India vs West Indies Test : शुभमन गिल का 'जल्दबाजी' भरा एक्सपेरिमेंट फ्लॉप, टीम इंडिया की रणनीति पर सवाल

India vs West Indies Test: Shubman Gill's 'hasty' experiment flops, questions on Team India's strategy
 
India vs West Indies Test:
भारतीय क्रिकेट टीम का हालिया दौरा लगातार नए प्रयोगों के लिए चर्चा में है, जिनमें से कुछ समझ से परे हैं। भारत और वेस्टइंडीज के बीच दिल्ली में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन कप्तान शुभमन गिल ने कुछ ऐसा ही किया, जिसकी क्रिकेट पंडित आलोचना कर रहे हैं। संक्षेप में, कप्तान का जल्द मैच खत्म करने का प्लान असफल रहा।

WI 248 & 390 (f/o)

IND 518/5 d & 63/1 (18)

  CRR: 3.5

Day 4: Stumps - India need 58 runs

भारत को चौथी पारी में मिला 121 रनों का लक्ष्य

जब टीम इंडिया ने पहली पारी 518/5 के विशाल स्कोर पर घोषित की थी, तब कप्तान गिल ने शायद ही सोचा होगा कि उन्हें चौथी पारी में फिर से बल्लेबाजी करनी पड़ेगी। लेकिन वेस्टइंडीज ने फॉलोऑन के बाद भी जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए दूसरी पारी में 390 रन बनाकर भारतीय योजना को झटका दिया। अब भारत के सामने जीत के लिए 121 रनों का छोटा लक्ष्य था।

यशस्वी जायसवाल का आक्रामक जुआ

जब यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल की सलामी जोड़ी अरुण जेटली स्टेडियम में उतरी, तो फैंस के मन में सवाल था कि क्या टीम इंडिया चौथे दिन ही जीत दर्ज कर लेगी, या मैच पांचवें दिन तक खिंचेगा। जायसवाल ने पहली ही गेंद पर जिस तरह से आक्रामक स्ट्रोक खेलने की कोशिश की, उससे ड्रेसिंग रूम का इरादा स्पष्ट हो गया।

जायसवाल इस मंशा के साथ आए थे कि वे आते ही तूफानी अंदाज में खेलेंगे। उन्होंने दो चौके लगाकर संकेत भी दिए, लेकिन दूसरे ओवर में छक्का मारने की कोशिश में वह कैच थमा बैठे। जायसवाल की पारी सात गेंदों पर आठ रन बनाकर समाप्त हुई।

कप्तान का 'असुविधाजनक' गैम्बल

यह एक तरह का जोखिम भरा जुआ था, जो संभवतः कप्तान शुभमन गिल ने जल्दी जीत हासिल करने के लिए खेला था। जायसवाल के विकेट के बाद यदि भारत के एक या दो विकेट और जल्दी गिर जाते, तो टीम मुश्किल में फँस सकती थी। भले ही 121 रनों का लक्ष्य छोटा हो, लेकिन चौथी पारी में कई बार टीमें इतने ही स्कोर को चेज करने में चूक जाती हैं।

आलोचकों का कहना है कि गिल ने यह 'बेहूदा एक्सपेरिमेंट' किया, जो बुरी तरह से फ्लॉप रहा। कप्तान को यह समझना होगा कि मैच जीतना ज्यादा जरूरी है, न कि उसे जल्दी खत्म करना। यदि जीत सोमवार (पांचवें दिन) को आती तो भी कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ता। ऐसे अनावश्यक जोखिम लेने से टीम पर दबाव आ सकता है।

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