भारत-पाक तनाव का असर एशिया कप 2025 पर: टूर्नामेंट की मेजबानी और PCB की कमाई पर खतरा

क्या भारत एशिया कप 2025 से हटेगा?
एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत एशिया कप 2025 में भाग नहीं लेगा। हालांकि, बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकिया ने इस खबर को स्पष्ट रूप से नकार दिया है। उन्होंने कहा कि भारत टूर्नामेंट से हटने की कोई पुष्टि नहीं करता, लेकिन यह भी जोड़ा कि आने वाले समय में एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के टूर्नामेंट्स पर भारत कोई बड़ा निर्णय ले सकता है।
अगर भारत टूर्नामेंट से पीछे हटता है, तो इसका सीधा असर न केवल टूर्नामेंट की लोकप्रियता पर पड़ेगा, बल्कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) की आर्थिक स्थिति पर भी गहरा असर होगा।
PCB को हो सकता है 220 करोड़ तक का नुकसान
एशिया कप 2025 की मेजबानी फिलहाल भारत को सौंपी गई है। यह टूर्नामेंट सितंबर 2025 में खेला जाना है। भारत-पाक मुकाबले क्रिकेट प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं और विज्ञापन राजस्व का बड़ा हिस्सा इन्हीं मैचों से आता है।
अगर भारत इस टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेता, तो PCB को करीब 165 से 220 करोड़ रुपये तक का वित्तीय नुकसान झेलना पड़ सकता है। इतना ही नहीं, अन्य भाग लेने वाली टीमों की कमाई और टूर्नामेंट के कुल राजस्व पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।
2025 चैंपियंस ट्रॉफी में भी हुआ था पाकिस्तान को बड़ा घाटा
यह पहला मौका नहीं होगा जब भारत की अनुपस्थिति से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगेगा। आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के दौरान भी जब भारत ने पाकिस्तान दौरे से इनकार किया था, तब सभी मैच यूएई (दुबई) में आयोजित किए गए थे।
भारत के फाइनल तक पहुंचने के बावजूद, फाइनल मुकाबले की मेजबानी पाकिस्तान से छिन गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस फैसले के चलते PCB को लगभग 700 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था।
2023 एशिया कप और हाइब्रिड मॉडल की कहानी
साल 2023 में भी एशिया कप को लेकर विवाद सामने आया था। तब टूर्नामेंट की मेजबानी पाकिस्तान को दी गई थी, लेकिन भारत ने सुरक्षा कारणों के चलते पाकिस्तान में खेलने से इनकार कर दिया था। इसके बाद टूर्नामेंट हाइब्रिड मॉडल पर आयोजित किया गया था, जिसमें टीम इंडिया ने अपने सभी मैच श्रीलंका में खेले थे इस फैसले से भी PCB की कमाई पर असर पड़ा था, क्योंकि भारत के मैच पाकिस्तान में नहीं खेले गए और स्टेडियम की टिकट बिक्री, स्थानीय प्रायोजक और विज्ञापन राजस्व में भारी गिरावट दर्ज की गई।