क्रिकेट के लिए सबसे अच्छी बॉल कौन सी है | Top Cricket Ball Kon Sa Hai?

क्रिकेट बॉल कितने प्रकार के होते हैं | Sabse Best Ball Kon Si Hai Cricket Mein?

Sanspareils Greenlands Balls

Season Ball Bat

मैं क्रिकेट बॉल कैसे चुनूं?

Top Cricket Ball Brands

क्रिकेट मुख्य रूप से बैट और बॉल के बीच का खेल है। क्रिकेट मैच का परिणाम खेल में इस्तमाल होने वाली गेंदों से प्रभावित होता है। कुछ गेंदें स्पिनरों को मदद करती हैं तो कुछ तेज फास्ट बॉलरो की।

आज हम आपको बताते हैं टेस्ट मैचों में इस्तमाल होने वाली गेंदों के बारे में

हालांकि खेल में उपयोग की जाने वाली पिच यह भी तय करती है कि, खेल में किस प्रकार के गेंदबाज अधिक प्रभावी होंगे, तेज गेंदबाज या स्पिनर।

गेंद का साइज

पुरुषों की क्रिकेट गेंद का वजन 155.9 से 163 ग्राम के बीच होता है और इसकी परिधि 22.4 से 22.9 सेंटीमीटर के बीच होती है।

1788 में, मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब एमसीसी ने क्रिकेट के नियम बनाने की जिम्मेदारी ली और सभी कॉपीराइट अपने पास रखे।

Types of Cricket Balls: क्रिकेट बॉल कितने प्रकार के होते हैं?

विश्व में क्रिकेट गेंदों के मुख्य रूप से 3 निर्माता हैं।

Sanspareils Greenlands Balls

कूकाबूरा बॉल्स (Kookaburra Balls)

कूकाबुरा कंपनी 1890 में शुरू की गई थी। कूकाबुरा पिछले 128 सालों से क्रिकेट बॉल को बनाने का काम कर रहा है। इस ब्रांड की गेंदें दुनिया भर में नंबर 1 मानी जाती हैं।

कूकाबुरा बॉल्स का उपयोग पहली बार 1946 और 47 में एशेज टेस्ट सीरीज के बाद ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड के द्वारा किया गया था।

कूकाबुरा बॉल्स आधुनिक तकनीक से अपनी बॉल को बनाते हैं। उच्च गुणवत्ता वाली कूकाबुरा बॉल मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया में एक फैक्ट्री में बनाई जाती हैं।

टुकड़ों वाले डिजाइन के साथ लाल कूकाबूरा का वजन लगभग 156 ग्राम होता है। ये अधिकतर मशीनों से बनाई जाती हैं। यह बॉल स्विंग करने में बहुत अच्छी होती है। इन बॉलों से स्पिन गेंदबाजों को ज्यादा मदद नहीं मिलती है और जैसे-जैसे गेंद पुरानी होती जाती है। बल्लेबाज के लिए बिना ज्यादा परेशानी के शॉट खेलना आसान हो जाता है।

कूकाबूरा टर्फ बॉल का उपयोग दुनिया भर में अधिकांश टेस्ट मैचों, सभी टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में किया जाता है।

इस बॉल का उपयोग ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, पाकिस्तान, श्रीलंका और दक्षिण अफ़्रीका करते हैं।

Kookaburra Balls

ड्यूक बॉल्स (Duke Balls)

ड्यूक क्रिकेट बॉल्स साल 1760 में टोनब्रिज बननी शुरू हुई थीं। इन गेंदों का निर्माण यूनाइटेड किंगडम में किया जाता है। कूकाबुरा की तुलना में ड्यूक बॉल्स का रंग गहरा होता है।

वे पूरी तरह से हाथों से बनाई जाती हैं। अपनी अच्छी गुणवत्ता के कारण ये बॉल अन्य बॉल्स की तुलना में अधिक समय तक नई रहती हैं।

इस बॉल से स्विंग अच्छा मिलता है। यह अन्य बॉल्स की तुलना में अधिक उछलती भी है। इस बॉल से गेंदबाजों को काफी मूवमेंट मिलता है। खासकर तब जब  इंग्लैंड जैसी टीम सामने हो।

इन बॉल्स का इस्तेमाल इंग्लैंड में खेल के लगभग सभी प्रारूपों में किया जाता है।

इसका उपयोग इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज करते हैं

सैंसपैरिल्स ग्रीनलैंड्स बॉल्स (Sanspareils Greenlands Balls)

सैंसपैरिल्स कंपनी की स्थापना 1931 में सियालकोट में दो भाइयों केदारनाथ और द्वारकानाथ आनंद के द्वारा की गई थी।

एसजी प्रारंभ में खेल वस्तुओं का निर्माण करने वाली कंपनी थी। स्वतंत्रता के बाद कंपनी भारत में मेरठ चली गई। साल 1991 में बीसीसीआई ने टेस्ट क्रिकेट के लिए एसजी को गेंदों की मंजूरी दे दी। तब से भारत में टेस्ट इसी गेंद से खेले जाते हैं।

एसजी गेंदों में चौड़ी सीम होती है। जो एक-दूसरे के करीब होती है क्योंकि इन्हें बनाने के लिए टिकर धागे का उपयोग किया जाता है। ये बॉल्स भी हाथों से बनाई जाती हैं। जो एक दिन के खेल के बाद भी अच्छी स्थिति में रहती हैं।

Sanspareils Greenlands Balls

भारत में शुष्क परिस्थितियों के कारण ये गेंदें अपनी चमक खो देती हैं। चौड़ी सीम के कारण ये गेंदें स्पिनरों के लिए बहुत अच्छी होती हैं। चमक खत्म होने के बाद गेंदबाज को 40 ओवर तक रिवर्स स्विंग में काफी मदद मिलती है। भारत में एसजी गेंदों का इस्तेमाल किया जाता है।

भारतीय कप्तान विराट कोहली टेस्ट मैचों में ड्यूक गेंदों को पसंद करते हैं जबकि भारतीय स्पिनर आर. अश्विन को कूकाबूरा गेंदें पसंद हैं लेकिन उन्हें एसजी गेंदें पसंद नहीं हैं।

Share this story