क्यों मनाया जाता है पितृपक्ष 

 
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान पितरों की मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए उनके परिवार के लोग तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि करते हैं। ऐसा करने से पितृ सुख-समृद्धि, धन-वैभव का आशीर्वाद देते हैं। और इस साल पितृपक्ष 17 सितंबर से आरंभ होकर 2 अक्टूबर को समाप्त हो रही है। हिंदू धर्म के अनुसार, हमारे पूर्वजों की तीन पीढ़ियों  की आत्माएं स्वर्ग और नरक के बीच पड़ने वाले पितृलोक में निवास करती है। इस जगह पर यमराज का शासन है। ऐसे में जो भी व्यक्ति मरता है उसे यमराज पितृलोक ले जाते हैं। ऐसे में जब किसी परिवार में कोई व्यक्ति मरता है,
तो पहली पीढ़ी स्वर्ग या फिर नरक जाती है। ऐसे में पितृपक्ष के दौरान इन तीन पीढ़ियों का श्राद्ध कर्म किया जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किया जाता है, जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस पूरे महीने पितर धरती पर ही वास करते हैं। ऐसे में उनके परिवार जन विभिन्न तरीके से अपने पितरों को प्रसन्न करते हैं। इस दौरान अगर आपकी कुंडली में पितृदोष है, तो इस माह कुछ उपाय करना लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

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