गौतम गंभीर की कोचिंग में टेस्ट क्रिकेट, क्या बदलेगी किस्मत या बढ़ेगा संकट?
Test cricket under Gautam Gambhirs coaching : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ओपनर और फाइनल के नायक रहे गौतम गंभीर अब मैदान के बाहर, डगआउट से टीम को दिशा देने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कोच के रूप में उनका आगमन उम्मीदों से भरा रहा, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनका शुरुआती सफर बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है।
अगर हाल के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पिछले 11 टेस्ट मुकाबलों में गंभीर की कोचिंग वाली टीम को 9 बार हार का सामना करना पड़ा है, जबकि सिर्फ 2 मैच ही जीत में बदले हैं और 1 मैच ड्रॉ रहा है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है – क्या गंभीर टेस्ट क्रिकेट के लिए सही कोच हैं?
गंभीर की कोचिंग स्टाइल – फायदेमंद या भारी?
गंभीर को एक सख्त, अनुशासित और परिणामोन्मुख कोच माना जाता है। वह खिलाड़ियों से शत-प्रतिशत समर्पण की उम्मीद करते हैं। सफेद गेंद क्रिकेट (T20 और वनडे) में उनकी आक्रामक सोच और निर्णायक नेतृत्व की झलक कई बार देखने को मिली है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट एक अलग ही ज़मीन है, जहां केवल आक्रामकता नहीं, बल्कि धैर्य, रणनीतिक सूझ-बूझ और सत्र-दर-सत्र नियंत्रण की आवश्यकता होती है।
टेस्ट क्रिकेट में गंभीर की चुनौतियाँ
टेस्ट फॉर्मेट में कोच की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है – प्लेइंग इलेवन का चयन, गेंदबाजों का सही रोटेशन, बल्लेबाज़ी क्रम में बदलाव, और सबसे अहम खिलाड़ियों के मानसिक संतुलन को संभालना। यहां हर गलती महंगी साबित हो सकती है।
गंभीर के नेतृत्व में भारतीय टीम न सिर्फ परिणामों के मामले में पिछड़ी, बल्कि कई बार रणनीतिक तौर पर भी असमंजस में दिखाई दी। यह स्पष्ट करता है कि उन्हें अभी इस फॉर्मेट की कोचिंग में अनुभव और समय की ज़रूरत है।
जिम्मेदारी सिर्फ कोच की?
यह कहना भी उचित नहीं होगा कि हार की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ कोच की है। मैदान पर अंतिम फैसले खिलाड़ी ही लेते हैं, और उनकी तैयारियों, मानसिकता व प्रदर्शन का भी गहरा असर पड़ता है। लेकिन कोच की भूमिका तब सवालों के घेरे में आती है, जब नतीजे लगातार निराशाजनक रहें।
आगे का रास्ता
अब बड़ा सवाल है – क्या गंभीर को और समय देना चाहिए या उन्हें सिर्फ सीमित ओवरों के क्रिकेट तक सीमित रखना समझदारी होगी? यदि गंभीर को टेस्ट क्रिकेट में एक प्रभावी कोच बनना है, तो उन्हें सिर्फ आक्रामक रणनीति नहीं बल्कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण, परिस्थितियों के अनुरूप लचीलापन और टीम के भीतर विश्वास जगाने की कला भी विकसित करनी होगी।
