवद्गीता और भरतमुनि का नाट्यशास्त्र यूनेस्को के "Memory of the World Register" में शामिल किए गए हैं। इन्हीं धरोहरों को संरक्षित और प्रदर्शित करने में संग्रहालयों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस क्रम में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल एक अनूठा उदाहरण है, जो परंपरा, संस्कृति और विकास की गाथा को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है।
एक संग्रहालय, जो स्वयं एक जीवंत अनुभव है
भोपाल की श्यामला हिल्स पर लगभग 200 एकड़ में फैला यह संग्रहालय एक ‘ओपन एयर म्यूजियम’ है, जहां भारत की जनजातीय और लोक संस्कृतियों को उनके मूल रूप में अनुभव किया जा सकता है। यहाँ बिना नागालैंड गए नागा जनजाति के गाँव को, राजस्थान की मरु संस्कृति को या हिमालय की पर्वतीय जीवनशैली को प्रत्यक्ष देखा और अनुभव किया जा सकता है।इस संग्रहालय की अवधारणा वर्ष 1970 में मानवविज्ञानी डॉ. सचिन रॉय ने दी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के समर्थन से 1977 में दिल्ली से इसकी शुरुआत हुई और 1979 में इसे भोपाल स्थानांतरित किया गया।
प्रमुख आकर्षण
1. मुक्ताकाशी प्रदर्शनी क्षेत्र
यह क्षेत्र विभिन्न जनजातियों के मूल रूप में बनाए गए पारंपरिक घरों से सुसज्जित है। जैसे:
गुजरात की राठवा व चौधरी जाति
ओडिशा की सावरा व गदबा
मध्यप्रदेश के भील, अगरिया
मणिपुर के थांगकुल व नागालैंड के चाखेसंग नागा
केरल व तमिलनाडु के मछुआरे समुदाय
हर आवास को संबंधित जनजातियों द्वारा ही उनकी पारंपरिक सामग्रियों से निर्मित किया गया है।
2. हिमालयन ग्राम, मरूग्राम और तटीय ग्राम प्रदर्शनी
ये क्षेत्र विशेष रूप से उत्तर भारत के पर्वतीय क्षेत्रों, राजस्थान के रेगिस्तानी जीवन और तटीय भारत के मछुआरे समुदायों की जीवनशैली को प्रदर्शित करते हैं।
3. पारंपरिक तकनीक और जल संरक्षण
भारत के विभिन्न क्षेत्रों की पारंपरिक तकनीकें जैसे उत्तराखंड की जलचालित चक्की, मणिपुर की नमक उत्पादन पद्धति, छत्तीसगढ़ की गन्ना पेराई आदि भी यहां प्रदर्शित हैं।
4. मिथक वीथिका और नदी घाटी सभ्यता
जनजातीय मिथकों पर आधारित कलाकृतियों और प्राचीन नदी घाटी सभ्यता की झलक यहां देखने को मिलती है।
5. वन और औषधीय पथ (Medicinal Trail)
देश के विभिन्न हिस्सों से लाए गए औषधीय पौधों और पवित्र वनों के नमूनों को भी संरक्षित किया गया है।
6. चित्रित शैलाश्रय
संग्रहालय परिसर में मौजूद 32 गुफाओं में प्रागैतिहासिक चित्रों का संकलन है, जो भीमबेटका की गुफाओं की याद दिलाते हैं।
वीथि संकुल (Indoor Galleries)
यह संग्रहालय भवन लगभग 10,000 वर्ग मीटर में फैला है, जिसमें अनेक स्थायी प्रदर्शनियाँ हैं:
मानव विकास
विश्वास परंपराएँ
आदिवासी संगीत वाद्य
लोक पोशाक व खानपान परंपराएँ
इथनिक आर्ट और मुखौटे
यहां लगभग 35,000 भौतिक प्रादर्श संग्रहीत हैं और 7,000 से अधिक घंटे की ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग उपलब्ध है।
सुविधाएं और सेवाएं
निःशुल्क गाइड सुविधा
दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर, रैम्प और ब्रेल संकेत
वातानुकूलित ऑडिटोरियम
हेरिटेज कॉर्नर प्रदर्शनी स्कूलों को निःशुल्क उपलब्ध
कैंटीन, खेल क्षेत्र, जनसुविधाएं
25,000 से अधिक पुस्तकों वाला पुस्तकालय
छात्रों के लिए प्रवेश शुल्क में छूट
राष्ट्रीय बालरंग
यहाँ हर साल राष्ट्रीय बालरंग कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिसमें देशभर के बच्चे अपनी पारंपरिक कला और नृत्य प्रस्तुत करते हैं। इस कार्यक्रम को हजारों दर्शक देखने आते हैं।