Ravichandran Ashwin News : क्या हिंदी से नफरत की वजह से निकाले गए Ashwin?
 

 Did Ravichandran Ashwin insult Hindi and Hindi speakers in anger of being out of cricket?
Ravichandran Ashwin News : क्या हिंदी से नफरत की वजह से निकाले गए Ashwin?
मतलब कि हम एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां चंद दूरी तय करते ही भाषा बदल जाती है... लेकिन सैकड़ों बोलियों और भाषा वाले इस देश में हिंदी की जो अहमियत है, वो और किसी भी भाषा की नहीं है... हजारों साल पुरानी इस भाषा ने न केवल पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है बल्कि आजादी की लड़ाई के दिनों में भी सबसे Outspoken और strong connection बनाने के तौर पर काम किया.

कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी।

धीरे-धीरे हिंदी flourished होती गई और आज दुनिया की चौथी सबसे ज़्यादा बोलने वाली भाषा बन गई है... इंग्लिश, स्पेनिश और चाईना की ऑफिशियल लैंग्वेज Mandarin के बाद हिंदी दुनिया की सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है... हमारे देश में ही करीब 77 प्रतिशत लोग हिन्दी बोलते, समझते और पढ़ते हैं... पूरी दुनिया में ”हिंदी” हमारी पहचान बन चुकी है... लेकिन ये बड़े ही हैरत की बात है कि हमारे देश में ही हिंदी का सबसे ज्यादा विरोध भी होता चला आया है... इस देश में उन लोगों की तादाद बहुत ज़्यादा है जो हिंदी और हिंदी बोलने वालों से नफरत करते हैं..

उनके दिलों में हिंदी बोलने वालों के लिए इतनी नफरत भरी हुई है कि वो समय-समय पर बाहर आती हुई दिखती रहती है... खासकर के हमारे देश के दक्षिणी यानी southern part में रहने वाले लोगों की हिंदी के लिए नफरत एक लंबे अरसे से दिखती चली आ रही है... दरअसल, दक्षिण भारतीय लोगों के अंदर ये भावना है कि हिंदी उन पर थोपी जा रही है, और जहां बात थोपने की हो वहां पर Rebellion की फीलिंग आ ही जाती है... अब बात आती है कि उनमें ये भावना पनपी कैसे? तो इसका जवाब ये है कि आज़ादी के समय कुछ opportunist politicians ने अपने फायदे के लिए हिंदी का विरोध किया और हिंदी भाषा के विरोध को Tamil self-esteem से जोड़ दिया ,और तमिल अपनी भाषा और संस्कृति से बहुत ज्यादा प्यार करते है और करना भी चाहिए, इसलिए अभी भी वहां पर लोगों को हिंदी भाषा से बहुत प्रॉब्लम है.

रविचंद्रन अश्विन ने  हिंदी भाषा को टारगेट करने से अच्छा कोई और दूसरा रास्ता नहीं सूझा

खैर, एक पॉपुलर क्रिकेटर हैं, हैं नहीं बल्कि थे, मतलब वो अब फॉर्मर क्रिकेटर हो चुके हैं क्योंकि कुछ दिनों पहले ही उन्होंने क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है... नाम है रविचंद्रन अश्विन... स्पिन के बेताज बादशाह रहे हैं... सिर्फ अपने ही दम पर भारत को कई मैच जिता चुके हैं... जब तक क्रिकेट खेलते रहे, तब तक तो पॉलिटिकल कंट्रोवर्सीज़ से कोसों दूर रहे, लेकिन अब जब क्रिकेट छोड़ चुके हैं, तो शायद पॉलिटिक्स में आने की तैयारी कर रहे हैं... और आपको तो मालूम ही है कि पॉलिटिक्स में ज़ोरदार एंट्री करने के लिए कोई भी सेंसिटिव मुद्दा छेड़ दो, फेम तो मिल ही जाएगा... और रविचंद्रन अश्विन को इसके लिए हिंदी भाषा को टारगेट करने से अच्छा कोई और दूसरा रास्ता नहीं सूझा.

रविचंद्रन अश्विन ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के बीच में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया

रविचंद्रन अश्विन ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के बीच में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया था... उनके इस फैसले से सभी को हैरानी हुई थी... इसके बाद अब अश्विन ने एक और हैरान करने वाली बात कही है जिससे विवाद खड़ हो गया है... दरअसल अश्विन एक कॉलेज में ग्रेजुएशन सेरेमनी में पहुंचे हुए थे जहां उन्होंने कह डाला कि हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है... सेरेमनी के दौरान बच्चों से बात करते हुए अश्विन ने पूछा कि यहां जो लोग इंग्लिश समझते हैं वो हां कहें... इस पर बच्चे जोर से चिल्लाए... इसके बाद अश्विन ने कहा कि जो लोग तमिल समझते हैं वो जोर से हां कहें... यहां भी बच्चों ने जोर से आवाज लगाई... इसके बाद अश्विन ने कहा कि ठीक, अब यहां हिंदी कौन-कौन समझते हैं? लेकिन यहां कोई आवाज नहीं आई... तब अश्विन ने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा नहीं है, ये सिर्फ official लैंग्वेज है... वीडियो देखिए...

अश्विन का वीडियो लगाएं

खैर, अश्विन के बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया है... कई लोग उनके खिलाफ में उतर आए हैं... सोशल मीडिया पर अश्विन को जमकर ट्रोल किया जा रहा है... हालांकि, कई लोग उनके साथ भी खड़े नजर आ रहे हैं... मामला ये है कि लोग अब दो धड़ों में बंट गए हैं... एक वो हैं जो अश्विन के साथ हैं और दूसरे वो हैं जो अश्विन के खिलाफ हैं... 

वैसे अश्विन की एक बात सच है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि राजभाषा है, लेकिन साथ ही साथ हमें ये भी समझना होगा कि आज हिंदी देश के एक बड़े हिस्से के संवाद की भाषा है... Geographic variations के बावजूद हिंदी की दुनिया बेहद extensive है... हिंदी समझनेवाले आपको कश्मीर से लेकर North-East के पहाड़ी इलाकों और कन्याकुमारी के समुद्री तटों तक मिल जाएंगे... ये सिचुएशन तब है, जब इस देश पर सैकड़ों सालों तक Foreign invaders ने हुकूमत किया... इतिहास में अरबी-फारसी, तुर्की, पश्तो से लेकर उर्दू और अंग्रेजी तक linguistic traditions की एक नहीं, कई लहरें उठीं... लेकिन हिंदी ने न तो किसी भाषा का विरोध किया, न किसी से टकराई, न ही बगावत की... सभी को अपने अंदर समाहित करती गई... हिंदी की ताकत वही है, जो हिंदुस्तान की है... हिंदी महज़ भाषा नहीं, बल्कि इस मुल्क की सनातन कलचर का eternal expression है... इसलिए हिंदी भाषा का सम्मान, हिंदी भाषा की रिस्पेक्ट ज़रूरी है, फिर चाहे आप देश के किसी भी हिस्से में रहते हों, मुझे लगता है कि ये बात रविचंद्रन अश्विन को समझनी चाहिए.

Share this story