लहसुन-प्याज क्यों है तामसिक

 
सनातन धर्म में पूजा-पाठ और व्रत का विशेष महत्व होता है. इस दौरान सात्विक भोजन ही किया जाता है. यानी मांस और मदिरा के साथ लहसुन और प्याज का सेवन करने की मनाही है. ऐसे में सवाल उठता है कि शाकाहार में शामिल होने के बाद भी धार्मिक अनुष्ठानों में लहसुन-प्याज खाने की मनाही क्यों होती है. देखिये  शास्त्रों के अनुसार, लहसुन और प्याज तामसिक भोजन की श्रेणी में आते हैं. इसका सेवन करने से व्यक्ति के मन में उत्तेजना, अहंकार और क्रोध जैसे भाव आते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन से अमृत मिलने के बाद भगवान विष्णु जब देवताओं में अमृत बांट रहे थे.
तभी स्वर्भानु नाम के एक राक्षस देव रूप धारण कर धोखे से अमृत पी लिया था. तभी भगवान विष्णु से अपने चक्र के प्रहार से उस राक्षस के सिर को धड़ से अलग कर दिया. विष्णु जी ने राक्षस के सिर को धड़ से अलग तो कर दिया, लेकिन वह राक्षस अमृत की कुछ बूंदें पी चुका था, जो उस समय उसके मुख में ही रह गई थी. राक्षस का सिर कटने से रक्त की कुछ बूंदे पृथ्वी पर गिर गई और उस स्थान पर लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई. इसलिए व्रत त्योहार में लहसुन प्याज का सेवन वर्जित माना जाता है.