लखनऊ विश्वविद्यालय में तरणताल पर आयोजित हुआ प्लाविनी प्राणायाम सत्र, विद्यार्थियों ने जल योग से सीखा स्वास्थ्य संतुलन

लखनऊ डेस्क (प्रत्यूष पाण्डेय)।
लखनऊ विश्वविद्यालय के योग विभाग और के.जी.एम.यू. (किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) के सहयोग से तरणताल में ‘प्लाविनी प्राणायाम’ योग सत्र का सफल आयोजन किया गया। यह विशेष अभ्यास सत्र फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन के तत्वावधान में संपन्न हुआ।
जल और प्राणायाम का अद्वितीय संगम
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. अमरजीत यादव ने बताया कि प्लाविनी प्राणायाम एक विशेष प्रकार का जल योग है, जिसमें जल के भीतर किए जाने वाले योगासनों और श्वसन तकनीकों का संयोजन होता है। उन्होंने कहा, "इस अभ्यास से शरीर का लचीलापन बढ़ता है, तनाव दूर होता है और मानसिक संतुलन में भी सुधार आता है। पानी में योग करने से गुरुत्व बल कम महसूस होता है, जिससे जोड़, मांसपेशियाँ और फेफड़े अधिक प्रभावी तरीके से क्रियाशील होते हैं।"
योग से तन, मन और विचार की शुद्धि
कार्यक्रम में के.जी.एम.यू. के डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. आर.ए.एस. कुशवाहा ने योग के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, "नियमित योग अभ्यास से न केवल शरीर, बल्कि मन और विचारों की भी शुद्धता होती है। योग वाणी की स्पष्टता और मानसिक शक्ति को भी बढ़ाता है।" उन्होंने सभी प्रतिभागियों को योग को दैनिक जीवन में अपनाने की सलाह दी।
छात्रों का उत्साहपूर्ण प्रदर्शन
कार्यक्रम की आकर्षण का केंद्र बनीं लखनऊ विश्वविद्यालय की योग छात्रा श्रीमती रोना हेमवानी, जिन्होंने जल में विभिन्न प्राणायाम और योगासनों का प्रदर्शन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ विश्वविद्यालय की अन्य छात्राओं—मोनिका सिंह, संजना कुशवाहा, अर्चना वर्मा, नम्रता मिश्रा, प्रगति तिवारी, रागिनी, सुष्मिता, खुशबू गौतम और छात्र शिखर, आदित्य ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई।
योग: शारीरिक और मानसिक सेहत का आधार
सत्र का उद्देश्य प्रतिभागियों को जल में योग अभ्यास के माध्यम से तनाव प्रबंधन, मानसिक स्पष्टता और संपूर्ण स्वास्थ्य संतुलन के प्रति जागरूक करना था। लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस पहल से स्पष्ट है कि उच्च शिक्षा संस्थान अब समग्र स्वास्थ्य और जीवनशैली सुधार को भी अपनी शैक्षिक दिशा में शामिल कर रहे हैं।