Folk Singer  मैथिली ठाकुर के बारे में जानकारी | Maithili Thakur Success Story in Hindi 

मैथिली का जन्म कब और कहां हुआ था | Maithili Thakur Biography In Hindi

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Maithili Thakur PM Modi

 

कहते हैं कला किसी उम्र की मोहताज नहीं होती... और इस बात को साबित करती हैं बिहार की मशहूर लोक गायिका मैथिली ठाकुर... मैथिली ठाकुर आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है... दौर चल रहा है सोशल मीडिया का... और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाला हर शख़्स यकीनन मैथिली ठाकुर की शख्सियत से पूरी तरह वाकिफ होगा...

मैथिली ठाकुर क्या बनेंगी बॉलीवुड की लीड एक्ट्रेस?

फेसबुक पर 14 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स और यूट्यूब पर लगभग साढ़े चार मिलियन सब्सक्राइबर्स किसी के यूं ही नहीं हो हो जाते... बल्कि इसके पीछे तप होता है कई सालों की कड़ी मेहनत और कड़े संघर्ष का... मैथिली की कहानी भी कुछ ऐसी ही है... अपनी खूबसूरत आवाज से मैथिली ने जो मुकाम हासिल किया है, उसे समझने के लिए सिर्फ इतना ही काफी है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी उनके बहुत बड़े फैन हैं... जी हां, International Women's Day के मौके पर राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड्स कार्यक्रम में मैथिली ठाकुर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड' से सम्मानित किया... मैथिली को 'कल्चरल एंबेसडर ऑफ द ईयर' अवॉर्ड से नवाजा गया है... पीएम मोदी ने पहले नमस्ते कहकर उनका अभिवादन किया... फिर कुछ गुनगुनाने को भी कहा... प्रधानमंत्री मोदी के आग्रह को मानते हुए मैथिली ने शिव भजन सुनाया... इसके बाद दोनों ने सेल्फी भी ली और एक छोटा सी रील भी बनाई जिसे मैथिली ने अपने इंस्टाग्राम पर भी शेयर भी किया है... आज अपनी इस खास रिपोर्ट में मैथिली ठाकुर की कामयाबी के पीछे की उनकी कहानी को हम आपके सामने पेश करने जा रहे हैं...

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मैथिली का जन्म कब और कहां हुआ था?

एक छोटी सी जगह से निकलकर सिर्फ अपने टैलेंट के दम पर सफलता का परचम लहराना हर किसी के लिए आसान नहीं होता... लेकिन कहते हैं ना कि हुनर को बेड़ियों में बांधकर भी नहीं रखा जा सकता, वो अपने आप निकलकर अपना जादू बिखरने लगता है... और मैथिली ठाकुर इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं... 25 जुलाई, साल 2000 को बिहार के मधुबनी जिले में स्थित बेनीपट्टी में मैथिली ठाकुर का जन्म हुआ था... संगीत की शुरुआती शिक्षा के बारे में बात करें तो मैथिली को इसके लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं पड़ी... शुरुआती तालीम उन्हें उनके दादा जी से ही मिल गई थी... उनके दादा जी को संगीत की गहरी समझ थी और वे भगवान राम और माता सीता के बहुत बड़े भक्त थे... शुरुआत में दादाजी ने ही उन्हें सिखाना शुरू किया... उन्होंने मैथिली भाषा में ही अपनी पोती को राम और सीता पर आधारित कई भजनों को गाना सिखाया... पढ़ाई की कोई खास व्यवस्था ना होने के कारण मैथिली का सारा ध्यान संगीत की शिक्षा पर ही रहता था... जब मैथिली 6 साल की हुईं तो उनके पापा उन्हें लेकर दिल्ली आ गए... दिल्ली आने के बाद मैथिली ने क्लासिकल संगीत सीखना शुरू किया... संगीत के प्रति सीखने की ललक से मैथिली ठाकुर ने जल्द ही क्लासिकल गाना शुरू कर दिया...

फ्लॉक सिंगर मैथिली ठाकुर के बारे में जानकारी

शुरुआत में मैथिली ठाकुर ने छोटे-मोटे कार्यक्रमों व विभिन्न अवसरों पर अपनी प्रतिभा का जादू बिखेरना शुरू किया... 11 साल की उम्र में उन्होंने पहला स्टेज शो किया जिसमें उन्होंने “ब्राह्मण बाबू यो” गीत मैथिली भाषा में गाया... उनका गाया यह गीत बहुत प्रसिद्ध और लोकप्रिय हुआ... लोगों ने सोशल मीडिया पर इसे खूब सराहा... उसी साल 2011 में मैथिली को पहली बार एक बड़ा मंच मिला... वह मंच था 'Little Champs' ऑडिशन का... मैथिली ने इस शो के तीनों ऑडिशन को बहुत ही आसानी से पास कर लिया लेकिन वह इस शो में ज्यादा आगे तक नहीं जा पाईं और बाहर हो गईं... उन्होंने हार नहीं मानी... साल 2015 में उन्होंने फिर एक बार ‘Indian Idol Junior’ में अपना ऑडिशन दिया लेकिन इस बार भी पिछले शो के जैसा ही उन्हें असफलता हाथ लगी... मैथिली ने इसके बाद भी हार नहीं मानी और अगले शो 2016 में ‘Sa Re Ga Ma Pa’ में ऑडिशन दिया जिसमें जजों ने उन्हें पहले राउंड में ही बाहर का रास्ता दिखा दिया...

मैथिली ठाकुर क्यों प्रसिद्ध है?

तीन असफलता मिलने के बावजूद मैथिली ठाकुर नहीं टूटीं और अपना हौसला बरकरार रखा... लगातार वह अपनी गायिकी को बेहतरीन करती रहीं... मैथिली ने एक फैसला किया कि वो अब आगे से बॉलीवुड गाने ना गाकर क्लासिकल गाएंगी जो सबसे अलग होगा... अगले साल 2017 में एक और शो ‘Rising Star’ आया... इस शो में मैथिली ठाकुर को बहुत Popularity मिली... उनके गाए गाने लोगों को बेहद पसंद आए और इस शो में वह Runner Up रहीं... इस कामयाबी के बाद मैथिली ठाकुर भारत के साथ अन्य देशों में भी मशहूर होने लगीं... धीरे-धीरे मैथिली ठाकुर गायकी के क्षेत्र में अपना नाम बहुत ही तेज़ी से स्थापित करती चलीं गईं... खैर, सोशल मीडिया का इस्तेमाल तो हम सभी करते हैं... लेकिन मैथिली ठाकुर ने इसका इस्तेमाल ऐसा किया कि उनकी Popularity सात समुंदर पार तक चली गई... यूट्यूब पर वो अपने भाई अयाची व ऋषभ के साथ लाइव परफॉर्मेंस देती हैं... वो कहती हैं कि अयाची की तालियां और ऋषभ का तबला उन्हें शानदार संगत देता है... वो यह भी कहती हैं कि वो अपने दोनों भाइयों के बिना अधूरी हूं क्योंकि दोनों के सहयोग से ही उन्हें बल मिलता है... आपने गौर किया होगा कि मैथिली के भजनों में ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास झलकता है... दरअसल इसके पीछे की वजह है उनके घर का धार्मिक माहौल... मैथिली के घर में रामायण-सुंदरकांड का पाठ होता ही रहता था, इसी माहौल की वजह से आज वो ऐसी हैं...

 

क्या मैथिली ठाकुर ने इंडियन आइडल जीता?

मैथिली जितनी अच्छी गायिकी में हैं उतने ही अच्छे उनके विचार भी हैं... जी हां, वो अपनी काम्या का सारा श्रेय अपने माता-पिता को ही देती हैं... मैथिली का मानना है कि  सोशल मीडिया का नेगेटिव इंपैक्ट भी होता है, जिसे सिर्फ माता-पिता ही कंट्रोल कर सकते हैं... बच्चे हो या टीनएजर्स उनमें इतनी समझ नहीं होती कि वे सही-गलत का फैसला कर सकें... ऐसे में पैरेंट्स का रोल बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है... मैथिली कहती हैं कि आज के बच्चे खुद को मॉडर्न दिखाने के लिए पैरेंट्स की बात नहीं मानते, लेकिन बड़ों की बात नहीं मानना कोई आधुनिकता नहीं है... वाकई, इतनी कम उम्र में इतने अच्छे विचार ही मैथिली को दूसरे सेलिब्रिटीज से अलग करती है...

मैथिली कैसे गाने गाती हैं?

वैसे मैथिली ठाकुर के बारे में आपको एक और interesting बात बता देते हैं और वो ये है कि अब उन्हें बॉलीवुड से कई ऑफर मिल रहे हैं... एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि उन्हें बॉलीवुड के एक बड़े डायरेक्टर ने लीड एक्ट्रेस के रोल के लिए ऑफर दिया है, लेकिन इसके लिए उन्होंने इनकार कर दिया है... उनका मानना है कि बॉलीवुड में उनसे ज्यादा काबिल और खूबसूरत एक्ट्रेस हैं, वहां उनका कोई काम नहीं हैं और न ही वह इसके लिए बनी हैं... वे हमेशा सिर्फ गाना ही चाहती हैं... उनका कहना है कि भारतीय संस्कृति की धरोहर हैं लोक गीत और वह इस संस्कृति के संरक्षण के लिए ही अपनी गायकी समर्पित करना चाहती हैं... हालांकि वह बॉलीवुड में playback singer के रूप में अपनी एक अलग और अनूठी पहचान बनाने का सपना जरूर संजोती हैं... आपको बता दें कि मैथिली ठाकुर बिहार की संस्कृति को जिंदा रखने के लिए भी जी तोड़ मेहनत कर रही हैं... वह बिहार पर्यटन विभाग की ब्रांड एंबेसडर हैं... इससे पहले वह बिहार खादी और हस्तशिल्प की भी ब्रांड एंबेसडर रह चुकी हैं... इसके अलावा अब चुनाव आयोग ने भी मैथिली ठाकुर को बिहार आइकॉन बना दिया है... लिहाजा, अभी फिलहाल वो लोकसभा चुनाव को देखते हुए मतदाताओं के बीच जागरूकता लाने की कोशिश कर रही हैं...

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बहरहाल, मशहूर लोक गायिका मैथिली ठाकुर की अब तक की जिंदगी की कहानी आपने सुनी... हमें उम्मीद है कि इससे आपको जरूर कुछ ना कुछ प्रेरणा मिली होगी... फिलहाल हमें दीजिए इजाजत, नमस्कार!

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