भारत में पहली बार मोबाइल से वोटिंग की शुरुआत, बिहार बना डिजिटल लोकतंत्र का अग्रदूत

लेखक: अजय कुमार, वरिष्ठ पत्रकार ) जून 2025 का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने वाला रहा। बिहार ने देश में पहली बार स्मार्टफोन के ज़रिए मोबाइल आधारित ई-वोटिंग प्रणाली को लागू करके तकनीक और लोकतंत्र के समन्वय की मिसाल पेश की। यह ऐतिहासिक पहल बिहार राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की गई, जिसमें “E-SECBHR” नामक एंड्रॉयड ऐप लॉन्च किया गया, जिसने मतदाताओं को घर बैठे वोट डालने की सुविधा प्रदान की।
वोटिंग की नई परिभाषा: घर से लोकतंत्र में भागीदारी
ई-वोटिंग प्रणाली विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों, और गंभीर रूप से बीमार मतदाताओं के लिए तैयार की गई थी। इस प्रणाली का प्रयोग पटना, रोहतास और पूर्वी चंपारण सहित छह नगर निगम क्षेत्रों में किया गया। देश की पहली ई-वोटर बनने का गौरव पूर्वी चंपारण की विभा कुमारी को मिला, जिन्होंने अपने मोबाइल से मतदान कर इस क्रांतिकारी तकनीक को सफलतापूर्वक आज़माया। विभा ने कहा, "मेरी तबीयत ठीक नहीं थी, पोलिंग बूथ तक जाना मुश्किल था। लेकिन इस ऐप ने मुझे मेरे अधिकार के प्रयोग का मौका घर बैठे ही दिया।"
सुरक्षा और पारदर्शिता बनी प्राथमिकता
ई-वोटिंग ऐप में फेस वेरिफिकेशन और वोटर आईडी सत्यापन जैसे दोहरे सुरक्षा उपाय अपनाए गए, जिससे प्रत्येक वोट की वैधता सुनिश्चित हो सके। साथ ही, 5G नेटवर्क का उपयोग करके प्रक्रिया को तकनीकी रूप से सुरक्षित और तेज़ बनाया गया।उपयोग दर की बात करें तो, इस नई प्रणाली के तहत 69.49% से 70.20% तक मतदाताओं ने वोट डाला, जो पारंपरिक ईवीएम आधारित मतदान से लगभग 16% अधिक रहा।
सवाल और संभावनाएं
हालांकि इस प्रयोग को लेकर कुछ संदेह भी सामने आए। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इसकी साइबर सुरक्षा, वोटर लिस्ट में गड़बड़ी, और हेरफेर की संभावनाओं पर चिंता जताई। कुछ यूज़र्स ने इसे पूर्व-नियोजित एजेंडा तक कह डाला। लेकिन निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि हर तकनीकी पहलू को गंभीरता से परखा गया है और पूरी प्रक्रिया कड़े वेरिफिकेशन प्रोटोकॉल्स के तहत संचालित हुई।
आगे की राह और राष्ट्रीय महत्व
इस पायलट प्रोजेक्ट के विश्लेषणात्मक परिणाम भविष्य में राज्य विधानसभा चुनावों और संभवतः संसद चुनावों में इस तकनीक के इस्तेमाल की दिशा तय करेंगे। प्रवासी भारतीयों और दूर-दराज के मतदाताओं के लिए यह एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. दीपक प्रसाद ने कहा,यह तो बस शुरुआत है। हमारा उद्देश्य है कि लोकतंत्र की भागीदारी हर नागरिक तक पहुँचे – चाहे वह कहीं भी हो।
डिजिटल भारत की ओर एक क्रांतिकारी कदम
बिहार की यह पहल न सिर्फ एक तकनीकी नवाचार है, बल्कि यह संकेत भी है कि भारत का लोकतंत्र अब और सुलभ, समावेशी और डिजिटल बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। यह प्रयोग अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है और आने वाले वर्षों में मतदान प्रक्रिया की तस्वीर ही बदल सकता है।