Marne Ke Baad Kya Hota Hai | मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है जानिए
विज्ञान के मुताबिक ये सारी चीजें लगभग 7 मिनट का होती है
मृत्यु से पहले इंसान को उनका पूरा जीवन जन्म से लेकर मृत्यु तक एक आभास के रूप में दिखाई देता है। विज्ञान के मुताबिक ये सारी चीजें लगभग 7 मिनट का होती है। उसके बाद इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता है और अंत में इंसान अपनी सुनने की शक्ति भी खो देता है, जिसके बाद एस्ट्रल को टूट जाता है। जो कि एक तरह से शरीर और आत्मा का कनेक्शन है, जिसके टूटने से आत्मा शरीर से मुक्त हो जाती है। काफी लंबे समय से शरीर में रहने के कारण आत्मा बॉडी को छोड़ने से मना करती है और फिर से बॉडी में जाने की काफी कोशिश करती है। लेकिन ऐसा होता नहीं है। जैसे हमारे लिए किसी की मृत्यु को स्वीकार करना मुश्किल होता है |
मरने के बाद आत्मा कितने दिन घर में रहती है
वैसे ही आत्मा को किसी भी शरीर को छोड़ना काफी मुश्किल होता है। शरीर छोड़ने के बाद आत्मा बॉडी के 15 फिट ऊपर हवा में तैरती है और वो अपने परिजनों को रोता हुआ देखती है। हिंदू ग्रंथों के अनुसार मृत्यु के बाद रात के समय अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। सुबह सूर्यदेव की पहली किरण के बाद ही बॉडी को जलाया जाता है। अगर किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार रात को किया जाए तो उसकी आत्मा प्रेत में प्रवेश करती है। जिसके बाद सदा के लिए हमारे डाइमेंशन यानी की आयाम में भटकती रहती है। एक बात वो भी है कि मृत्यु के बाद शव को एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ा जाता। अगर शव को रातभर घर में रखा जाए तो पूरा परिवार रातभर शव के पास जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि शव को अकेला छोड़ने पर बाहरी प्रेतों सब पर कब्जा कर लेते हैं। इसलिए कोई रात में शव को अकेला नहीं छोड़ते। ग्रंथों के मुताबिक, अंतिम समय में दो यमदूत आते हैं और वे मरने वाले के साथ उनके कर्मों के आधार व्यवहार करते हैं।
आत्मा को प्रकाश की गुफा से होते हुए यमदूत यमलोक ले के जाते हैं
अगर मरने वाला अच्छा आदमी है तो उसे जल्दी मोक्ष मिलता है लेकिन वो पापी है तो यमदूतों के टॉर्चर से तड़प तड़प कर मरता है। जिसके बाद एक प्रकाश में गुफा से होते हुए। यमदूत यमलोक ले के जाते हैं। बाद में आग से लथपथ वैतरणी नदी पार करते हुए आत्मा को जाना होता है। जिसने अच्छे कर्म किए हैं वह आसानी से इस नदी को पार कर लेता है लेकिन अगर कोई पापी है तो उसे काफी पीड़ा भोगनी पड़ती है। फिर आत्मा को यमराज के सामने खड़ा कर दिया जाता है और चित्रगुप्तजी उस व्यक्ति के पाप और पुण्य का लेखा जोखा यमराज के सामने रखते हैं। और इंसान के कर्म के आधार पर उसे स्वर्ग या नरक भेजा जाता है।
आत्मा न तो पैदा होती है और ना ही वह मरती है
गरुड़ पुराण में बताया जाता है कि कुल 36 प्रकार के नरक है। यहाँ व्यक्ति को सजा दी जाती है। अगर कोई व्यक्ति सुसाइड कर के प्राण त्यागता है तो उसे बहुत ज्यादा कठिनाइयां सहनी पड़ती है क्योंकि उस इंसान ने समय से पहले ही अपने शरीर को त्याग दिया है। गरुड़ पुराण के अनुसार हमारे वास्तविक जीवन में किये गए हमारे कर्म ही हमें स्वर्ग या नरक का रास्ता दिखाते हैं। अगर कोई साधु है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति तुरंत हो जाती है। आपको लगता होगा की ये सब इसे कैसे पता? बता दें कि गरुड़ देव जिनका बल अतुलनीय है, वे एक 700 इंद्र को पराजित कर सकते हैं। गरुड़ देव स्वर्ग से अमृत कलश लेकर उड़ गए थे लेकिन उन्होंने अमृतपान नहीं किया। उन्हें बिना अमृत के ही अमरदान प्राप्त हुई है। ये वरदान उन्हें स्वयं श्री हरि नारायण ने प्रसन्न होकर दिया था। गरुड़ देव तो अमर है उन्हें नहीं पता की मृत्यु के बाद क्या होता है श्री हरि नारायण से ये प्रश्न पूछा और इसी ज्ञान को हम गरुड़ पुराण के नाम से जानते हैं। भगवद गीता में श्रीकृष्ण ने कहा था, आत्मा न तो पैदा होती है और ना ही वह मरती है, वो तो सिर्फ वस्त्र की तरह। एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश करती है। मृत्यु तो केवल शरीर की होती है, आत्मा की नहीं, ये जीवन मृत्यु का चक्र यूं ही चलता रहता है।