Neem karoli baba ashram भक्तों के "भगवान" हैं बाबा नीब करौरी महाराज

भक्तों के मन मंदिर में बसते हैं गुरुदेव महाराज

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पुण्य तिथि पर याद किये गये नीब करौरी महाराज

देश-दुनिया में याद किये गये बाबा नीब करौरी महाराज

लखनऊ. भक्तों के भगवान पूज्य बाबा नीब करौरी महाराज सशरीर  भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन गुरुदेव भगवान को अपना पालनहार मानने वाले लाखों श्रद्धालुजन अच्छी तरह जानते हैं कि बाबा जी किसी न किसी रूप में सदैव उनके आस पास ही रहते हैं. देश - दुनिया में स्थापित गुरुदेव महाराज के सैकड़ों मंदिर - आश्रमों में आज भक्तों की भारी भीड़ है. आज ही के दिन 11सितंबर,1973 (अनंत चतुर्दशी) को वृन्दावन धाम में बाबा नीब करौरी महाराज ने सशरीर शांत कर इहलीला समाप्त कर ली थी. वृंदावन धाम में स्थित समाधि स्थल पर अनंत चतुर्दशी पर्व पर 19 सितंबर को हजारों भक्तजनों की मौजूदगी में पुण्यतिथि पर विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे.

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श्री दीक्षित ने बताया कि गुरुदेव महाराज को अपना महाप्रयाण अच्छी तरह पता था तभी तो आखिरी समय में उन्होंने अस्पताल में कृतिम आक्सीजन के लिए मुँह में लगा मास्क निकाल कर फेंक कर कह दिया था कि अब कोई फायदा नहीं है. इतना ही नहीं, आगरा से जैसे ही ट्रेन मथुरा स्टेशन पर रुकी थी उन्होंने तुरंत ट्रेन से उतरने की इच्छा जताई और कहा था कि उन्हें सीधे वृंदावन धाम लेकर चलें. गुरुदेव महाराज वृंदावन धाम में ही सशरीर त्यागना चाहते थे, आखिर में वही किया. भक्त भले कुछ नहीं समझ पाए लेकिन बाबा जी अपनी लीला बखूबी किये जा रहे थे.

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बाबा नीब करौरी महाराज को समर्पित आध्यात्मिक मासिक पत्रिका 'हनुमत कृपा ' के सम्पादक नरेश दीक्षित का कहना है कि बाबा जी ने 48 साल पहले 73 वर्ष की अवस्था में शरीर छोड़कर दुनिया की नजर में अनंत यात्रा पर भले चले गये हों लेकिन भक्तों के लिए बाबा जी आज भी मौजूद हैं और श्रद्धालुजनों की हर समस्या बिना देरी किये दूर कर देते हैं.

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उन्होंने बताया कि शरीर शांत होने के बाद भी गुरुदेव महाराज भक्तों को दर्शन भी देते रहे हैं. देश ही नहीं, विदेश के भक्तों को भी बाबा जी दर्शन देते रहते हैं. भक्त की करुण पुकार बाबा जी तुरंत सुनते हैं.

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