भारत के चुनाव आयोग की मुख्य शक्ति क्या है | Lok Sabha Election 2024

निर्वाचन आयोग की नियुक्ति कौन करता है | Roles And Powers Of The Election Commission Of India In Hindi

mukhya chunav ayukt ki niyukti kiske dwara hota hai

Chunav Aayog Kya Hai

Bharat Me Chunav Vyavastha

Chunav Aayog Ki Sthapna Kab Hui

भारत में इस वक्त लोकसभा चुनाव का मौसम चल रहा है...  धड़ल्ले से राजनीति हो रही है... बस कभी भी किसी भी वक्त चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है... आपको मालूम होगा कि भारत का लोकसभा चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव होता है... इसमें करोड़ों मतदाता मतदान करते हैं... और इसके लिए लाखों की संख्या में कर्मचारी काम करते हैं...

भारतीय संविधान ने चुनाव आयोग को कितना ताकतवर बनाया है?

आपको बता दें कि भारत में लोकसभा के चुनाव साल 1951 से कराए जा रहे हैं... अब तक लोकसभा के 17 चुनाव हो चुके हैं... भारत का निर्वाचन आयोग या चुनाव आयोग जिसे अंग्रेजी में Election Commission of India कहते हैं... वो इन चुनावों को conduct करवाता है... भारत का संविधान स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करने की गारंटी के लिए Election Commissioner को अपार शक्ति देता है... अपनी इस रिपोर्ट में हम चुनाव आयोग की पूरी कार्यप्रणाली जानेंगे... हम जानेंगे कि चुनाव आयोग आखिर कितना ताकतवर होता है और अलग-अलग चुनावों के दौरान इसे कौन-कौन से अधिकार हासिल होते हैं...

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भारत का पहला चुनाव आयोग कौन बना?

सबसे पहले तो यह जानते हैं कि इसकी स्थापना कब की गई और इसका मुख्य कार्य क्या होता है...  किसी देश में लोकतंत्र है, Democracy है, यह कैसे पता चलता है... ज़ाहिर है जहां शासन करने वाले जनता के द्वारा ही चुने जाते हैं, वहां लोकतंत्र होता है... और आपको मालूम है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है इसलिए भारत में लोकतंत्र की स्‍‌थापना से पहले उस संस्‍थान की स्‍थापना की गई जो भारत में जनता के प्रतिनिधियों के चुनने के लिए जिम्मेवार होगी... तो इस तरह से 26 जनवरी 1950, यानी भारत में गणतंत्र लागू होने के ठीक एक दिन पहले ही भारतीय निर्वाचन आयोग यानी Election Commission of India की स्‍थापना की गई थी और पहले चुनाव आयुक्त यानी Election Commissioner बने सुकुमार सेन... चुनाव आयोग का मुख्य कार्य देशभर में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का संचालन कराना होता है... शायद आप यह भी सोच रहे होंगे कि चुनाव आयोग के कमिश्नर को चुनने की ताकत किसकी होती है... तो इसका जवाब है राष्ट्रपति... जी हां, Indian Constitution के Article-324(2) के तहत देश के राष्ट्रपति को Chief Election Commissioner और election commissioners को appoint करने की powers दी गई हैं... इनका कार्यकाल 6 सालों का होता है... Maximum 65 साल की उम्र election commissioners की रिटायरमेंट की उम्र होती है... वहीं दूसरी और राज्य चुनाव आयोग या State Election Commission में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल यानी  Governor करते हैं...

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निर्वाचन आयोग की नियुक्ति कौन करता है?

वैसे एक बात यहां बहुत ध्यान रखने वाली है और वह यह है कि राष्ट्रपति, चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करते हैं... अब आपके मन में सवाल होगा कि आखिर यह चयन समिति को कौन हैंडल करता है... तो इसका जवाब है देश के प्रधानमंत्री... जी हां, चयन समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं... लोकसभा में विपक्ष के नेता और पीएम की ओर से नामित केंद्रीय कैबिनेट के एक मंत्री चयन समिति में शामिल होते हैं... आपको बता दें कि मोदी सरकार की ओर से पिछले साल दिसंबर में लाए गए नए कानून के मुताबिक चयन प्रक्रिया के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक सर्च कमेटी चयन समिति को पांच नामों को सुझाती है... चयन समिति सर्च कमेटी की ओर से सुझाए गए नामों के अलावा किसी और नाम पर भी विचार कर सकती है... चलिए अब बात कर लेते हैं कि भारतीय संविधान ने इलेक्शन कमीशन को आखिर कितना पावरफुल बनाया है... सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि Chief Election Commissioner और Election Commissioners का दर्जा Supreme Court के न्यायाधीश के स्तर का होता है... इसलिए ही सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर ही मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को वेतन मिलता है... देश में लोकसभा, राज्यसभा से लेकर विधानसभा और विधान परिषद के चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के पास होती है... मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के पास चुनाव की तारीखों का ऐलान करने का अधिकार होता है... मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त ही मतदान केंद्रों का चयन करते हैं... चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति से लेकर वेटिंग और वोटों की गिनती कराने तक कार्य चुनाव आयोग करता है... आचार संहिता के दौरान कोई अगर चुनाव आयोग के नियमों का पालन नहीं करता है तो चुनाव आयुक्त के पास कार्रवाई करने का भी पूरा अधिकार होता है... मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद में महाभियोग के जरिए ही पद से हटाया जा सकता है... साथ ही आयोग और आयुक्तों के फैसलों को High Court में उचित याचिका द्वारा ही चुनौती दी जा सकती है...

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मतलब मोटे तौर पर कहें तो भारतीय संविधान ने चुनाव आयोग को इतना ज्यादा ताकतवर बनाया है कि वह अगर अपनी शक्तियों का सही इस्तेमाल करने लग गया तो देश के हालात ही बदल जाएंगे... हमारे कहने का मतलब क्या है यह आप बखूबी समझ गए होंगे...

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